क्या शर्मिला इरोम को प्रेम का हक़ नहीं…खुशदीप

मणिपुर में शर्मिला इरोम चानु को लेकर नई बहस छिड़ी है…दरअसल कोलकाता के एक अंग्रेज़ी समाचार पत्र में छपे शर्मिला के एक इंटरव्यू को लेकर शर्मिला के समर्थकों में उबाल है…आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट को हटाने की मांग को लेकर दो नवंबर 2000 से भूख हड़ताल कर रही शर्मिला ने कुछ पत्रकारों के सामने कबूल किया था कि उन्हें गोवा मूल के एक ब्रिटिश नागरिक से प्रेम रहा है, लेकिन उनके समर्थकों को ये पसंद नहीं आया और उन्होंने ब्रिटिश नागरिक से कड़वा बर्ताव किया…

कोलकाता के जिस समाचारपत्र ने ये इंटरव्यू छापा उसे मणिपुर के प्रभावशाली अपुनबा लुप ने राज्य में बैन कर दिया है…अपुनबा लुप तेरह प्रमुख सिविल सोसायटी संगठनों का गठबंधन है…इस गठबंधन का कहना है कि इंटरव्यू सरकार की साज़िश के तहत छपवाया गया है जिससे कि शर्मिला के आंदोलन और निरकुंश आर्म्ड फोर्सज स्पेशल पावर एक्ट से लोगों का ध्यान हटाया जा सके…

39 वर्षीय शर्मिला ने इम्फाल के तुलीहाल एयरपोर्ट पर एक नवंबर 2000 की घटना के बाद इस एक्ट को हटाने की मांग को लेकर अनशन शुरू किया था…उस दिन असम राइफल्स ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की थी जिसमें दस लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए थे…तब से वो एक अस्पताल में नज़रबंदी की स्थिति में हैं और उन्हें नाक से ही फीड दिया जा रहा है…शर्मिला का अनशन अपने आप में विश्व का सबसे लंबा चलने वाला इस तरह का आंदोलन है…

डेसमंड कॉटिन्हो

अखबार के मुताबिक शर्मिला ने इंटरव्यू में 48 वर्षीय डेसमंड कॉटिन्हो के लिए अपने दिल में साफ्ट कार्नर के बारे में बताया…लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता डेसमंड और शर्मिला के बीच पिछले एक साल से खत लिखने का सिलसिला चल रहा था लेकिन दोनों की पहली बार मुलाकात इस साल नौ मार्च को तब हुई जब शर्मिला को एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया था…खत लिखने के दौरान ही डेसमंड ने शर्मिला को प्रपोज़ किया था जिसे शर्मिला ने कबूल कर लिया…डेसमंड ने शर्मिला को एक एप्पल मैक्बुक भी तोहफ़े में दिया…

अखबार के मुताबिक शर्मिला ने कहा कि उनके समर्थक नहीं चाहते कि वो शादी करें…हालांकि शर्मिला ने साफ किया है कि वो शादी तब तक नहीं करेंगी जब तक वो आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट को हटाने के अपने मिशन में कामयाब नहीं हो जाती…शर्मिला ने ये भी कहा कि डेसमंड इसी साल फरवरी में इम्फाल में मिलने आए थे लेकिन इसके लिए उन्हें कई दिनों तक लंबा इंतज़ार करना पड़ा…

शर्मिला की इस कहानी को पढ़ने के बाद कई सवाल जेहन में कौंधने लगे…पहला सवाल क्या वाकई सरकार ने शर्मिला के आंदोलन को पलीता लगाने के लिए अखबार के साथ मिलकर ये इंटरव्यू छपवाया, जैसे कि अपुनबा लुप कह रहा है तो वाकई ये बहुत शर्मनाक बात है और अखबार का मणिपुर ही नहीं सब जगह पर सिविल बैन कर दिया जाना चाहिए…सिक्के के दूसरी तरफ देखें कि अगर अखबार की बातों में सच्चाई है और शर्मिला को वाकई डेसमंड से प्रेम है तो शर्मिला के समर्थक जैसा बर्ताव डेसमंड के साथ कर रहे हैं, क्या उसे जायज़ करार दिया जाएगा..क्या शर्मिला को प्रेम या शादी का अधिकार नहीं है…अखबार के मुताबिक शर्मिला ने साफ किया ही है कि वो आंदोलन में कामयाबी के बाद ही शादी करेंगी…आंदोलन अपनी जगह है मानवीय संवेदनाएं अपनी जगह…मकसद कितना भी बड़ा और पवित्र क्यों न हो लेकिन क्या उसके लिए किसी व्यक्ति को बंधक की तरह मोहरा बना लेना सही है…क्या ऐसा नहीं हो सकता कि डेसमंड का भावनात्मक साथ मिलने के बाद शर्मिला को अपने आंदोलन के लिए दुगनी शक्ति और ऊर्जा मिले…अगर शर्मिला को लेकर अखबार के दावे सही हैं तो कम से कम मुझे शर्मिला के समर्थकों का व्यवहार सही नहीं लग रहा…आप क्या कहते हैं…

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Salute to “The Lady”…Khushdeep

मक्खनी ने पूछा मक्खन से…खुशदीप

Khushdeep Sehgal
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mukti
13 years ago

सही कह रहे हैं आप. अगर इस बात में ज़रा भी सच्चाई है, तो ये शर्मिला के साथ बहुत बड़ा अन्याय है.

Arvind Mishra
13 years ago

स्थापनाएं जानती हैं कैसे खुद के खिलाफ उभरते आवाज को दबा दिया जाय ….हथकंडे कई हैं !

वाणी गीत
13 years ago

यदि शर्मीला के पास किसी को पसंद करने का अधिकार भी नहीं तो , वे दूसरों के अधिकारों के लिए कैसे लड़ सकती हैं …बेशक यदि बदनाम करने की नियत से यक कृत्य किया गया है तो उसका विरोध करना चाहिए , लेकिन यदि शर्मीला वाकई किसी को पसंद करती हैं तो विरोध करने वालों का विरोध होना चाहिए !

Atul Shrivastava
13 years ago

सहमत।
शर्मिला को क्‍यों प्रेम का हक नहीं है… यह समर्थक क्‍या समझा सकते हैं… क्‍या उनके समर्थकों की कोई निजी जिंदगी नहीं है…
तो फिर शर्मिला को इससे क्‍यों वंचित करने का काम हो रहा है।

Pallavi saxena
13 years ago

आपसे पूर्ण सहमति है
कभी समय मिले तो आएगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

बेनामी
बेनामी
13 years ago

पूरी तरह सहमत – यदि वे उक्त व्यक्ति प्रेम करती हैं, तो यह उनका निजी निर्णय है | उनके समर्थकों को शर्म आनी चाहिए यह सब करते हुए | यदि नहीं, तो अखबार को बैन कर देना चाहिए |

देवेन्द्र पाण्डेय

आलेख से सहमत। मगर यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि सत्य क्या है….?

rashmi ravija
13 years ago

डेसमंड का भावनात्मक साथ मिलने के बाद शर्मिला को अपने आंदोलन के लिए दुगनी शक्ति और ऊर्जा मिले…

कोई शक्ति या उर्जा मिले या ना मिले…पर अगर शर्मिला किसी को पसंद करती हैं तो इसका उन्हें पूरा अधिकार है. सच्चाई का तो पता नहीं…लेकिन अगर उनके समर्थक अपने स्वार्थ के लिए शर्मिला का इस्तेमाल कर रहे हैं..तो यह शर्मनाक है…और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

bilkul hai. samarthak kuchh adhik hi bhawuk ho gaye lagte hain..

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

समर्थक खुद पागल प्रेमी होते हैं वे दूसरे को कैसे पसंद कर सकते हैं ?

shikha varshney
13 years ago

सच ही तो है.दूसरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला इंसान ही कहाँ होता है? वो तो एक पागल है फिर उसमें मानवीय संवेदनाएं कहाँ से आईं.
हंसी भी नहीं आती ऐसे लोगों की मानसिकता पर.
आपसे पूर्ण सहमति है.

Prem Prakash
13 years ago

यह एक सत्याग्रही का प्रेम तो है ही…कहीं न कहीं यह प्रेम का भी सत्याग्रह है…शुक्रिया इरोम इस जिंदादिली के लिए…!

Gyan Darpan
13 years ago

अगर शर्मिला को लेकर अखबार के दावे सही हैं तो कम से कम मुझे शर्मिला के समर्थकों का व्यवहार सही नहीं लग रहा
@ इस विचार से सहमत

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।

हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

Geeta
13 years ago

aapne sikke ke dono pehlu bataye, or mai dono hi taraf se sehmat hu

सागर
13 years ago

समर्थकों का ये व्यवहार तो भाईगिरी हो गयी की अगर फील्ड में आओ तो प्रेम और घर छोड़ दो. मैं इरोम का समर्थक हूँ और अंतिम पैरे में आपके द्वारा उठाई गयी चिंता से सहमति है. उनके समर्थकों को ये सोचना चाहिए लेकिन यह भी तो बड़ा मौलिक सा ख्याल है इतना ज्ञान तो उनको पहले से ही होना चाहिए था.

Satish Saxena
13 years ago

समर्थकों के काबू में शर्मीला ……

प्रवीण पाण्डेय

समर्थकों के अधिकार क्षेत्र में शर्मिला।

Shah Nawaz
13 years ago

Main bhi sehmat hoon aapse…

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