आज स्लॉग ओवर की बारी है…लेकिन मूड बनाने के लिए पहले नाम की थोड़ी चर्चा हो जाए…आप कहेंगे कि नाम में रखा क्या है…लेकिन कुछ के लिए तो नाम में ही सब कुछ रखा है…जितना बड़ा नाम उतने बड़े दाम…सितारे, क्रिकेटर, नेता सब नाम की ही तो खाते हैं…हर कोई अपने नाम के साथ चाहता है उसके खानदान का भी नाम चले…यानि पीढ़ी दर पीढ़ी नाम की फसल कटती रहे…
अपने मुलायम सिंह यादव जी को ही देख लीजिए…खुद सांसद, भाई सांसद, बेटा सांसद, भतीजा सांसद, बहू डिंपल रह गई थी उसे भी फिरोजाबाद के रास्ते लोकसभा भेजना चाहते थे…लेकिन पुराने चेले राज बब्बर ही दीवार बनकर आ डटे…बहू हार गई, बब्बर जीत गए….लेकिन बहू की हार से भी ज़्यादा विधानसभा की इटावा और भरथना सीटों पर नेता जी मुलायम के नाम की भद्द पिटी…पिछले विधानसभा चुनाव में भरथना सीट से खुद मुलायम जीते थे…लोकसभा चुनाव जीतने की वजह से भरथना सीट छोड़ने का फैसला किया…और इटावा की तो पहचान ही मुलायम से मानी जाती रही है…लेकिन दोनों ही सीटें बीएसपी ने झटक कर मुलायम की साइकिल पंचर कर दी…
यूपी में माया का गजराज शान से चला तो पश्चिम बंगाल में ममता एक्सप्रेस रफ्तार के साथ दौड़ी…ऐसी रफ्तार की सीपीएम को तिनके की तरह उड़ा दिया…पश्चिम बंगाल में 10 सीटों पर उपचुनाव हुआ और बामुश्किल लेफ्ट फ्रंट की ओर से फॉरवर्ड ब्लॉक ही एक सीट जीत सका…अन्यथा बाकी नौ सीटों पर लेफ्ट के लाल रंग पर पूरी तरह झाड़ू लग गई…तो जनाब, राजनीति के सेंसेक्स में माया और ममता के नाम का ग्राफ ऊपर चढ़ा हुआ है….ऐसी है नाम की महिमा…
लेकिन कई बार नाम भी गजब रखे जाते हैं…जेब में फूटी कौड़ी नहीं और नाम अमीर चंद…दुनिया भर की दौलत जोड़ कर रखने वाला धन्ना सेठ और नाम गरीब दास…इसी तरह हमारे भी एक नैनसुख हैं…
स्लॉग ओवर
नैनसुख अपनी आंखें चेक कराने के लिए आई-स्पेशलिस्ट के पास पहुंचे…डॉक्टर ने आंख में दवाई डालकर चेक करना शुरू किया…
डॉक्टर ने कहा… हां तो सबसे आखिरी लाइन पढ़िए…
नैनसुख बोला…कौन सी आखिरी लाइन…
डॉक्टर…अच्छा चलो जाने दो… ऊपर वाली लाइनें पढ़िए…
नैनसुख…कौन सी ऊपर वाली लाइनें…
डॉक्टर थोड़ा बेचैन हुआ….बोला….घबराइए नहीं वो जो सामने बोर्ड लगा है, उस पर जो लिखा है उसे पढ़ने की कोशिश कीजिए…
नैनसुख…कौन सा बोर्ड….
डॉक्टर और असहज हुआ…बोला…अच्छा तो बोर्ड भी नहीं दिख रहा, हिम्मत से काम लीजिए और सामने वाली दीवार पर ध्यान लगाइए…
नैनसुख….कौन सी दीवार….
डॉक्टर ठंडी सांस लेकर बोला….जनाब, अब आपको मेरे इलाज की नहीं मंजीरे और ढोलकी की ज़रूरत है…बस कहीं भी बैठ जाइए और प्रभु का भजन कीजिए…मैं तो क्या, मेरे पिताजी भी अब आपके लिए चश्मा नहीं बना सकते…
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