पिता की खाली कुर्सी…खुशदीप

एक बेटी ने एक संत से आग्रह किया कि वो घर आकर उसके बीमार पिता से मिलें, प्रार्थना करें…बेटी ने ये भी बताया कि उसके बुजुर्ग पिता पलंग से उठ भी नहीं सकते…

जब संत घर आए तो पिता पलंग पर दो तकियों पर सिर रखकर लेटे हुए थे…

एक खाली कुर्सी पलंग के साथ पड़ी थी…संत ने सोचा कि शायद मेरे आने की वजह से ये कुर्सी यहां पहले से ही रख दी गई…

संत…मुझे लगता है कि आप मेरी ही उम्मीद कर रहे थे…

पिता…नहीं, आप कौन हैं…

संत ने अपना परिचय दिया…और फिर कहा…मुझे ये खाली कुर्सी देखकर लगा कि आप को मेरे आने का आभास था…

पिता…ओह ये बात…खाली कुर्सी…आप…आपको अगर बुरा न लगे तो कृपया कमरे का दरवाज़ा बंद करेंगे…


संत को ये सुनकर थोड़ी हैरत हुई, फिर भी दरवाज़ा बंद कर दिया…

पिता…दरअसल इस खाली कुर्सी का राज़ मैंने किसी को नहीं बताया…अपनी बेटी को भी नहीं…पूरी ज़िंदगी, मैं ये जान नहीं सका कि प्रार्थना कैसे की जाती है…मंदिर जाता था, पुजारी के श्लोक सुनता…वो सिर के ऊपर से गुज़र जाते….कुछ पल्ले नहीं पड़ता था…मैंने फिर प्रार्थना की कोशिश करना छोड़ दिया…लेकिन चार साल पहले मेरा एक दोस्त मिला…उसने मुझे बताया कि प्रार्थना कुछ नहीं भगवान से सीधे संवाद का माध्यम होती है….उसी ने सलाह दी कि एक खाली कुर्सी अपने सामने रखो…फिर विश्वास करो कि वहां भगवान खुद ही विराजमान हैं…अब भगवान से ठीक वैसे ही बात करना शुरू करो, जैसे कि अभी तुम मुझसे कर रहे हो…मैंने ऐसा करके देखा…मुझे बहुत अच्छा लगा…फिर तो मैं रोज़ दो-दो घंटे ऐसा करके देखने लगा…लेकिन ये ध्यान रखता कि मेरी बेटी कभी मुझे ऐसा करते न देख ले…अगर वो देख लेती तो उसका ही नर्वस ब्रेकडाउन हो जाता या वो फिर मुझे साइकाइट्रिस्ट के पास ले जाती…

ये सब सुनकर संत ने बुजुर्ग के लिए प्रार्थना की…सिर पर हाथ रखा और भगवान से बात करने के क्रम को जारी रखने के लिए कहा…संत को उसी दिन दो दिन के लिए शहर से बाहर जाना था…इसलिए विदा लेकर चले गए..

दो दिन बाद बेटी का संत को फोन आया कि उसके पिता की उसी दिन कुछ घंटे बाद मृत्यु हो गई थी, जिस दिन वो आप से मिले थे…

संत ने पूछा कि उन्हें प्राण छोड़ते वक्त कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई

बेटी ने जवाब दिया…नहीं, मैं जब घर से काम पर जा रही थी तो उन्होंने मुझे बुलाया…मेरा माथा प्यार से चूमा…ये सब करते हुए उनके चेहरे पर ऐसी शांति थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी…जब मैं वापस आई तो वो हमेशा के लिए आंखें मूंद चुके थे…लेकिन मैंने एक अजीब सी चीज़ भी देखी…वो ऐसी मुद्रा में थे जैसे कि खाली कुर्सी पर किसी की गोद में अपना सिर झुकाया हो…संत जी, वो क्या था…


ये सुनकर संत की आंखों से आंसू बह निकले…बड़ी मुश्किल से बोल पाए…काश, मैं भी जब दुनिया से जाऊं तो ऐसे ही जाऊं…


स्लॉग चिंतन

मैंने ऊपर वाले से पानी मांगा, उसने सागर दिया…
मैंने एक फूल मांगा, उसने बागीचा दिया
मैंने एक दोस्त मांगा, उसने आप सबको मुझे दिया…


भगवान की इच्छा आपको वहां कभी नहीं ले जाएगी, जहां उसका आशीर्वाद आपका बचाव न कर सकता हो…

(ई-मेल से अनुवाद)

Khushdeep Sehgal
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Unknown
14 years ago

very nice……

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

विश्वास बड़ी चीज है..

S.M.Masoom
14 years ago

इश्वर का होना महसूस किया जा सकता है. यह सत्य है. और इश्वर हर जगह है.

sonal
14 years ago

very touching,thanks for sharing

रेखा श्रीवास्तव

ये अपने मन का अहसास है, ईश्वर तो अंतर में भी है और जहाँ मानो वहाँ है. उसके लिए दिखावे की जरूरत नहीं. बहुत अच्छी कथा लगी.

निर्मला कपिला

प्रेरक कहानी है आदमी जितनी अच्छी तरह खुद भगवान से संवाद कर सकता है उतना आज कल के साधू संतो के कहने से नही। फिर सच्चे संत मिलते भी कहाँ हैं। और स्लाग चिन्तन मे हमने भी तो यही माँगा था सो मिल गया। आश्र्र्वाद।

vandana gupta
14 years ago

ये सुनकर संत की आंखों से आंसू बह निकले…बड़ी मुश्किल से बोल पाए…काश, मैं भी जब दुनिया से जाऊं तो ऐसे ही जाऊं…

ये पढकर रौंगटे खडे हो गये……………शायद हर दिल की यही इच्छा हो मगर विश्वास भी तो वैसा ही होना चाहिये……………………आज की आपकि पोस्ट अब तक की सबसे बढिया पोस्ट है।

दीपक बाबा

भावनात्मक प्रस्तुति……..

@भगवान की इच्छा आपको वहां कभी नहीं ले जाएगी, जहां उसका आशीर्वाद आपका बचाव न कर सकता हो…

यही शाश्वत सत्य है… जिसने इसको विचार कर अपने जीवन में धारण कर लिए … उसका जीवन मुक्ति और बंधन से मुक्त है.

वास्तव में एक अच्छी पोस्ट पढ़वाने के लिए आपको धन्यवाद करता हूँ.

शिवम् मिश्रा

उम्दा पोस्ट !

honesty project democracy

क्या कहें आजकल खाली कुर्सी रख भी दो भगवान के लिए तो उस पर शैतान अपना कब्ज़ा भगवान के आने से पहले जमा लेते हैं …भगवान तिकरम का सहारा नहीं लेतें इसलिए शैतान की इस हरकत को भी माफ़ कर देतें हैं और इसी माफ़ी की वजह से भोले-भाले इंसान का जीवन कष्टकर होता जा रहा है ..क्योकि कुर्सी पर भगवान की जगह शैतान बैठा हुआ है और इंसान को पता ही नहीं होता …अब तो भागवान को ही कुछ करना होगा इन शैतानों को कुर्सी से उतारने और सदा के लिए रक्तबीज के बीज की तरह इनके पूरे वंश को समाप्त करने के लिए …

Shah Nawaz
14 years ago

सही बात है…. ईश्वर तो हर जगह है, किसी विशेष जगह पर नहीं… उससे तो हम हर समय, हर जगह बातें कर सकते हैं… अच्छा और शिक्षाप्रद लेख है.

डॉ टी एस दराल

बढ़िया सबक है , ग्रहण करने के लिए । यदि कर सकें तो ।

अजय कुमार झा

अच्छी पोस्ट

Manoj K
14 years ago

इश्वर हर जगह है, हमारे आस पास वह हमेशा है.
अच्छी पोस्ट

देवेन्द्र पाण्डेय

..पढ़ने में अच्छा..समझने में अच्छा..

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)

Bahut sunder!

Udan Tashtari
14 years ago

बहुत अच्छा लगा पढ़कर…काश!! सभी दुनिया से इस मुद्रा में ही जायें..इस अहसास के साथ…

महेन्‍द्र वर्मा

SUNDAR CHINTAN

दीपक 'मशाल'

बढ़िया सबक मिला..

उस्ताद जी

2/10

ऐसी बातें सुनना और पढना दिल को अच्छा तो लगता है. भावुकता भी आती है लेकिन माफ़ करना बरखुदार ऐसी बातों का कोई ठोस मतलब नहीं होता. यूँ लगा मानो इसाई मिशनरी के प्रवचन में आ गया हूँ.

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