क्या आप में है एक ‘सोल्जर’…खुशदीप



महिला आरक्षण बिल इस देश में आज तक क्यों अटका है..


क्योंकि पुरुष राजनेताओं को लगता है कि महिलाओं के ज़्यादा चुनकर आने से राजनीति में उनका वर्चस्व घट जाएगा….


महिला सशक्तिकरण के लिए ज़ुबानी जमाखर्च बहुत हो चुका, अब वक्त है ठोस कुछ कर दिखाने का…


ब्लॉगर्स के लिए भी आज एक ऐसा ही मौका है…भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण की मुहिम ‘नारी’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने का…


क्या आप अपने इस दायित्व में पीछे रहेंगे?  


नहीं! तो फिर सोच क्या रहे हैं?






जर्मनी का अंतरराष्ट्रीय ब्रॉ़डकॉस्टर डॉयचे वेले बेस्ट ऑफ ब्लॉग्स के तहत बॉब्स अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार देने जा रहा है…इसके लिए तीन अप्रैल से वोटिंग भी शुरू हो चुकी है…ये वोटिंग 7 मई तक चलेगी..तो इस वोटिंग में आप भी ‘नारी’ को आगे करना चाहते हैं तो फटाफट जाइए इस लिंक पर और ‘श्रेणी’ वाले कॉलम में ‘बेहतरीन हिंदी ब्लॉग’ चुनिए और फिर वेबसाइट वाले कॉलम में ‘नारी’ ब्लॉग को चुनिए और दे दीजिए अपना वोट…आप 24 घंटे में एक बार अपनी आईडी से वोट कर सकते हैं यानि 7 मई तक 25 बार आप चाहें तो ‘नारी’ को वोट कर सकते हैं…

http://thebobs.com/hindi/category/2013/best-blog-hindi-2013/

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Pratibha Verma
12 years ago

बेहतरीन रचना
पधारें "आँसुओं के मोती"

Khushdeep Sehgal
12 years ago

अन्वेषक जी,

जैसा कि आपने खुद ही स्पष्ट कर दिया कि ऊपर की दोनों टिप्पणियां आप की ही की हुई हैं…इन टिप्पणियों को मैंने स्पैम से निकाल कर ना सिर्फ प्रकाशित किया है बल्कि बाकायदा इन पर पोस्ट भी बना दी है…जिससे ज़्यादा से ज़्यादा पाठक आपके सद्विचारों को पढ़ सकें…

जय हिंद…

Unknown
12 years ago

क्या खुसदीप भाई सबको पोपट समझा है क्या। सपाओर्ट ही करना था तो किसी ढंग के ब्लाग का करते। नारी ब्लाग मेन भला है क्या? भाषा, ले आउट, सामाजिकता? या फिर नारी के नियंत्रक की दादागीरी। सामूहिक ब्लाग से सभी सहयोगियों को निकाल बाहर करना या फिर आम प्पठकों को प्रतिबंधित कर देना। किस बात पर आपका दिल आ गया?

अगर आप वास्तव मेन नारीवाद के समर्थक हैं, तो चोखेरबाली का समर्थन करिए, तो सभी का समर्थन करते हुये अच्छा लगेगा। उस पर आप जिस सुर मेन नारी ब्लाग को समर्थन कर कर रहे हैं, प्रतिदिन उसे लेकर पोस्ट लिख रहे हैं, वह समर्थन कम साइकिक अधिक लाग्ने लगा है। उसे देख कर अब लोग हंस रहे हैं, आप का मज़ाक उड़ा रहे है।

कुछ लोग तो यहा तक कह रहे है की आप नारी के बहाने अपनी खीझ निकाल रहे हैं, की जब मेरे ब्लाग को नामित नाही किया, तो मैं ऐसे ब्लाग को जिताऔंगा जिसे देखते ही उबकाई आने लगे। अगर ऐसा नहीं है तो एक बार गंभीरता से सोचिए, क्योंकि या प्रसंग आपकी प्रतिष्ठा को प्राभावित कर रहा है। जिस प्रकार कमान से निकला हुआ तीर वापस नाही आता, उसी प्रकार प्रतिष्ठा मेन बट्टा लाग्ने मेन भी देर नाही लगती।

आशा है आप इस पोस्ट को पहली की तरह मिटाएँगे नाही और मेरे बातों को गंभीरता से लेते हुये, ऐसे ब्लाग का समर्थन करेंगे, जिसे देख कर, पढ़ कर पाठको को वास्तव मेन खुशी हो। क्योंकी ये सिर्फ वोट की बात नाही है, ये भाषा की गरिमा से भी जुड़ा हुआ है, देश की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है।

chander prakash
12 years ago

क्या खूबसूरत बात कही है – हिंदी को जीत मिलनी तो तय है ।

Dr. Santosh Kumar Yadav 'Anveshak'

बस भी करो खुसदीप भाई, सारे ब्लागर्स को पोपट समझा है क्या? नारी के प्रचार मेन आप तो मोदी को भी पीछे छोड़े पड़े पड़े हो। अरे नारीवाद का झण्डा ही बुलंद करना था तो चोखेर बाली को चुना होता। आप ऐसे ब्लॉग की वकालत कर रहे हो, जिसे देख कर ही उबकाई आती है। भाषा, ले आउट, मैटर कुछ तो होना चाहिए। और उस पर लेखिका महोदया का व्यवहार…. इससे पहले कि लोग आपकी नियत पर सवाल उठाने लगें, अपने आप पर नियंत्रण करें। कहीं ऐसा न हो कि ये नारी के प्रचार की अति आपकी वर्षों की मेहनत पर पानी न फेर दे…

Shah Nawaz
12 years ago

हमने तो सभी ब्लोग्स को रोजाना ज़्यादा से ज़्यादा वोट देने का मन बनाया है और दे भी रहे हैं, चाहे वोह नारी ब्लॉग हो, तस्लीम या फिर औरत की हकिक़त… आज से बाकि ब्लोग्स को भी देखता हूँ….

जीते कोई भी, हम यह जानते हैं कि इसमें हिंदी को जीत मिलनी तो तय है….

प्रवीण पाण्डेय

यदि कहीं अन्याय लक्षित जगत में,
जूझना था शेष, निश्चय विगत में,
स्वर उठें, निश्चय उठे, अधिकार बन,
सुप्त कर्णों पर टनक हुंकार सम,
पथ तकेंगे, कभी न लंका जलेगी,
बद्ध सीता, कमी हनुमत की खलेगी,
राम की होगी प्रतीक्षा, मर्म क्यों क्षत,
सेतु सागर पर बनाना, कर्म विस्तृत,
हो अभी प्रस्तावना, हम सब जुटें,
प्रबल है संभावना, मिल कर डटें।

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