फेसबुक पर कमेंट ने ली जान…खुशदीप

मालिनी मुर्मु…झारखंड के जमशेदपुर की होनहार मालिनी को मां-बाप ने बड़े अरमानों से आईआईएम बैंगलुरू में एमबीए की पढ़ाई के लिए भेजा था…आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला मिलने से मालिनी ने न सिर्फ घरवालों का बल्कि अपने पूरे आदिवासी समुदाय का मान बढ़ाया था….इससे पहले वो बीटेक पूरी करने के बाद कुछ वक्त के लिए इन्फोसिस जैसी कंपनी में काम भी कर चुकी थी…लेकिन 22 वर्षीय मालिनी के घरवालों को क्या पता था कि जिस बेटी को डोली में विदा करने के सपने उन्होंने संजोए थे, उसी लाडली की अर्थी बुधवार को कंधे पर उठानी पड़ेगी…

मालिनी ने सोमवार को बैंगलुरू में हॉस्टल के कमरे में फंदा लगा कर जान दे दी…किस लिए खुदकुशी की…फेसबुक पर बाय-फ्रैंड के एक कमेंट की वजह से…जी हां, एक कमेंट की वजह से…पुलिस की जांच से पता चला है कि मालिनी की बाय-फ्रैंड अभिषेक धान से कुछ कहा सुनी हुई थी…इसके बाद अभिषेक ने फेसबुक पर कमेंट दिया कि उसने गर्ल-फ्रैंड से नाता तोड़ लिया है और अब वो आज़ादी का दिन मना रहा है…इसे पढ़कर मालिनी इतनी आहत हुई कि उसे सारी दुनिया ही बेमानी नज़र आने लगी…उसने खुदकुशी से पहले फेसबुक पर लिखा भी कि वो बॉय-फ्रेंड के कमेंट से हुई जिल्लत बर्दाश्त नहीं कर सकती और इस वजह से ही जान दे रही है….

मालिनी ने कमरा बंद कर गले में फंदा डालकर जान दे दी…मालिनी के पिता भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन में अधिकारी हैं और मामा रमेश हंसदा झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता हैं….मालिनी के घरवालों का कहना है कि उनकी बेटी को खुदकुशी के लिए उकसाने वाले अभिषेक को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए…बैंगलुरू पुलिस अभिषेक के खिलाफ धारा  306 के तहत (खुदकुशी के लिए उकसाने का) मामला दर्ज़ कर तफ्तीश कर रही है….ये तो थी मालिनी की मार्मिक कहानी…

मालिनी को ब्रेक-अप का दुख तो था ही उससे ज़्यादा वो आहत थी ऑनलाइन पर अपनी रुसवाई के डर से…क्या सोचेंगे उसके बारे में फेसबुक पर फ्रैंडसर्किल में जुड़े सभी लोग…आज की पोस्ट में इतना ही…कल बात करूंगा सोशल नेटवर्क वेबसाइट के इन खतरों पर साइकाइट्रिस्ट की क्या राय है…कैसे लोग इन साइट्स या ब्लॉग पर आए विपरीत कमेंट्स को दिल पर लगा लेते हैं…कैसे महानगरों और शहरों मे बच्चे और किशोर इस वर्चुअल दुनिया के गुलाम बनकर मनोरोगों का शिकार होते जा रहे हैं…

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kuld33p jakhar
13 years ago

she was mad….how some one can be so serious like this??
and it is not right to take thing so serious..

Rakesh Kumar
13 years ago

बहुत ही दुखद घटना है,खुशदीप भाई.

सोचने पर विवश करती है.

मानसिक आवेगों पर नियंत्रण आवश्यक है.

प्रभु में विश्वास होना बहुत सहायक होता है.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक

बेहद दुखद समाचार है. गुरुवर श्री दिनेश राय द्विवेदी जी की विचारधारा से भी सहमत हूँ.

Atul Shrivastava
13 years ago

दु:खद घटना।
सोशल नेटवर्किंग साईटों का इस तरह विपरीत असर अक्‍सर दिखाई देता है।

डॉ टी एस दराल

सोशल नेट वर्किंग का एक बेहद खतनाक पहलु सामने आया है ।
आत्महत्या करना भी व्यक्तित्त्व की एक कमजोरी होती है ।
रिवेंज के लिए आत्महत्या तो बिल्कुल बेवकूफी भरी नादानी थी ।

इन्दु पुरी

जो हुआ बुरा हुआ.कोई हमसे खेले हम इसकी इजाजत ही क्यों देते हैं? जिंदगी खत्म कर देना…. किसी भी हालत या हालात में कत्तई सही नही.यह सच है कि कोई आत्म हत्या यूँ ही नही कर लेता.बहुत गहराई से आहात होने पर ऐसे कदम उठाये जाते हैं.
अपने आपको इतना स्ट्रोंग तो बनाना ही चाहिए कि एक किक लगा क्र सबको भुला देना ज्यादा बेहतर है.'प्यार से जरूरी कई काम है प्यार सब कुछ नही जिंदगी के लिए'
माँ बाप का प्यार क्या प्यार न था जिसे बच्चे एक झटके से भुला देते हैं दो दिन के इस तथाकथित प्यार के कारन.अफ़सोस !

rashmi ravija
13 years ago

बहुत ही दुखद घटना है..

एक पब्लिक प्लेटफॉर्म पर क्या लिखा जा रहा है..और उसका क्या परिणाम हो सकता है…
इस पर मनन की बहुत जरूरत है.

संजय भास्‍कर

दुखद घटना

Dr (Miss) Sharad Singh
13 years ago

मालिनी मुर्मु को ऐसा नहीं करना चाहिए था.
दुखद घटना है यह.

Amrendra Nath Tripathi
13 years ago

इस ट्रेजडी से मन दुखी है।
लोग इतने नियंत्रण हीन कैसे हैं।!!

Geeta
13 years ago

suicide karna koi aam baat nahi hai, uske dil pe ya usne apni boyfriend ki comment ko apne dil pe itni gehrai se le liya ke use koi rasta hi nahi sujha, sach mei dukhad baat hai ki aaj ki yuva peedhi ka dil bohot kamjor ho gaya hai

शेफाली पाण्डे

rachna ji se sahmat hun…

रचना
13 years ago

we need to wake up and rethink where we are going

and people in hindi bloging world should also realise that comments should be such that they dont harm any one

on networking sites kids creat fantasy and they suffer

they need guidence

देवेन्द्र पाण्डेय

घटना अत्यधिक दुखद है। पढ़कर ही मन दुःखी हो जाता है तो पाता-पिता पर क्या गुजरी होगी..!

नीरज मुसाफ़िर

अब से मैं भी सावधान रहा करूंगा। रोज-रोज ही किसी ना किसी से पंगा होता ही रहता है।

अजित गुप्ता का कोना

कब किसका व्‍यवहार दिल पर चोट लगा दे, कहा नहीं जा सकता। दुखद घटना है।

प्रवीण पाण्डेय

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिये…..

बंगलोर में बड़ी चर्चित घटना है यह।

वाणी गीत
13 years ago

लोगों में सहनशीलता बहुत कम होती जा रही है …
दुखद समाचार!

Satish Saxena
13 years ago

@डॉ द्विवेदी ,
मगर यह महज़ व्यक्तिगत पत्राचार नहीं पब्लिक पत्राचार है जिसे अन्य मित्रगण पढ़ते हैं ! टिप्पणियों का असर प्रभावशाली होता है , अगर यही बात वह व्यक्ति अकेले में ही कहता तो शायद इतना भयावह असर टाला जा सकता था….
अगली पोस्ट का इंतज़ार रहेगा खुशदीप भाई !

दिनेशराय द्विवेदी

समाचार दुखद है। लेकिन इस घटना का मूल आपसी संबंधों में हैं न कि अभिव्यक्ति के किसी माध्यम में। यदि कोई किसी के पत्र के मिलने से आत्महत्या कर लेता है तो पत्राचार को दोष देना गलत है।

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

पूछा है तो सुनो,

अब सो जाओ

लेकिन थकना मस्ट है पहले

थकने के लिए

चाहो तो जागो

चाहो तो भागो

कौन किसे छोड़ता है

जिसे देखो यहां वो नोचता है

हरेक दूसरे को निचोड़ता है

कोई कोई तो भंभोड ता है

ख़ुशनसीब है वो जो तन्हा है

कि महफूज़ है मुकम्मल वो

सरे ज़माना आशिक़ मिलते कहां हैं ?

हॉर्मोन में उबाल प्यार तो नहीं

पानी बहा देना प्यार तो नहीं

क़तरा जहां से भी टपके

आख़िर भिगोता क्यों है

ये इश्क़ मुआ जगाता क्यों है ?

मैंने यह दुखद घटना अखबार में पढ़ी थी।
बहुत खतरनाक है यह ज़िम्मेदारी से भागने का ट्रेंड!
अफ़सोसजनक!

अनूप शुक्ल

यह दुखद घटना मैंने अखबार में पढ़ी थी। बहुत खतरनाक है यह ट्रेंड! अफ़सोसजनक!

Smart Indian
13 years ago

@कैसे लोग इन साइट्स या ब्लॉग पर आए विपरीत कमेंट्स को दिल पर लगा लेते हैं…कैसे महानगरों और शहरों मे बच्चे और किशोर इस वर्चुअल दुनिया के गुलाम बनकर मनोरोगों का शिकार होते जा रहे हैं…

दुखद समाचार! ईश्वर मालिनी की आत्मा को शान्ति दे. इस अवसर पर हमें यह अवश्य विचार करना चाहिए कि हम किस दिशा में जा रहे हैं? में से कुछ लोग इतने कमज़ोर क्यों हो रहे हैं? अपने जीवन का सामना करने के बजाय उसकी ज़िम्मेदारी से भागने क्यों लगे हैं? कोई फेल होने के भय से आत्महत्या कर रहा है कोई दोस्ती टूटने के कारण. समाज और विशेषज्ञों को मिलकर सोचना चाहिए कि क्या अब इतना कठिन समय आ गया है जब फेसबुक व अन्य ऑनलाइन संसाधानों की सदस्यता देने से पहले लोगों का मानसिक संतुलन जांचा जाए? इन समस्याओं का उपाय अतिशीघ्र ढूँढने का आवश्यकता है.

shikha varshney
13 years ago

Uff itne kamjor kyon Hote ja rahe hain log

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