चेन्नई में अवादी ब्रिज के पास खुले कब्रिस्तान में एक ताज़ा खुदी कब्र के पास एक कुत्ता 15 दिन तक भूखा-प्यासा कड़ी धूप-बरसात की परवाह किए बिना खुले में बैठा रहा। कुत्ते पर ब्लू क्रॉस संस्था के वॉलंटियर्स की नज़र पड़ी तो उन्होंने उसे खिलाने-पिलाने की कोशिश की। साथ ही सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहा। लेकिन कुत्ता टस से मस नहीं हुआ। बल्कि जो उसके पास आता, वो उस पर गुर्राता। साथ ही कब्र की मिट्टी पर पंजे मारता।
Blue Cross of India के जनरल मैनेजर Dawn Williams के मुताबिक जब आस-पास के लोगों से कुत्ते के बारे में पूछा गया तो सारा माज़रा समझ आया। दरअसल टॉमी नाम का ये कुत्ता 18 साल के किशोर भास्कर का था। भास्कर को बीती 2 अगस्त को एक तेज़ रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई। भास्कर की 50 वर्षीय मां सुंदरी के बारे में भी पता चला।
एक निर्माणाधीन इमारत में मजदूरी करने वाली भास्कर की मां साइट पर ही एक झुग्गी में बेटे के साथ रहती थी। जब सुंदरी को कब्र के पास लाया गया तो कुत्ता उसके पास आकर पांव चाटने लगा। सुंदरी ने कुत्ते को गले से लगा लिया। सुंदरी के मुताबिक टॉमी पिछले पांच साल से उसके बेटे के साथ खूब हिला हुआ था। जिस दिन से बेटे भास्कर की मौत हुई, उस दिन से ये कुत्ता भी कहीं नहीं दिख रहा था।
विधवा सुंदरी के मुताबिक बेटे के मौत की बाद उसे अपनी ज़िंदगी बेमायने लगने लगी थी। लेकिन अब टॉमी ने फिर उसे जीने का मकसद दिया है। सुंदरी फिर टॉमी को अपने साथ ले गई। जब टाइम्स ऑफ इडिया ने निर्माणाधीन इमारत के पास सुंदरी को ढूंढने की कोशिश की तो पता चला कि वो टॉमी को लेकर अपने मूल स्थान तिरुवन्नामलाई चली गई है।
बताइए अब आप टॉमी को क्या कहेंगे? कुत्ता या इनसानों से भी बढ़कर ‘इनसान’….