हां तो जनाब मैं बात कर रहा था उस लिस्ट की जो हम वक्त-वक्त पर बना कर पाकिस्तान को सौंपने का अनुष्ठान पूरा करते रहते हैं…जब पाकिस्तान के सम्मानित मेहमान ओसामा बिन लादेन का एबटाबाद की आलीशान हवेली में रहना अमेरिका को रास नहीं आता या मुल्ला उमर की आईएसआई के हाथों खातिरदारी की खबरें आती हैं तो हमें भी याद आ जाता है कि हमारे कुछ बंदों को भी पाकिस्तान ने परमानेंट गेस्ट बना रखा है…हम फिर पाकिस्तान को लिस्ट सौंप कर कहते हैं…बहुत कर ली आपने कराची के क्लिफ्टन में दाऊद की मेहमाननवाजी, अब हमें सौंप दीजिए..
इस पर पाकिस्तान का जवाब होता है, कौन दाऊद…
हाय, कौन न मर जाए पड़ोसी मुल्क के इस भोलेपन पर…लेकिन हमारी सरकार का अदब भी देखिए…फिर भी इसी उम्मीद पर जिए जा रहे हैं…एक दिन तो पाकिस्तान का दिल बदलेगा…और वो लाहौर से दिल्ली को आने वाली बस में इंडिया के सारे मोस्ट वांटेड को बिठा कर वाघा बार्डर खुद छोड़ने आएगा…चलिए ये तो रही पाकिस्तान की बात…
अब ज़रा ली जाए अपने घर की भी खबर…पाकिस्तान को हम इस तरह मोस्ट वांटेड की लिस्ट बनाकर सौंपते हैं जैसे घर पर किराना स्टोर से मंगाए जाने वाले सामान की लिस्ट बनाई जाती है…लिस्ट में हॉफ सेंचुरी पूरी करनी थी, इसलिए कुछ ऐसे महानुभावों के नाम भी जोड़ दिए जो यहां भारत में गिरफ्तार होने के बाद ज़मानत पर छूटे हुए हैं या फिर जेल में बंद हैं…अब बेचारी सीबीआई, इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो या मुंबई पुलिस सवा अरब की आबादी में से किस-किस का हिसाब रखे, कौन अंदर है कौन बाहर, कौन यहां हैं या कौन पाकिस्तान में…
अब लिस्ट में पचासा पूरा करना है तो करना है…अब भई थोड़ी बहुत चूक तो हो ही जाती है…क्या फर्क पड़ता है मसला नेशनल सिक्योरिटी से जुड़ी लिस्ट का हो या घर में चौके-चूल्हे को जलाए रखने वाली किराना स्टोर की लिस्ट का…चिदम्बरम साहब ने इस गूफ-अप को ह्यूमन एरर कह कर पल्ला झाड़ ही लिया है…अब ये बात अलग है कि इस कॉमेडी ऑफ टेररस से पाकिस्तान को भी कहने का मौका मिल गया है कि लिस्ट के बाकी लोगों को भी देखो, भारत में ही कहीं झुमरी तलैया में किशोर कुमार के गाने सुनते न मिल जाएं…
वाकई पाकिस्तान तो पाकिस्तान, मेरे देश की सरकार भी पूरी महान…