क्यों कहते हो फिर बेटियों को लक्ष्मी…खुशदीप

कब बदलेगी संस्कारवान होने का दावा करने वाले इस देश की सोच …..


बेबी फलक ने दिल्ली के एम्स में15 मार्च को दम तोड़ा, दो साल की फलक  को 18 जनवरी  को  बड़े  बुरे  हाल  में 
अस्पताल लाया गया था…उसके सिर को पटक पटक कर मारा गया था…

बुधवार सुबह तीन महीने की आफरीन ने बंगलौर के  एक सरकारी अस्पताल  में दम  तोडा…पिता  पर  ही  बेटे  की  चाहत
में आफरीन पर बेतहाशा ज़ुल्म ढहाने का आरोप है…मासूम के शरीर पर सिगरेट से दागे जाने के भी निशान मिले…


ग्वालियर के नरेंदर राणा को अपनी दो दिन की बच्ची को तम्बाकू  देकर  मारने  के आरोप में गिरफ्तार  किया  गया  है 

देवी, अब तुम्हारा लिंग निर्धारण हो गया है, अब बताओ भ्रूण में ही हत्या  पसंद  करोगी या इस दुनिया में  आते  ही, या फिर  बलात्कार और  हत्या  के लिए थोड़ा बड़े होने का इंतज़ार करोगी….


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अजित गुप्ता का कोना

पुरुष नामक जीव को संस्‍कारों की बहुत आवश्‍यकता है।

Satish Saxena
13 years ago

हत्यारे हमारे बीच ही हैं ….

Ayaz ahmad
13 years ago

अगर ग़लत बात को चंद संजीदा लोग मिलकर ग़लत कह दें तो ग़लत आदमी का हौसला टूट जायेगा.
सच को सच कहना जितना ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी है ग़लत को ग़लत कहना.
जो आदमी किसी से भी बुरा नहीं बनना चाहता वह सच का साथ क्या दे पायेगा ?
इंसाफ करो और ज़ुल्म को बुरा समझो और ज़ालिम की मुखालिफ़त करो.
बुरों को समझाओ और ना मानें तो दुत्कारो.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

ये सब के सब अत्याचारी राक्षस हैं. राक्षसों कहीं और नहीं हमारे ही बीच हैं. इनके साथ भी शठे शाठ्यं समाचरेत होना चाहिये.

राजन
13 years ago

इस तरह की खबरें पढ पढकर अब हम लोगों की संवेदनाएँ भी खत्म हो गई है.अब ऐसी खबरें सिर्फ खबरें ही लगती हैं लेकिन जब से इस खबर और इस बच्ची को देखा है तब से लग रहा हैं कि काश उस दरिंदे पिता को सजा देने का हक हमें दे दिया जाता.काश की ऐसा हो पाता लेकिन कुछ अपराध ऐसे ही होते है जिनके लिए जंगल के कानून लागू करना ही उचित होता है.मौत जैसी कोई आसान सजा इसे नहीं मिलनी चाहिए बल्कि इसे जीते जी अमानवीय यातनाएँ दी जानी चाहिये और उसे पब्लिक को दिखाना चाहिये.इसके शरीर पर जगह जगह सिगरेट से दागने के अलावा ब्लेड से चीरे लगाए जाने चाहिए और फिर उन्हें नमक से भर देना चाहिये.इसे नंगा करके कोडों से सुताई करनी चाहिये ऑर फिर बर्फ पर लेटा देना चाहिये पागल कुत्तों को इस पर छोडा जाना चाहिये.लेकिन इसे मरने न दिया जाए और जब तक जीवित रहे तब तक रह रहकर अमानवीय यातनाओं का ऐसा दौर चलाया जाए जो कभी थमने का नाम ही न ले.

डॉ टी एस दराल

बहुत मुश्किल है इसका ज़वाब ।
फिल्म मुन्ना भाई का आरंभिक दृश्य याद आता है जब जेब कतरे को सुनील दत्त बोलता है –ये जो पब्लिक है , सब गुस्से में हैं । कोई घर से लड़ कर आया है , कोई बॉस की डांट खाकर — यहाँ सभी हालात से डरे हुए हैं ।

वन्दना अवस्थी दुबे

मन खराब हो गया है इन घटनाओं को पढ के, सुन के, देख के.

Vandana Sharma
13 years ago

behad sharmnaak hai ki ham bhi isi bhaarat ki beti hain……aapka 'agle janam mohe bitiya na keejo' article bhi behtareen hai.

सुनीता शानू

हर दिन यही कहानी, हर साल सैंकड़ो बलात्कार, हत्याएं क्यों मगर?

sonal
13 years ago

वहशी घूम रहे है ..घर में ,सड़क पर ,बाजारों में …. अपने खून का खून करने में भी इन्हें संकोच नहीं होता

shikha varshney
13 years ago

उफ़…

शिवा
13 years ago

ऐसे हैवान … बेटियों की हत्या करने से पहले यह क्यों नहीं सोंचते कि जिस माँ की कोख से जन्म लिया था वह भी तो किसी की बेटी ही थी ना ……?

प्रवीण पाण्डेय

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान..

Seema
13 years ago

pehle devi bolte hai phir usi ki bali bhi chadate hai…….pata nahi kab badlega ye samaj

vandana gupta
13 years ago

्यही है सबसे बडी त्रासदी लडकी को जीने का , बोलने का , सांस लेने का अधिकार ही नही देना चाहता ये समाज ………

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