आपको कोई संदेश देना है…जागरूकता लानी है…तो सबसे अच्छा तरीका क्या होता है…यही न, कि कोई प्यारा सा स्लोगन ढूंढा जाए…ग्लोबल वार्मिंग, धरती बचाओ, पेड़ लगाओ, गो ग्रीन जैसे कितने भी स्लोगन दे दिए जाएं लेकिन पर्यावरण की अनदेखी बंद नहीं हो रही…यही हाल रहा तो हमारे नदी, जंगल, वन्यजीवन, ग्लेशियर सब खत्म हो जाएंगे…लेकिन ये सारे स्लोगन एक तरफ और मैंने आज जो स्लोगन देखा, वो फिर भी इन सब पर भारी पड़ता है…युवा-युवतियों के बेहद पसंदीदा सार्वजनिक पार्क के बाहर बोर्ड पर लिखा था-
पेड़ों के साथ उतना ही प्यार करो, जितना प्यार पेड़ों के पीछे करते हो…
स्लॉग ओवर
मक्खन…कल मैंने पत्नी के घुटने ज़मीन पर टिकवा दिए…
ढक्कन…वाह तू तो बड़ा दिलेर निकला…आखिर लड़ाई खत्म कैसे हुई…
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मक्खन…अरे होना क्या था…पत्नी ने ही कहा…अब पलंग के नीचे से बाहर निकल आओ, कुछ नहीं कहूंगी…
save enviroment save tree
save enviroment save tree
केदार नाथ सिंह की एक कविता हम लोग इसी तर्ह स्लोगन के रूप मे इस्तेमाल करते है …" उसका हाथ / अपने हाथो में लेते हुए / मैने सोचा / पृथ्वी को भी इसी तरह/ गर्म और सुन्दर होना चाहिये "
really best quote about nature
हमारे शहर में स्मृति गार्डेन आपकी पोस्ट की सच्चाई को पूरी गंभीरता से प्रकट करता है …
मजाक को छोड़ दें …तो पेड और हरियाली के प्रति जागरूक होना ही चाहिए …
अच्छी पोस्ट !
पेड़ों के साथ उतना ही प्यार करो, जितना प्यार पेड़ों के पीछे करते हो…
हरा भरा संदेश।
पेड़ों के पीछे का प्यार तो कुछ क्षणों का ही होता है.
पेडों के पीछे प्यार करने के लिए पेड को बडा होने दें। उसे काटे नहीं, नहीं तो प्यार करने के लिए जगह कहाँ से ढूंढोंगे?
पेड़ों के साथ उतना ही प्यार करो, जितना प्यार पेड़ों के पीछे करते हो..
-बहुत सन्नाट मैसेज!
ललित भाई,
इस बार दिल्ली आओगे तो लोधी गार्डन चल कर अपनी आंखों से ही नज़ारा देख लेना…
जय हिंद…
पेड़ों के साथ उतना ही प्यार करो, जितना प्यार पेड़ों के पीछे करते हो…
वाह गजब कर दिया खुशदीप भाई, लेकिन अब पेड़ ही कितने बचे हैं जो पेड़ों के पीछे……….
मक्खन फिर वहीं है, पलंग के नीचे…..
नारा वाकई में बढ़िया है..
tan, man, dhan
sabse uper wan.
पेड़ों की कीमत कम से कम प्यार करने वालों को तो समझनी चाहिए ।
स्लोग ओवर मस्त रहा ।
वाकई बहुत बढ़िया सन्देश है ! पेड़ मानवजाति के सबसे अच्छे मित्र हैं और हमें इनके बारे में सबसे कम मालुम है !
इन दोनों को सकुशल देख ख़ुशी हुई चाहे चारपाई के ही नीचे क्यों न हों !
प्रेम करो… एक पेड़ अपनाओ …. खुद बढ़ो और अपने बच्चों के लिए भी पेड़ उगाओ !
अनुकरणीय सलोगन ….साधुवाद
अब तक का सबसे श्रेष्ठ स्लोगन।
उस्ताद जी … आप शायद भूल रहे है कि अपने खुशदीप भाई एक पत्रकार है और उनका काम है खबरों के साथ खेलना तो ऐसे में स्टॉक की कमी तो हो ही नहीं सकती !
स्लोगन बढ़िया रहा …खुशदीप भाई !
पेड़ों के साथ उतना ही प्यार करो, जितना प्यार पेड़ों के पीछे करते हो…
बहुत बढिया स्लोगन है …
4/10
ठीक है पोस्ट
ये पलंग के नीचे वाला किस्सा शायद कालजयी है. सैकड़ों बार सुनने के बावजूद भी इसकी ताजगी हमेशा कायम रहेगी.
एक सवाल : यहाँ लोगों को लिखने के लिए कुछ भी मसाला नहीं मिल रहा, ऐसे में आप के पास स्टाक कहाँ से आता है ?
वाह-वाह खुशदीप जी स्लॉग ओवर तो शानदार है….
क्रप्या घर की बाते ना बताया करे ……………. मकखन की
बेचारी…. नारी.मक्खन को जरुर सजा मिलनी चाहिये, जो झुकने की जगह इन नारियो पर जुल्म कर रहा हे.चुपचाप पहले ही निकल आता ना…