कल आप को घरों में इस्तेमाल की जाने वाली बिना मेडिकल प्रेसक्रिप्शन दवाओं के ख़तरे के बारे में बताया था…जहां तक संभव हो सके ऐलोपैथिक दवाएं डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेनी चाहिए…खास तौर पर बच्चों के मामले में…दरअसल हमारे देश में दवाओं को लेकर पश्चिम की तरह सख्त कायदे-कानून नहीं है…इसी का फायदा मुनाफ़ाखोर उठाते हैं…ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाने के चक्कर में लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने से भी गुरेज़ नहीं करते..
आज आपको एक और ख़तरे से वाकिफ़ कराता हूं…कभी दिल्ली या नोएडा आएं तो आप अक्सर देखेंगे कि ट्रैफिक सिगनल्स पर सामान बेचने वाले कई लोग मिल जाते हैं…आपकी गाड़ी के शीशे पर टकटकाते हुए आप से अपना सामान लेने की गुहार लगाएंगे…कभी यहां तक भी कहेंगे कि आज सुबह से बोनी तक नहीं हुई…इसलिए आप सस्ता ही ये सामान खरीद लो…आप लालच में आकर या तरस खाकर वो सामान शायद खरीद भी लें…
लेकिन आइंदा ऐसा करने से पहले सोच लीजिएगा…आजकल ऐसे ही ट्रैफिक सिगनल्स पर कान साफ़ करने वाली बड्स बेचने वाले भी मिल जाते हैं…खूबसूरत पैकिंग में ये इयर-बड्स किसी को भी आकर्षित कर सकती हैं…दाम भी मेडिकल स्टोर से कहीं कम दिखते हैं…लेकिन आप ये इयर-बड्स खरीद भी लें तो कभी गलती से भी कान में डालने की भूल मत कर लीजिएगा…क्यों…तो कलेजा थाम कर सुनिए इनकी सच्चाई…
ये इयर-बड्स जिस रूई (कॉटन) से बनी होती हैं वो अस्पतालों में पहले से इस्तेमाल की गई होती हैं…अस्पतालों से खून, पस से भरी कॉटन को लाकर इकट्ठा किया जाता है और फिर उन्हें ब्लीच कर साफ़-सफ़ेद कर दिया जाता है…इसी कॉटन का इस्तेमाल फिर बड़े पैमाने पर इयर बड्स बनाने में किया जाता है…ऐसी बड्स का इस्तेमाल करने से Herpes Zoster Oticus जैसी खतरनाक बीमारी को मोल लिया जा सकता है…इस बीमारी में कान के आंतरिक, मध्य और बाह्य, सभी हिस्सों में संक्रमण हो जाता है…आशा है आइंदा आप सावधान रहेंगे…और अपने ज़्यादा से ज़्यादा जानने वालों को सतर्क करेंगे…
(एम्स के डॉक्टर की ई-मेल पर आधारित)
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