जनता या मंदिर का घंटा, जो चाहे आकर बजा दे…खुशदीप

नेता…हम जनता के नुमाइंदे हैं…
सिविल सोसायटी- हम जनता के नुमाइंदे हैं…


नेता…विरोधी कुछ भी कहें, हमें जनता चुन कर भेजती है..
सिविल सोसायटी…सरकार, नेता कुछ भी कहें, हम जनता की असली आवाज़ हैं…


नेता…हमारे विरोधी हम पर आरोप द्वेष भावना के चलते लगाते हैं जिससे हम चुनाव न जीत सकें…
सिविल सोसायटी…भ्रष्टाचारी नेता एकजुट होकर हम पर आरोप लगा रहे हैं जिससे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुहिम पटरी से उतर जाए…

नेता…जब तक अदालत (वो भी सुप्रीम कोर्ट) दोषी करार न दे दे हम निर्दोष हैं…
सिविल सोसायटी…झूठा आरोप लगाने वालों को अदालत में जवाब देना होगा…अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें…


मॉरल ऑफ द स्टोरीसब दूध के धुले हैं, कमबख्त ये जनता ही मतिभ्रष्ट है, जो चांद को खिलौना समझ कर छूने की जिद करने लगती है…हम होंगे कामयाब…हम होंगे कामयाब…


चलिए अब दिमाग़ पर ज़ोर मत डालिए…नीचे का वीडियो गौर से और पूरा देखिए…क्या जनता का भविष्य यही है….

Want to know why wife is called Virus, click this

Khushdeep Sehgal
Follow Me
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
chander prakash
14 years ago

थोड़ा दोष जनता का भी है, क्यों भेडचाल का शिकार हो जाती है । क्यों मत देती है राजनीतिक दलों को । वोट उन प्रत्याशियों को दे जो योग्य हैं, जनहितेषी हैं । काबिल – नाकाबिल प्रत्याशियों को जनता खूब पहचानती है, लेकिन मतदान के माहौल में भे़ड़चाल का शिकार हो जाती है और फिर वही होता है जो खुशदीप जी आप क्लिप में दिखा रहे हैं । और क्या कहें – जाने भी दो यारो ।
आदर सहित
सी पी बुद्धिराजा

डॉ टी एस दराल

जनता तो अब बस यही पूछती रहती है –ये क्या हो रहा है ।
लेकिन बस कुछ नहीं चलता ।

Sushil Bakliwal
14 years ago

वास्तविक घंटा तो जनता ही है जिसे लोकतंत्र के चारों स्तंभ रुपी ये अधिकारभोगी ???? अपने-अपने तरीके से बजाए जा रहे हैं ।

Kavita Prasad
14 years ago

sari post ka javab yehi do panktiyan hain:

जनता ही मतिभ्रष्ट है, जो चांद को खिलौना समझ कर छूने की जिद करने लगती है…

vicharniya post hai "Janta Ke Liye"

ब्लॉ.ललित शर्मा

घंटा बजाने वाले भी घंटाल हैं गुरु
इसलिए जनता भी बेहाल है गुरु 🙂

Shah Nawaz
14 years ago

हमाम में सब नंगे हैं!

vandana gupta
14 years ago

दिनेश जी से सहमत्।

Unknown
14 years ago

sab janta ka hai….

jai baba banaras….

डा० अमर कुमार


जनता सबकी भौज़ाई है,
जिस कोई भी सरे राह छेड़ सकता है !

नीरज गोस्वामी

जाने भी दो यारों का ये नाटक वाला दृश्य हिंदी सिनेमा का स्वर्णिम पृष्ठ है…और आप का लेख…सोने पे सुहागा…
हम सब द्रौपदी ही हैं.
नीरज

Rakesh Kumar
14 years ago

जन जन की आवाज ही तो जनता की आवाज होती है.अब जब जन जन की आवाज अलग अलग है तो हर जन की आवाज को ही जनता की आवाज मानकर नेता या सिविल सर्वेंट कहे की जनता की आवाज है तो इसमें अचरज क्या है.आखिर वे भी तो जन ही हैं.

Gyan Darpan
14 years ago

जेपी,वीपी आदि के आन्दोलन को भ्रष्टाचारियों ने हाई जैक कर लिया था अब अन्ना के आन्दोलन की भी यही गत होनी है | जब तक देश की जनता का चरित्र ठीक नहीं होगा तब तक उसका यूँ ही घंटा बजता रहेगा |

Gyan Darpan
14 years ago

इस देश में तो जनता की घंटी ही बजनी है चाहे तो संगठित हो या असंगठित | पहले भी संगठित होकर जनता ने क्या कर लिया उसके मत्थे तो जो भी पड़ता है भ्रष्टाचारी ही पड़ता है |

Satish Saxena
14 years ago

सही है खुशदीप भाई ….
अब हमारा क्या होगा कालिया 🙁

दिनेशराय द्विवेदी

जनता जब संगठित हो जाए तो वह खुद सब की घंटी बजा देती है।

Udan Tashtari
14 years ago

जनता का तो यही हाल होता है….

अविनाश वाचस्पति

आम आदमी या आम का रस
गर्मियों में खूब आनंद देता है
आओ आमरस पिएं
आम जनता का रस
नेता चूस रहे हैं

राज भाटिय़ा

मजे दार लेकिन सत्य जनता ओर यह मंदिर का घंटा एक समान हे जी….

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

yahi hasra hota hai aam aadmi ka yahan..

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x