आपको कोई संदेश देना है…जागरूकता लानी है…तो सबसे अच्छा तरीका क्या होता है…यही न, कि कोई प्यारा सा स्लोगन ढूंढा जाए…ग्लोबल वार्मिंग, धरती बचाओ, पेड़ लगाओ, गो ग्रीन जैसे कितने भी स्लोगन दे दिए जाएं लेकिन पर्यावरण की अनदेखी बंद नहीं हो रही…यही हाल रहा तो हमारे नदी, जंगल, वन्यजीवन, ग्लेशियर सब खत्म हो जाएंगे…लेकिन ये सारे स्लोगन एक तरफ और मैंने आज जो स्लोगन देखा, वो फिर भी इन सब पर भारी पड़ता है…युवा-युवतियों के बेहद पसंदीदा सार्वजनिक पार्क के बाहर बोर्ड पर लिखा था-
पेड़ों के साथ उतना ही प्यार करो, जितना प्यार पेड़ों के पीछे करते हो…
स्लॉग ओवर
मक्खन…कल मैंने पत्नी के घुटने ज़मीन पर टिकवा दिए…
ढक्कन…वाह तू तो बड़ा दिलेर निकला…आखिर लड़ाई खत्म कैसे हुई…
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मक्खन…अरे होना क्या था…पत्नी ने ही कहा…अब पलंग के नीचे से बाहर निकल आओ, कुछ नहीं कहूंगी…
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