खाने के लिए जीना, जीने के लिए खाना…खुशदीप

रोजाना जो खाना खाते हो वो पसंद नहीं आता ? उकता गये ?

…………थोड़ा पिज्जा कैसा रहेगा ?

नहीं ??? ओके….पास्ता ?

नहीं ?? …इसके बारे में क्या सोचते हैं ?

आज ये खाने का भी मन नहीं ? … ओके .. क्या इस मेक्सिकन खाने को आजमायें ?

दुबारा नहीं ? कोई समस्या नहीं …. हमारे पास कुछ और भी विकल्प हैं……..

ह्म्म्मम्म्म्म … चाइनीज ???????

बर्गर्स…???????

ओके .. हमें भारतीय खाना देखना चाहिए ……. ? दक्षिण भारतीय व्यंजन ना ??? उत्तर भारतीय ?

जंक फ़ूड का मन है ?

हमारे पास अनगिनत विकल्प हैं ….. .. टिफिन ?

मांसाहार ?

ज्यादा मात्रा ?

आप इनमें से कुछ भी ले सकते हैं … या इन सब में से थोड़ा- थोड़ा ले सकते हैं …

अब शेष बची पोस्ट के लिए परेशान मत होइए…

मगर .. इन लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है …

इन्हें तो बस थोड़ा सा खाना चाहिए ताकि ये जिन्दा रह सकें ……….

इनके बारे में अगली बार तब सोचना जब आप किसी केफेटेरिया या होटल में यह कह कर खाना फैंक रहे होंगे कि यह स्वाद नहीं है !!

इनके बारे में अगली बार सोचना जब आप यह कह रहे हों… यहाँ की रोटी इतनी सख्त है कि खायी ही नहीं जाती….

कृपया खाने के अपव्यय को रोकिये…

अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी/ समारोह हो और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप 1098 (केवल भारत में ) पर फ़ोन करें – यह एक मजाक नहीं है – यह चाइल्ड हेल्पलाइन है…वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे…

मैंने ई-मेल से मिले संदेश को ज़्यादा से ज़्यादा प्रचारित करने के लिए ये पोस्ट लिखी है…आप भी अपने हर जानने वाले तक इस संदेश को पहुंचाने की कोशिश कीजिए ताकि उन बच्चों का पेट भर सकें जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है…

‘मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं…

स्लॉग ओवर

अदनान सामी (पतला होने के इलाज से पहले वाले) को एक दावत में बुलाया गया…

अदनान के लिए खास तरह का टेबल लगाया गया था…हर तरह की डिश टेबल पर मौजूद…

वेटर आया और अदनान की टेबल पर डेढ़ सौ गर्मागर्म रोटियां एक टोकरी में रख कर चला गया…

अदनान ने ये देखा और गुस्से में वेटर को आवाज़ देकर बुलाया और झाड़ लगाई…

मुझे समझा क्या हुआ है बे…डंगर (जानवर)…इतनी रोटियां खाऊंगा मैं…चल ऊपर से एक रोटी उठा कर ले जा….