पॉन्टिंग पिटे, अब आफ़रीदी की बारी है…खुशदीप

आठ साल एक दिन बाद पॉन्टिंग का गुरूर चकनाचूर करने का भारत को मौका मिला…चार बार के वर्ल्ड कप चैंपियन कंगारुओं को धोनी के धुरंधरों ने क्वार्टर फाइनल में पीट कर घर वापसी का टिकट थमा दिया…अब याद कीजिए 23 मार्च 2003 को साउथ अफ्रीका के जोहांसबर्ग में खेला गया आठवें विश्व कप का फाइनल…आस्ट्रेलिया ने पहले खेल कर सिर्फ दो विकेट के नुकसान पर 359 का पहाड़ खड़ा कर दिया…पॉन्टिंग ने उस मैच में 138 गेंदों पर 140 रन जड़े थे…कंगारुओं के स्कोर के नीचे भारत ऐसा दबा कि उठ ही नहीं पाया…सचिन तेंदुलकर को भारत की पारी के शुरू होते ही मैक्ग्रा ने सिर्फ चार रन पर चलता कर दिया…भारत का उस मैच में 234 रन पर ही पुलिंदा बंध गया और 125 रन से हार मिली…याद रहे कि 1983 में वर्ल्ड कप की जीत के बाद भारत सिर्फ एक बार 2003 में ही फाइनल में पहुंचा था…वर्ल्ड कप जीतने के सारे अरमान धरे के धरे रह गए…आस्ट्रेलिया से मिली उस करारी हार का सूद सहित अब भारत ने जवाब देकर सवा अरब भारतवासियों को जो खुशी दी है उसे बयां नहीं किया जा सकता…

पॉन्टिंग ने इस बार भी अहमदाबाद में सेंचुरी जड़ी, लेकिन फिर भी भारत को कंगारुओं का मान-मर्दन करने से नहीं रोक सके…भारत की तरफ से सेंचुरी बेशक किसी ने नहीं बनाई लेकिन सचिन, गंभीर, विराट, रैना सभी ने बैटिंग में अपना योगदान दिया…लेकिन भारत को जीत तक पहुंचाने का श्रेय युवराज को ही जाता है…बोलर्स और फील्डर्स ने भी शानदार खेल दिखाया…पॉन्टिंग ने माइंडगेम के तहत सचिन के लिए जो कुछ भी उलटा-सीधा बोला था उसका धोनी के जांबाज़ों ने जीत से मुंहतोड़ जवाब दिया…

चलिए अब आस्ट्रेलिया की सुनामी से तो हम निपट लिए, लेकिन अब पाकिस्तान के न्यूक्लियर रेडिएशन से मोहाली में 30 मार्च को सेमीफाइनल में लोहा लेना है…हर भारतीय चाहता है कि भारत ही इस मैच में जीते…लेकिन युद्धकौशल यही कहता है कि दुश्मन को कभी कमजोर नहीं आंकना चाहिए…ये अच्छा है कि भारत की टीम बैटिंग, बोलिंग और फील्डिंग, हर जगह फार्म में आ गई है…लेकिन हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए पाकिस्तान सेमीफाइनल के सफ़र तक सिर्फ एक मैच न्यूजीलैंड से ही हारा है…ग्रुप मैच में जहां हम वेस्ट इंडीज़ से जीत में पूरी मशक्कत करते दिखे, वहीं पाकिस्तान ने वेस्ट इंडीज़ को क्वार्टर फाइनल में दस विकेट से रौंदा…आस्ट्रेलिया को हमारी तरह ही पाकिस्तान ने भी पांच विकेट से ग्रुप मैच में हराया…

दरअसल पाकिस्तान के लिए इस बार वर्ल्ड कप का  मतलब सिर्फ क्रिकेट नहीं है…पाकिस्तान जिस हालात से इस वक्त गुज़र रहा है, उसे भुलाने के लिए वो क्रिकेट की जीत का सहारा लेना चाहता है…दुनिया को बताना चाहता है कि पाकिस्तान को सिर्फ आतंकवाद, धमाकों, मैच-फिक्सर्स के लिए ही नहीं किसी अच्छी उपलब्धि के लिए भी याद किया जा सकता है…कौन जानता था कि शाहिद आफरीदी खुद फ्रंट पर रहकर पाकिस्तान के नौसीखिया खिलाड़ियों में इतना जोश भर देंगे कि पाकिस्तान के लोगों को आफरीदी में ही इमरान खान का अक्स नज़र आने लगे…आफरीदी इस वर्ल्ड कप में अब तक 21 विकेट चटका कर इमरान के 17 विकेट के रिकार्ड को पीछे छोड़ चुके हैं…अब तक किसी वर्ल्ड कप में सबसे ज़्यादा 26 विकेट चटकाने का रिकार्ड आस्ट्रेलिया के मैक्ग्रा के नाम है…

 
आफरीदी एंड कंपनी को भारत ने हराना है तो धोनी के हर धुरंधर को अपना सौ फीसदी श्रेष्ठ देना होगा…धोनी इस वर्ल्ड कप में खुद अब तक कोई बड़ी पारी नहीं खेल सके हैं…अब पाकिस्तान से सेमीफाइनल में हर भारतीय को धोनी से भी कैप्टन की पारी खेलने की आस है…हर भारतीय खिलाड़ी को समझना होगा कि मैच में एक ज़रा सी भी चूक उन्हें हीरो से ज़ीरो बनाने के लिए काफी होगी…अब तक वर्ल्ड कप के मैचों में चार बार भारत का मुकाबला पाकिस्तान से हुआ है और हर बार हमने पाकिस्तान को धोया है…इस बार पूरे देश का नारा है…28 साल बाद वर्ल्ड कप भारत वापस लाना है…बस पाकिस्तान से मुकाबले से पहले भारत को यही सोचना होगा…ये क्रिकेट नहीं जंग है…

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