नेता…हम जनता के नुमाइंदे हैं…
सिविल सोसायटी- हम जनता के नुमाइंदे हैं…
नेता…विरोधी कुछ भी कहें, हमें जनता चुन कर भेजती है..
सिविल सोसायटी…सरकार, नेता कुछ भी कहें, हम जनता की असली आवाज़ हैं…
नेता…हमारे विरोधी हम पर आरोप द्वेष भावना के चलते लगाते हैं जिससे हम चुनाव न जीत सकें…
सिविल सोसायटी…भ्रष्टाचारी नेता एकजुट होकर हम पर आरोप लगा रहे हैं जिससे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुहिम पटरी से उतर जाए…
नेता…जब तक अदालत (वो भी सुप्रीम कोर्ट) दोषी करार न दे दे हम निर्दोष हैं…
सिविल सोसायटी…झूठा आरोप लगाने वालों को अदालत में जवाब देना होगा…अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें…
मॉरल ऑफ द स्टोरी…सब दूध के धुले हैं, कमबख्त ये जनता ही मतिभ्रष्ट है, जो चांद को खिलौना समझ कर छूने की जिद करने लगती है…हम होंगे कामयाब…हम होंगे कामयाब…
चलिए अब दिमाग़ पर ज़ोर मत डालिए…नीचे का वीडियो गौर से और पूरा देखिए…क्या जनता का भविष्य यही है….
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थोड़ा दोष जनता का भी है, क्यों भेडचाल का शिकार हो जाती है । क्यों मत देती है राजनीतिक दलों को । वोट उन प्रत्याशियों को दे जो योग्य हैं, जनहितेषी हैं । काबिल – नाकाबिल प्रत्याशियों को जनता खूब पहचानती है, लेकिन मतदान के माहौल में भे़ड़चाल का शिकार हो जाती है और फिर वही होता है जो खुशदीप जी आप क्लिप में दिखा रहे हैं । और क्या कहें – जाने भी दो यारो ।
आदर सहित
सी पी बुद्धिराजा
जनता तो अब बस यही पूछती रहती है –ये क्या हो रहा है ।
लेकिन बस कुछ नहीं चलता ।
वास्तविक घंटा तो जनता ही है जिसे लोकतंत्र के चारों स्तंभ रुपी ये अधिकारभोगी ???? अपने-अपने तरीके से बजाए जा रहे हैं ।
sari post ka javab yehi do panktiyan hain:
जनता ही मतिभ्रष्ट है, जो चांद को खिलौना समझ कर छूने की जिद करने लगती है…
vicharniya post hai "Janta Ke Liye"
घंटा बजाने वाले भी घंटाल हैं गुरु
इसलिए जनता भी बेहाल है गुरु 🙂
हमाम में सब नंगे हैं!
दिनेश जी से सहमत्।
sab janta ka hai….
jai baba banaras….
जनता सबकी भौज़ाई है,
जिस कोई भी सरे राह छेड़ सकता है !
जाने भी दो यारों का ये नाटक वाला दृश्य हिंदी सिनेमा का स्वर्णिम पृष्ठ है…और आप का लेख…सोने पे सुहागा…
हम सब द्रौपदी ही हैं.
नीरज
जन जन की आवाज ही तो जनता की आवाज होती है.अब जब जन जन की आवाज अलग अलग है तो हर जन की आवाज को ही जनता की आवाज मानकर नेता या सिविल सर्वेंट कहे की जनता की आवाज है तो इसमें अचरज क्या है.आखिर वे भी तो जन ही हैं.
जेपी,वीपी आदि के आन्दोलन को भ्रष्टाचारियों ने हाई जैक कर लिया था अब अन्ना के आन्दोलन की भी यही गत होनी है | जब तक देश की जनता का चरित्र ठीक नहीं होगा तब तक उसका यूँ ही घंटा बजता रहेगा |
इस देश में तो जनता की घंटी ही बजनी है चाहे तो संगठित हो या असंगठित | पहले भी संगठित होकर जनता ने क्या कर लिया उसके मत्थे तो जो भी पड़ता है भ्रष्टाचारी ही पड़ता है |
सही है खुशदीप भाई ….
अब हमारा क्या होगा कालिया 🙁
जनता जब संगठित हो जाए तो वह खुद सब की घंटी बजा देती है।
जनता का तो यही हाल होता है….
आम आदमी या आम का रस
गर्मियों में खूब आनंद देता है
आओ आमरस पिएं
आम जनता का रस
नेता चूस रहे हैं
मजे दार लेकिन सत्य जनता ओर यह मंदिर का घंटा एक समान हे जी….
yahi hasra hota hai aam aadmi ka yahan..