कभी कभी जीवन में ऐसा कुछ भी घटता है, जिस पर दिमाग न भी चाहे तो भी यकीन करना पड़ता है…साइंस का छात्र रहा हूं, इसलिए दैवीय शक्तियों आदि पर यकीन नहीं रखता…लेकिन इस महीने ऐसा कुछ हुआ कि मुझे भी दांतों तले उंगली दबानी पड़ रही है…दस अक्टूबर को गोरखपुर में महफूज़ के साथ जो कुछ हुआ, उसे पाबला जी ने कई दिन पहले ही देख लिया था…और मैं इस बात का सीधा गवाह हूं…
दस अक्टूबर से शायद दस-पंद्रह दिन पहले मुझे पाबला जी का फोन आया था कि उन्होंने महफूज़ के बारे में गलत सपना देखा है…महफूज एक कमरे में बैठा है…साथ में एक खाली दीवार है…पीछे एक खिड़की है…और अचानक जैसे आसमान में बिजली कड़कती है, वैसा ही कुछ पाबला जी ने देखा...पाबला जी ने महफूज़ को भी आगाह कर दिया…इसके बाद महफूज़ का मेरे पास फोन आया था…महफूज़ ने मुझे बताया कि पाबला जी ने जिस तरह के कमरे का बयान किया वो उन दिनों कानपुर में ठीक वैसे ही कमरे में रह रहा था…लेकिन महफूज़ यहीं सारी स्थिति नहीं समझ सका…वहां तो पूरा सतर्क रहा लेकिन गोरखपुर में अपनी हिफ़ाज़त को लेकर चूक कर गया…वहां भी जब उसको निशाना बनाते हुए फायर किया गया तो वो कचहरी में एक चाय वाले के यहां ऐसे ही कमरे में बैठा हुआ था…जिसके पीछे खिड़की थी और साथ में खाली दीवार थी…
पाबला जी ने ये सब पहले कैसे देख लिया…आपको शायद एक बात और भी पता नहीं होगी…पाबला जी जब महाराष्ट्र के दौरे पर थे तो उनकी मारूति वैन जल कर पूरी तरह ख़ाक हो गई थी…उस हादसे से थोड़ी देर पहले ही पाबला जी ने सड़क किनारे एक मैकेनिक शॉप से वैन ठीक कराई थी….पाबला जी को वैन में गड़बड़ी होने का भी पहले से ही आभास था…उन्होंने सपने में वैन को जलते हुए तो नहीं देखा था, लेकिन उस मैकेनिक की शॉप और आसपास की दुकानों को वो दौरे से कई दिन पहले सपने में देख चुके थे…अब आप इसे क्या कहेंगे इत्तेफाक या इन्ट्यूशन या कुछ और…
खैर ये तो रही पाबला जी की बात…लेकिन अभी इससे भी ज़्यादा मेरे लिए चौंकाने वाली एक और बात भी हुई…जिस दिन महफूज़ गोरखपुर में फायरिंग का शिकार हुआ, उससे आधा घंटा पहले मैंने फोन पर महफूज़ से बात की…न जाने क्यों, मैंने उस दिन दोपहर को ही महफूज़ को फोन मिलाया…उससे पहले और बाद में मेरी जब भी कभी महफूज़ से बात हुई वो रात को ग्यारह बजे के बाद ही हुई…उस दिन मैंने फोन पर महफूज़ से ये भी कहा था कि जितनी जल्दी हो सके, गोरखपुर से बाहर निकलो….मैं किसी और संदर्भ में महफूज़ से ये सब कह रहा था…यही कहना चाह रहा था कि जो भी विवाद चल रहे हैं, उन्हें सुलझा कर किसी शांतिप्रिय जगह पर अपनी सारी ऊर्जा क्रिएटिव राइटिंग में लगाओ…मैंने बुरे से बुरे सपने में भी नहीं सोचा था कि महफूज़ को उसी दिन ऐसी स्थिति से दो-चार होना होगा…उसी दिन मैं आफिस जाने के लिए दोपहर दो बजे घर से निकला तो रास्ते में ही फोन पर पाबला जी से महफूज़ पर गोली चलने की बात पता चली…मैं सुनकर सन्न रह गया…मुझे वही सब याद आ गया जो कुछ दिन पहले पाबला जी ने मुझे फोन पर बताया था…
महफूज़ का इस बारे में कुछ और भी कहना है….महफूज़ के मुताबिक उसका जैंगो ( पैट जिसे महफूज़ अपना बेटा कहता था) जिंदा होता तो ये हादसा उसके साथ कतई पेश नहीं आता…वो किसी न किसी तरीके से महफूज़ को उस दिन मौका-ए-वारदात पर जाने से पहले ही रोक लेता…
ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्रिया कि हमारे दबंग महाराज से बला छू कर निकल गई…आखिर जिसके साथ इतने चाहने वालों की दुआ हो, उसका बला बिगाड़ भी क्या सकती थी…यहां ये भी ताज्जुब करने वाली बात है कि जैंगो ने महफूज़ पर फायरिंग से कुछ दिन पहले ही दम क्यों तोड़ा….क्या वो अपने साथ महफूज़ के सिर आई बला को ले गया…कुत्ते दरवेश होते हैं, सुना था, क्या जैंगो भी ऐसा ही दरवेश था…ये जो कुछ भी लिखा है वो मेरा दिमाग बेशक नहीं मानता लेकिन दिल उस पर कुछ सोचने के लिए ज़रूर मजबूर है…महफूज़ के जन्मदिन पर बस यही दुआ…तू जिए हज़ारों साल, और साल के दिन हो पचास हज़ार…
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पाबला जी की हथेली (Palm) पर अतिन्द्रिय रेखा होगी जिससे उन्हेँ कुछ घटनाओँ का पूर्वाभास होता होगा ।
हथेली (palm) पर अतिन्द्रिय शक्ति के योग निम्न हैँ :-
1. तर्जनी अँगुली की जड़ मेँ बृहस्पति पर्वत पर x (चिन्ह) का पाया जाना।
2. मणिबन्द रेखा और चन्द्र पर्वत के बीच मेँ अतीन्द्रिय रेखा का पाया जाना।
3. मध्यमा अँगुली के नीचे मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के बीच मेँ X चिन्ह का पाया जाना।
4. चन्द्र पर्वत विकसित और मस्तिष्क रेखा का निर्दोष होना।
अतः ये सभी मिलकर अतीन्द्रिय शक्ति का योग बनाते हैँ। पाबला जी परखिए इन्हेँ। महफूज जी जल्द स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें, यही दुआ है मेरी।
ashok.kr0106@gmail.com
द्विवेदी जी की बात से सहमत ।
शहर से बाहर था, देर से आ पाया यहाँ
जैसे ही पता चला कि आपने मेरे बारे में कुछ लिखा है मेरी पहली प्रतिक्रिया थी -मार डाला! 🙂
महफ़ूज़ वाले मामले में मैं खुद हैरान-परेशान हुआ था कि जिससे कभी मिला नहीं, जिसके घर क्या, शहर में नहीं गया, जिसकी सिर्फ़ आवाज़ ही सुनी है, जिसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि से गहरे तक वाकिफ़ नहीं, उसके बारे में कई सप्ताह पहले, मुझे भविष्य का घटनाक्रम हुबहू कैसे दिखा? लेकिन ऐसा हुआ!
कुदरत में ऐसा बहुत कुछ है जिसकी व्याख़्या करना बहुत दिक्कत का काम है।
एस.एम.मासूम जी की टिप्पणी के बाद मैंने गौर किया किया कि उनकी बात बिलकुल सही है
महफ़ूज़ के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामना
पूर्वाभास ..!
यह होता है…अधिकतर माओं को पता चल जाता है अगर बच्चे को कुछ भी तकलीफ हुई है..या होने वाली है…
मेरे साथ भी हुआ है…मुझे पूरा विश्वास है पाबला जी को आभास हो गया होगा…दिल के इतने करीब जो हैं वो महफूज़ मियाँ के…
आप तीनों की तिगड़ी को बहुत शुभकामनायें..ये रिश्ता बस ऐसे ही बना रहे…ताउम्र..!
Uff..thank God he is safe. Yes I believe in all this things.And so many other things also present in this nature jo aap sapne me bhi nahin soch sakte.
हम लोग जितना जानते हैं उस से कही अधिक ऐसा है जिसे हम नही जानते।बस ! अपना अपना विश्वास है।
महफ़ूज भाई के जल्दी स्वस्थ्य होने की शुभकामनाएँ
सबसे बडी बात महफ़ुज़ भाई खैरियत से हैं…
पुर्वाआभास होता है…अकसर सपनों में…
दुनिया में बहुत् से लोग है जिन्हे दिन में सोते हुये…सुबह के वक्त नींद में अजीब से सपने आते है…जो उनकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से ताल्लुक रखते है….
ये सपने कुछ दिनों या कभी-कभी महीनों के बाद सच हो जाते हैं और जब ये सब हो रहा होता है तो एहसास होता है कि ये हमारे साथ हो चुका है…….इन लोगों में इस नाचीज़ का भी नाम शामिल हैं
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"दहशतगर्द कौन और गिरफ्तारियां किन की, अब तो सोचो……! "
"कुरआन का हिन्दी अनुवाद (तर्जुमा) एम.पी.थ्री. में "
Simply Codes
Attitude | A Way To Success
पूर्वाहसास होता है , ऐसा तो पता नहीं , लेकिन महफूज़ भाई के लिए दुआएं हमेशा हैं । ऊपर वाले का शुक्र है कि वो इस खतनाक हादसे से सकुशल बाहर निकल आये हैं । आपने सही कहा कि उसे इन सबको छोड़कर कहीं और अपनी ऊर्जा का सदुपयोग करना चाहिए ।
कुछ लोगों को ऐसी बातों पर यकीन होता है और कुछ को नहीं, पर वास्तव में कई बार सपने सूचक होते हैं ….आप और पाबला जी जैसे शुभचिंतक है जब महफूज जी के पास तो उन्हें स्वस्थ्य होना ही होगा, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ ….।
छठी इंद्री ने चेताया था और यह ताक़त कुदरती तौर पे बहुतों मैं पाई जाती है. हस्त रखा के ज्ञानी करते हैं ऐसे लोगों के अंगूठे के बाद की ऊँगली के नीचे (अंत मैं) एक क्रोस पाया जाता है. पाबला जी सी पूछ लें.
बस सुना ही है, तजुर्बा नहीं.
सच कहा आपने दिमाग ये सब मानने को तैयार नहीं होता .पर मैं ये मानती हूँ कि हर इंसान में छटी इन्द्रीय होती है किसी में थोड़ी कम किसी में थोड़ी मजबूत वो हमेशा हमें इशारा करती है अब ये हम पर है कि हम उसे कितना समझ paate हैं.ज्यादातर देखा गया है कि अपने कुछ खास के बारे में आपको एहसास हो जाता है.
Get well soon Mahfooz.
वैसे ऐसी बातो से मै सहमत नहीं हूँ. महफूज मिया को स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाये .
खुश दीप भाई होते हे ऎसे किस्से जिन पर विशवास करना पडता हे आज से ८ साल पहले मै अपने एक दोस्त के संग चेको जाने वाला था, रात को सारा प्रोगराम बन गया, सुबह तेयार भी हो गया, लेकिन एक वक्त पर मैने उसे भी मना किया की आज मत जाओ, मैने रात को एक भयानक सपना देखा हे, लेकिन वो नही माना ओर अन्य दोस्तो के संग चला गया, थोडी देर बाद भारत से मां का फ़ोन आया, जो बहुत घबराई हुयी थी, फ़ोन पर मां ने पुछा सब ठीक हे, मैने कहा, हा मां मां से बात करने के बाद उस दोस्त की बीबी का फ़ोन आया जो सिर्फ़ रो रही थी, ओर उस के फ़ोन से समझ गया कि ….. ओर दोस्त हमे हमेशा के लिये छोड कर चला गया, फ़िर मैने मां को फ़ोन किया कि क्यो मुझे ऎसा बोला तो मां ने कहा कि मैने एक बहुत भ्यानक सपना देखा जिस मै….., ओर कोई माने या ना माने बिलकुल वेसा ही ऎकसीडेंट मेरे दोस्त के साथ हुआ!!
महफूज़ ने दोनों बातें बतायी थीं…और सुन कर मैं हैरान रह गयी थी….
ऐसा कई बार होता है….इस से इनकार तो नहीं किया जा सकता…
बस महफूज़ को सबकी दुआएं, महफूज़ रखें…
स्वप्न, आभास, पूर्वाभास या संकेत हो सकते है, लेकिन उन्हे समझने का हममें सामर्थ्य नहिं, इसिलिये हम धटना घटित होनें के बाद ही अर्थघटन करते है। जिन बातों को स्प्ष्ठ समझने का हममें सामर्थ्य नहिं, उस पर चिंतन, अन्तत: अंधश्रद्धा में परिवर्तित होता है।
महफूज़ शीघ्र स्वास्थलाभ करे …
deja vu?
1/10
पहले आप सत्य-कथा अथवा मनोहर कहानियां में लिखते थे क्या ? इंडिया टीवी में भी आपकी बहुत जरूरत है.
पाबला जी को पूर्वाभास होता है।
प्रणाम
महफूज़ के जन्मदिन पर बस यही दुआ…तू जिए हज़ारों साल, और साल के दिन हो पचास हज़ार…
मेरी भी शुभकामनायें
हरेक के साथ पूर्वाभास कई बार होता है……. खासकर सवेदनशील व्याक्तितिव के साथ तो बहुत ज्यादा…….
aisa kuchh ghaat bhi chuka…….!! aascharyajanak!!
bhagwan/khuda mahfooz bhai ko salamat rakhen!!
बहुत बार होने वाली घटनाओं के संकेत मिलते हैं पर हम समझ नहीं पाते … महफूज़ शीघ्र स्वास्थलाभ करे …
सतीश सक्सेना जी की इस बात को दुहराती हूं कि महफूज़ मिया खुशनसीब हैं जहाँ पाबला और खुशदीप जैसे प्यार करने वाले मौजूद हैं !
आप तीनों को शुभकामनायें !!
महफूज तो महफूज ही हैं -आपके सिद्धांत के मुताबिक़ तो किसी ब्लॉगर की आह भी लग सकती है जो इस समय फूल कर कुप्पा /कुप्पी हो रहा होगा /होगी -ब्लॉग जगत में ऐसे कुछ शूरमाओं को यही मुगालता है की यदि वे मन से चाह लें तो दुनिया फानी हो जाए ! नाम बताऊँ क्या ?
महफूज, महफूज रहेंगे. इन्ट्यूशन हो जाता है कभी-कभी. पाबला जी अब शायद अपने सपनों पर अधिक ध्यान देंगे..
प्यार सबसे बड़ी दवा है…महफूज भाई के जल्द स्वास्थ्यलाभ के लिए शुभकामनाएं।
कमाल का अहसास और प्यार है इन दोनों के बीच , तभी इस प्रकार का अहसास होता है ! इस आभासी जगत में जहाँ एक दूसरे को भला बुरा कहने से ही फुर्सत नहीं ऐसा लगाव दुर्लभ है ! महफूज़ मिया खुशनसीब हैं जहाँ पाबला और खुशदीप जैसे प्यार करने वाले मौजूद हैं !
आप तीनों को शुभकामनायें !
महफ़ूज भाई के जल्दी स्वस्थ्य होने की शुभकामनाएँ
खुशदीप भाई, सब से बड़ी बात है कि महफूज भाई महफूज रहे।
बलाएँ बोल कर नहीं आतीं। यह दीगर बात है कि बला टल जाने पर हम उस से पहले की अनेक घटनाओं को स्मरण कर के सूत्र जोड़ने लगते हैं कि उन का संकेत मिला था, हम समझ ही नहीं पाए।
हर समंय कुछ न कुछ अच्छा बुरा घटता रहता है। प्रत्येक बला के लिए कम से कम सौ संकेत तलाशे जा सकते हैं। इस दुनिया का हर कण सदैव गतिमान रहता है, नियम पूर्वक।
जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय।
कई बार किसी होने वाली घटना के ऐसे संकेत मिल जाते है पर व्यस्त दिनचर्या के चलते हम या तो उस ध्यान नहीं दे पाते या समझ नहीं पाते | सपनों में देखि कई बाते सच होने का अनुभव हमें भी है |
छठी इंद्री ने चेताया था।
कभी कभी पूर्वाभास भी हो जाता है।
nice
महफूज के जल्द स्वस्थ होने की कामना
होते हैं ऐसे अनहोने अनुभव भी..
ईश्वर महफूज़ को जल्द बेहतर स्वास्थय दे एवं सदा उसकी रक्षा करे.
सपने कुछ तो सूचक होते हैं आने वाले समय का !
मैंने बहुत पहले एक लेख लिखा था ऐसे ही एक संस्मरण का – http://meriawaaj-ramtyagi.blogspot.com/2010/05/blog-post_08.html
कहते है अखल विश्व में कई तरह की उर्जाएं निहित है ….हमारी तीव्र भावनाएँ और संवेदाएँ भी उन्ही का अंश है .
जाको राखे साईया, मार सके न कोई ! मारने वाले से बचाने वाला बहुत बहुत बड़ा है और महफूज़ भाई के साथ न सिर्फ ऊपर वाले का आशीर्वाद है अपितु इतने लोगों की दुआएं और प्यार भी है .आज उनके जन्मदिन पर परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि जल्द ही महफूज़ भाई ठीक हो सारी मुसीबतों से पार हो कर हम सभी के बिच लौटे अपनी दिल छू लेने वाली रचनाएँ लेकर …!!
ufffff…..aisa bahut kuch hota hai…jo hume hairaan kar deta hai…insaani dimaag waqai ajeeb hai
.
यह शायद स्थूल एवँ सूक्ष्म मस्तिष्क तरँगों से समझा जा सके,
बँदे का नाम महफ़ूज़ यूँ ही नहीं है, ठीक तो है वह ?
ख़ुदा हमारे खुद्दार बँदे को सलामत रखे ।
कुछ घँटे पहले ही मैं उसे बड़े टेढ़े मेढ़े ढँग से जन्मदिन की बधाईयाँ दे आया था ।