क्या आसान, क्या मुश्किल-2…खुशदीप

जीत की खुशी का इज़हार करना आसान होता है…


हार को गरिमा के साथ स्वीकारना बहुत मुश्किल…







हर रात सपना देखना आसान होता है…


सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष बहुत मुश्किल…







हर रात प्रार्थना करना आसान होता है…


छोटी छोटी चीज़ों में भगवान तलाशना बहुत मुश्किल…

 



हम प्यार करते हैं, कहना आसान होता है…


लेकिन हर दिन प्यार का इज़हार करना बहुत मुश्किल…







हर किसी की आलोचना करना आसान होता है…


लेकिन खुद को बेहतर बनाने के लिए अपने अंदर झांकना बहुत मुश्किल…







अपने को बेहतर बनाने के लिए सोचना आसान होता है…


लेकिन इस सोच को बंद कर असल में कुछ करना बहुत मुश्किल…







किसी से पाना बहुत आसान होता है…


लेकिन खुद किसी को कुछ देना बहुत मुश्किल…