एक बार एक पिता अपने बेटे को देश में इसलिए घुमाने ले गया कि उसे अपनी आंखों से दिखा सके कि गरीब लोग कैसे जीते है…
दोनों एक बेहद गरीब किसान के खेत पर पहुंचे…दोनों ने दो दिन 48 के 48 घंटे किसान के परिवार के साथ गुज़ारे…
किसान के खेत से लौटने के बाद पिता ने बेटे से पूछा….कैसा रहा ट्रिप…
बेटे ने जवाब दिया…बहुत बढ़िया…
पिता…फिर बताओ कि इस ट्रिप से तुम्हें क्या सीखने को मिला…क्या फर्क देखा…
बेटा…मैंने देखा कि हमारे पास पट्टे वाला एक कुत्ता है, उनके पास बिना पट्टे वाले चार थे…
हमारा स्विमिंग पूल बाग के बीच जाकर खत्म हो जाता है…उनका जोहड़ खत्म होने का नाम ही नहीं लेता…
हमारे बाग में इम्पोर्टेड लैम्पपोस्ट लगे हैं…उनका रात भर सितारे साथ देते हैं…
हमारे पास रहने के लिए ज़मीन का छोटा सा टुकड़ा है…उनके पास रहने के लिए खेत हैं, जो जहां तक नज़र जाती है, वहीं तक फैले नज़र आते हैं…
हमारे पास नौकर-चाकर हैं जो हमारी सेवा करते रहते हैं…लेकिन वो खुद दूसरो की सेवा करते हैं…
बेटे की बात सुनकर पिता निशब्द था…
बेटा आगे बोला…शुक्रिया, डैड दिखाने के लिए कि हम कितने गरीब हैं…
अब आप सोचिए कि आपका जीवन कितना सरल और आनंद से भरा हो सकता है…
अगर हम अपने पास मौजूद सारी चीज़ों के लिए ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करें…बजाए इसके कि हर वक्त उन चीज़ो के लिए हमेशा अंदर ही अंदर घुलते रहें, जो हमारे पास नहीं हैं…
आपके पास जो भी है, उसके लिए खुशी जताओ…खास तौर पर उन सारे दोस्तों के लिए जो तुम्हें इसी दुनिया ने दिए हैं….
याद रखिए…ज़िंदगी बहुत छोटी है और दोस्त बहुत कम है…
(ई-मेल से अनुवाद)
- कर्नल सोफ़िया कुरैशी के नाम पर फेसबुक स्कैम - May 16, 2025
- बिलावल भुट्टो की गीदड़ भभकी लेकिन पाकिस्तान की ‘कांपे’ ‘टांग’ रही हैं - April 26, 2025
- चित्रा त्रिपाठी के शो के नाम पर भिड़े आजतक-ABP - April 25, 2025
bahut sundar lekh!!!
a novel thought well presented!
न जिंदगी छोटी है
न अब हैं दोस्त कम
वो बात अलग है
न मिटा पायें गम
इंटरनेट है न
और हैं ब्लॉग
खूब सारे ब्लॉगर भी हैं
खुशियों के दीप जलाने वाले
खुशदीप भाई तो हैं ही।
ये मक्खन तो कमाल का है ….
संभाल कर रख लिया है ….रोज़ थोडा थोडा स्वाद लेकर खाऊँगी …!!!
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
एक बेहतरीन लेख़ और ऐसी सोंच को नमन. सच मैं इन शहरों मैं बड़ी बड़ी कोथिओं मैं ग़रीब ही बसते हैं. और दोस्त "ज़िंदगी बहुत छोटी है और दोस्त बहुत कम है…भाई दोस्त अगर सच्चा एक भी मिल जाए तो इंसान धनवान हो जाए लेकिन आज के युग मैं दोस्ती भी ज़रुरत का नाम है..
हमारे पास नौकर-चाकर हैं जो हमारी सेवा करते रहते हैं…लेकिन वो खुद दूसरो की सेवा करते हैं…
बेटे की बात सुनकर पिता निशब्द था…
बेटा आगे बोला…शुक्रिया, डैड दिखाने के लिए कि हम कितने गरीब हैं…
शुक्रिया,शुक्रिया,शुक्रिया,शुक्रिया,शुक्रिया,शुक्रिया,शुक्रिया
बहुत बढ़िया पोस्ट।
अगर आप अपने आपको संतुष्ट कर सकते है तो आप दुनिया के सबसे अमीर आदमी है |
बहुत सटीक और सम्यक संदेश देती रचना..
रामराम.
बिल्कुल सही कहा।
ब़हुत खूब ………सर जी
याद रखिए…ज़िंदगी बहुत छोटी है और दोस्त बहुत कम है…
यह तो समझ आ रहा है ।
हम अपनी अमीरी की परिभाषा बना उसी में आनन्दित रहते हैं।
खुशदीप जी, मैंने भी इसे ईमेल के जरिए ही पूर्व में पढा था। इसे ही कहते हैं देखने का नजरिया।
aapne to kamal kar diya. badiya soach. aabhar.
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
'आदत.. मुस्कुराने की' पर भी पधारें !!
खुशदीप जी
नमस्कार
बहुत पसन्द आया
वाह!
बहुत अच्छी सीख। जीवन मे अगर ये सूत्र अपना लें तो बहुत से दुख दूर हो जायेंगे। पता नही कहाँ से ले आते हो इतने अच्छे सूत्र एक बोध कथा के रूप मे। आशीर्वाद।
@सतीश सक्सेना भाई जी,
आज ज़िंदगी के फ़लसफ़े के मक्खन से काम चलाइए…
जय हिंद…
आज मक्खन की कमी खल रही है भाई !:-)
सुंदर दर्शन।
@राज भाटिया जी,
इसी को शायद मृगतृष्णा कहते हैं…भौतिकतावादी युग में आप सब कुछ पाने की होड़ में क्या पीछे छोड़ते चले जाते हैं, उसका एहसास एक दिन ज़रूर होता है…और फिर अमेरिका जैसे देश से भी लोग दो पल की शांति के लिए ऋषिकेश जैसी जगहों का रुख करते हैं…
जय हिंद….
आदरणीय खुशदीप जी
नमस्कार
बहुत अच्छी सिख दे गयी आपकी यह पोस्ट …शुक्रिया
wow …din ki shuruwaat achhi post se hui
बहुत सुंदर बात कही आप ने, खुशी इसी बात मे हे, ओर हम ओर पाने की चाहत मे आगे आगे भागते हे, ओर जो पास होता हे उस का सुख नही भोग पाते.
धन्यवाद
बेहद उम्दा सबक !
जय हिंद !!