कल मुझे अपने साथ-साथ अजय कुमार झा और शाहनवाज़ सिद्दीकी के तेहरान रेडियो की हिंदी सर्विस को दिए इंटरव्यू भी आपको सुनाने थे…लेकिन फिर सबकी बातें सुनने में ज़्यादा वक्त लगता…इसलिए मैंने इन्हें दो हिस्सों में तोड़ दिया…फिर इसकी खास वजह भी थी..
आज शाहनवाज़ का जन्मदिन भी है…मैंने सोचा शाहनवाज़ को तोहफ़े के तौर पर ये पोस्ट सौंपी जाए…इसलिए शाहनवाज़ का तो डबल बधाई वाला काम हो गया…
और हमारे छैल-छबीले अजय कुमार झा जी तो हैं ही एवरग्रीन..शेखर सुमन की तरह हर बीते दिन के साथ ये रिवर्स गियर मार कर और जवान होते जा रहे हैं…दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाहर खड़े हो जाएं तो सारे छोरे जल-जल कर राख हो जाएं…
खैर समाज को साम्प्रदायिकता जैसे नासूर से बचाकर कैसे बेहतर बनाया जाए, कैसे अमन-प्यार का अलख जगाया जाए, इस पर दोनों ने ही इंटरव्यू में सारगर्भित विचार रखे…
सुनिए शाहनवाज़ और अजय कुमार झा को उन्हीं की ज़ुबानी…
शाहनवाज़ सिद्दीकी
अजय झा
(इस इंटरव्यू में अजय भाई के साथ अनिल कुमार तामकार, कायम मेहँदी, अपेक्षा के भी विचार है )
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