तवाक्कुल करमान…लिमाह रोबेर्ता गबोवी…एलेन जॉनसन लीफ |
मसलन यमन की 32 साल की पत्रकार तवाक्कुल करमान…यमन के हुक्मरान अली अब्दुल्लाह सालेह के खिलाफ देश में लोगों ने संघर्ष की राह पकड़ी तो सत्ता विरोधी नारों में सबसे बुलंद आवाज़ तवाक्कुल की ही थी…इसी तेवर ने तवाक्कुल को लोकतंत्र की सबसे बड़ी पहरूआ की पहचान दिला दी…
दूसरी महिला है लाइबेरिया की शांति अभियान कार्यकर्ता लिमाह रोबेर्ता गबोवी…लाइबेरिया में दूसरे गृहयुद्ध को खत्म करने के लिए जो वार्ता हुई उसमें गबोवी ने अहम भूमिका निभाई…वूमेन पीस एंड सिक्योरिटी नेटवर्क की प्रमुख के नाते गबोवी ने उसी वक्त महिलाओं के सवाल की बात उठाकर समाज में हक की बात कही…गबोवी ने ये सब तब किया जब लाइबेरिया की सत्ता पूंजीपतियों के हाथ में थी और वो महिलाओं को किसी तरह की आज़ादी देने के खिलाफ थे…
इसी कड़ी में तीसरी महिला एलेन जॉनसन लीफ लाइबेरिया की मौजूदा राष्ट्रपति हैं…72 वर्षीय एलेन को लाइबेरिया में 14 वर्ष के गृहयुद्ध के बाद स्थायित्व कायम करने का श्रेय दिया जाता है…एलेन ने 2005 में जब लाइबेरिया की कमान संभाली थी तो उन्हें अफ्रीका की पहली निर्वाचित राष्ट्र प्रमुख बनने का गौरव हासिल हुआ था…8 बरस पहले तक लाइबेरिया गृहयुद्ध से लहूलुहान था, तब एलेन लोगों की न्यूनतम ज़रूरतों का सवाल खड़ा कर सत्ता के शिखर तक पहुंचीं… संयोग ही है कि अगले मंगलवार को लाइबेरिया में दोबारा राष्ट्रपति के चुनाव होने जा रहे हैं…ऐसे में शांति का नोबेल मिलने से एलेन की दावेदारी को और मज़बूती मिली है….
चलिए ये तो हो गई नोबेल की बात…अब चलिए गुजरात…7 अक्टूबर 2001 को केशुभाई पटेल को हटाए जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री की शपथ ली…और शुक्रवार को मोदी इसी पद पर लगातार दस साल पूरे कर ये उपलब्धि हासिल करने वाले गुजरात के पहले मुख्यमंत्री बन गए…विकास के गुजरात मॉ़डल ने मोदी को देश-विदेश में तारीफ दिलवाई तो पिछले दस साल में उनके खिलाफ आरोपों की फेहरिस्त भी खासी लंबी रही है…2002 की गुजरात हिंसा, फ़र्जी एनकाउंटर, विरोध करने वाले अफसरों को निशाना बनाने जैसे तमाम आरोपों से मोदी घिरते रहे हैं लेकिन वो इसे विरोधी दलों की बदनाम करने की साज़िश कह कर खारिज करते रहे…खैर सत्ता की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप के दौर चलते ही रहते हैं…लेकिन मोदी के लिए विरोधी दलों से ज़्यादा बड़ी दिक्कत तीन महिलाएं पेश कर रही हैं…
श्वेता भट्ट |
ज़ाकिया जाफरी |
जागृति पंड्या |
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In Delhi, a meal for two that costs Rs 40,000 ($1000)
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