समारोह में किसी का सम्मान हो गया है,
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है…
सिर पर पत्थर उठाता है बबुआ,
क्या बचपन सच में जवान हो गया है…
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है…
बूढ़े बाप का ख़ून जलाता है बेटा,
क्या सही में लायक संतान हो गया है…
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है…
नारी है आज इस देश की राष्ट्रपति,
क्या चंपा का घर में बंद अपमान हो गया है…
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है…
आज़मगढ़ में पंचर लगाता है जमाल,
क्या किस्मत का शाहरुख़ ख़ान हो गया है….
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है…
समारोह में किसी का सम्मान हो गया है…
जमाल,क्या किस्मत का शाहरुख़ ख़ान हो गया है….
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बस इंसान बनने की जुगत …….. ढूंढते फिर रहे हम……………. !! बहुत बेहतरीन !!
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