नोटा का सोटा…खुशदीप

नोटा का सोटा….जी हां…हमारे देश के मतदाता हाल में मिले इस अधिकार
के बारे में कितना जानते हैं…राजस्थान में आज यानि 1 दिसंबर को वोट डाले जा रहे
हैं…दिल्ली में बुधवार को डाले जाएंगे…छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में पहले ही मतदान
निपट चुका है…सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन चुनावों में पहली बार ईवीएम पर नोटा
का प्रावधान किया गया है…नोटा यानि आपको कोई भी उम्मीदवार पसंद ना हो तो आप नोटा
(नन ऑफ द अबव) का वोट दबा सकते हैं…लेकिन आज की स्थिति में ये बटन मतदाताओं के
हाथ में कोई ताकत नहीं बस अकेडमिक महत्व का है…मान लीजिए किसी चुनाव क्षेत्र में
एक लाख वोटर हैं और 99,999 नोटा पर बटन दबा देते हैं, ऐसे में जिस उम्मीदवार को एक
वोट मिला है वही विजेता घोषित कर दिया जाएगा…यानि नोटा का नतीजों पर कोई असर
नहीं पड़ेगा…


इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई थी,
जिसमें मांग की गई थी कि अगर किसी सीट पर नोटा पर सर्वाधिक राय आती है तो वहां का
चुनाव रद्द कर दोबारा मतदान के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाएं…इस याचिका को
खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल ऐसे आदेश नहीं दिए जा सकते…इसके
लिए क़ानून में संशोधन की ज़रूरत होगी और ये काम संसद ही कर सकती है…अब राजनेता
इस मुद्दे पर क्यों भला गंभीरता दिखाएं…वो क्यों चाहेंगे कि इस वोटकटवा प्रावधान
पर लोग जागरूक हों…आखिर कैसे बन सकता है नोटा एक प्रभावशाली सोटा…क्यों इसके
शक्तिशाली होने से राजनेताओं को लगता है डर…आखिर चुनाव पर नेता करोड़ों खर्च
करते हैं…अगर नोटा से चुनाव निरस्त होने वाला क़ानून बन गया तो उम्मीदवारों को
तो लेने के देने पड़ जाएंगे…इन्हीं सब सवालों पर जानो दुनिया न्यूज़ चैनल पर 27
नवंबर को बहस हुई…मेरे साथ बहस में राजनीतिक विश्लेषकों संजय तिवारी और गिरिजा
शंकर जी ने हिस्सा लिया….दॆखिए इस लिंक पर…

Khushdeep Sehgal
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Satish Saxena
11 years ago

लगता है अभी और इंतज़ार करना होगा !

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कविता रावत

नोटा नहीं इसे तो टाटा कहिये ….
नोटा की जीत होती हैं तो फिर से चुनाव होने चाहिए और उसमें जो भी उमीदवार हो उन पर कम से कम 10 वर्ष का चुनाव न लड़ने का प्रतिबन्ध लगाना चाहिए ..
बहुत बढ़िया जागरूक प्रस्तुति

अजित गुप्ता का कोना

जब चुनाव रद्द ही नहीं करना था तो नोटा अंकित भी क्‍यों किया?

Arvind Mishra
11 years ago

तभी इसकी सार्थकता है

Arvind Mishra
11 years ago

सोटा ही नहीं नोटा ने नोटा (गला ) दबाया है

डॉ टी एस दराल

निश्चित ही , इन चुनावों मे कुछ तो नतीज़े सामने आयेंगे !

Khushdeep Sehgal
11 years ago

डॉक्टर साहब होगा ये भी होगा…दरअसल सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नोटा पर सर्वाधिक बटन दबने पर चुनाव रद्दे करने के लिए कानून में संशोधन करना होगा…और ये काम संसद का है…सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने पहले ही नोटा के प्रावधान का आदेश दिया है, इसलिए अभी विधायिका को इसके लिए निर्देश देना जल्दबाज़ी होगा…दरअसल जैसे जैसे इस पर जागरूकता बढ़ेगी राजनेताओ पर दबाव और डर दोनों बढ़ेंगे…नोटा के सशक्त बनने पर आपराधिक छवि वालों को टिकट देना भी बंद हो जाएगा…ये पहल है और अच्छी पहल का हम सबको स्वागत करना चाहिए…साथ ही इसका प्रचार भी करना चाहिए….

डॉ टी एस दराल

यदि इस पर गौर ही नहीं करना था तो जनता के साथ यह खिलवाड क्यों ? दरअसल यह एक क्रान्तिकारी कदम हो सकता है !

प्रवीण पाण्डेय

नोटा जीतता है तो चुनाव रद्द होने चाहिये।

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