कहीं आप भी इन 22 लोगों में तो नहीं…खुशदीप

वही हुआ जिसका डर था…फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्क वेबसाइट्स और ब्लॉग्स पर निरंकुश होकर कुछ भी कह देना, किसी की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ कर अभद्र रूप दे देना, गाली-गलौज करना, ये अब आपको कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगवा सकता है…जोश में भी होश बने रहने चाहिए…

आप किसी आंदोलन के साथ हैं, अच्छी बात हैं…आप किसी के आलोचक हैं, अच्छी बात है…लेकिन जिसके आप खिलाफ है उसके लिए भी अपने विचारों को प्रकट करते वक्त शब्दों की मर्यादा बनाए रखना बहुत आवश्यक है…किसी के फोटो से खिलवाड़ कर भद्दे कमेंट्स के साथ प्रकाशित करना ये सब बहुत भारी भी पड़ सकता है…जिस वेबसाइट या ब्लॉग पर कोई दूसरा भी आकर कमेंट या चित्रों के ज़रिए ऐसी हरकत करता है तो कमेंट देने वाले के साथ-साथ उस वेबसाइट या ब्लॉग को भी मानहानि का समान रूप से ज़िम्मेदार माना जाएगा…जिस तरह बंदूक से निकली गोली और मुंह से निकली बोली कभी वापस नहीं आ सकती, इसी तरह नेट पर आपकी कोई भी गतिविधि (कमेंट, पोस्ट, चित्र) कभी मिटाई नहीं जा सकती…आप डिलीट भी कर देंगे तो भी वो सबूत नष्ट नहीं होगा…आपकी एक मिनट की खता आपको लंबे अरसे तक परेशान कर सकती है…इसलिए नेट पर कोई भी बात लिखने से पहले उसके निहितार्थ के बारे में ज़रूर सोच लेना चाहिए…ये मत मानिए कि आपका कुछ नहीं बिगड़ने वाला….

अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान कई विवादित टिप्पणियां कर उनके समर्थकों की नजर में खलनायक बने कांग्रेस महासचिव और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अब फेसबुक, यू-ट्यूब, ऑर्कुट व ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किग वेबसाइटों के खिलाफ मानहानि की कार्रवाई शुरू की है… सिंह ने इन वेबसाइटों के साथ-साथ इनके जरिए टिप्पणी करने वाले 22 लोगों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करा दिया है…

दिग्विजय ने आरोप लगाया है कि उक्त वेबसाइटों को माध्यम बनाते हुए कई लोगों ने उनके खिलाफ अपमानजनक व आपत्तिजनक बातें लिखीं और उनकी फोटो के साथ छेड़छाड़ कर भद्दी हरकतें की हैं…पुलिस ने आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है…दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के वकील रोहित कोचर ने 16 अगस्त को दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत दी…इसमें बताया गया कि कई लोगों ने फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब, इबिबो डॉट कॉम, ऑर्कुट, एमएसएन डॉट कॉम और कुछ अन्य वेबसाइटों को माध्यम बनाते हुए दिग्विजय सिंह के बारे में कई अपमानजनक व आपत्तिजनक बातें लिखी हैं..

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शिकायत में कहा गया है कि इन हरकतों से न सिर्फ दिग्विजय सिंह, बल्कि कांग्रेस पार्टी की छवि को भी ठेस पहुंची है…उनके मुताबिक, जिन वेबसाइटों का लोगों ने इस्तेमाल किया है, वे भी इसके लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने इस प्रकार के आपराधिक मकसद के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की हैं…इस शिकायत के साथ पुलिस को आपत्तिजनक ईमेल, फोटो आदि भी दी गईं…

इस शिकायत में ऐसे 22 लोगों को नामजद कराया गया है, जिन्होंने फेसबुक व अन्य वेबसाइटों पर दिग्विजय सिंह के खिलाफ कई अभद्र टिप्पणियां की हैं तथा पेस्ट किए गए फोटो से छेड़छाड़ की गई है…मामले की जांच में जुटे साइबर सेल ने लगभग एक माह की तफ्तीश के बाद 29 सितंबर को आईटी एक्ट-66-ए के तहत मामला दर्ज किया है… पुलिस का कहना है कि फिलहाल यह पता लगाया जा रहा है कि फेसबुक, ऑर्कुट आदि पर जिस नाम से प्रोफाइल बनाए गए हैं, वे सही नाम पर बने हैं या नहीं…पुलिस सभी आरोपी वेबसाइटों को भी नोटिस भेजकर जल्द ही पूछताछ करेगी…

आप क्या कहते हैं, क्या जोश में भी होश बनाए रखने में ही समझदारी नहीं है….

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संतोष त्रिवेदी

यह संख्या लगातार गलत बढ़ रही है !
वैसे नेता चाहे जैसे बोलें,यदि हम पढ़े-लिखे हैं तो सभ्य भाषा में भी बहुत कुछ कह सकते हैं !
फ़िकर तो हमें भी बहुत है,रात-रात भर बुरे सपने आ रहे हैं !

Udan Tashtari
13 years ago

वो २२ लोग कौन हैं…नाम चैक करवाओ भई..कहीं अटक न जायें. 🙂

Smart Indian
13 years ago

दिग्विजय सिंह का उदाहरण एक ऐक्सेप्शन हो सकता है। राजनेता, सेलिब्रिटीज़ का जीवन सार्वजनिक होता है और मर्यादा में रहकर उनपर – खासकर उनके oddities/मूर्खताओं पर – व्यंग्य करने का अधिकार जनता को है ऐसा समझा जाता है। लेकिन इस आलेख के बहाने आपने जो सन्देश दिया है वह महत्त्वपूर्ण है। नेटवर्किंग/ब्लॉगिंग के बहाने गुंडई/गाली-गलौज/निराधार आक्षेप/अशिष्टता/दुर्व्यवहार तब तक ही चलती है जब तक लोग उसे बर्दाश्त करते हैं, जिस दिन बर्दाश्त की सीमा समाप्त उसी दिन अशिष्टता के दिन पूरे।

Acharya vipash
13 years ago

अब दिग्गी राजा जी को समझ आया कि अशालीन और अमर्यादित भी कुछ होता है . सोनिया जी बोलीं कि मोदी मौत का सौदागर है ,तो कुछ नहीं और अब जब लोग उसी राह पर थोड़ा और आगे बढ़ गए तो परेशानी होने लगी.एक शेर सुनिए —" जो तुम चाहो कि हो जाए ,तो है खुदा की कुदरत ! जो हम चाहें तो फरमाओ कि यह तो हो नहीं सकता ! "

Arvind Mishra
13 years ago

यह दिग्विजय सिंह की हताशा है और उनसे खुद मर्यादित आचरण करने की अपेक्षा है -कोई भी आसानी से वे सारी बातें संग्रहीत कर सकता है जो उन्होंने बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के लिए कहे और लादेन के लिए सम्मान सूचक शब्द कहे …किसे मूर्ख बना रहे हैं महाशय!
मुकदमा दर्ज करना ही बहुत नहीं होता -न्यायलय नीर क्षीर विवेक रखता है -जिसका कोई मान ही न रह गया हो (जो सोशल नेटवर्क साईटों से प्रमाणित हो गया है ) वह मानहीनता की बात को कैसे साबित करेगा?!

देवेन्द्र पाण्डेय

तीखे व्यंग्य मर्यादित भाषा में भी किये जा सकते हैं और वे अधिक असरकारी होते हैं।

Sushil Bakliwal
13 years ago

सार्वजनिक अभिव्यक्ति में संयम तो सभी के लिये आवश्यक है लेकिन यह बात राजा साहब की समझ में भी तो रहना चाहिये ।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद

दावा तो उन्हीं पर होगा क्योंकि उन्होंने ही तो उलूल-जलूल वक्त्व्यों से ल्गों को भड़काया है॥

डॉ टी एस दराल

खुशदीप भाई , ज़रा आप ही पता लगाकर बताओ ।
राम राम राम ! यह तो सचमुच चिंताज़नक विषय है ।

अन्तर सोहिल

कल से ही नोटिस का इंतजार है 🙂
उक्त 22 लोगों की सूची कहां से प्राप्त करें।
श्री अवधिया जी की बात सही है। जब लाखों लोग आरोप लगायेंगे, तब क्या होगा?

प्रणाम

Atul Shrivastava
13 years ago

क्‍या कोई जानवर आपको काटे तो आप भी उसे काटेंगे… फिर आपमें और उस जानवर में क्‍या अंतर रह जाएगा।
दिग्विजय सिंह ने भडकाऊ बयान दिया….. पर क्‍या उसका विरोध संयमित होकर नहीं किया जा सकता था….. भद्दे कमेंट और तस्‍वीरें…. क्‍या यही एक अंतिम रास्‍ता बचा था…. न सि
र्फ दिग्विजय बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी,सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह को लेकर अश्‍लील तस्‍वीरें और कमेंट सोशल साईटों पर भरे पडे थे…..
ये विरोध करने का गलत तरीका था….
इस बात में कई मत हो सकते हैं कि दिग्विजय सिंह का यह कदम सही है या गलत पर सोशल साईटों पर जिस तरह माहौल बनाने का प्रयास किया गया वह तो कतई उचित नहीं था……

Khushdeep Sehgal
13 years ago

ANSHUMALA said…

दिग्गी राजा मुकदमे दायर करके इन चीजो से छुटकारा नहीं पा सकते है इस तरीके से तो वो और भी लोगों को भड़का देंगे उनके खिलाफ लिखने के लिए |पुरा इटरनेट भरा पड़ा है नेताओ को गलिया देने वाले चीजो से किस किस नेता ने मुक़दमा दायर किया है ,( सब जानते है कि इसका कोई फयदा नहीं है ) , ये महान काम बस वही कर सकते है जिसका कोई भी मतलब नहीं है | पहले ही अपने बेसिर पैर के बयानों से इस हालत में पहुंचे है अब ये काम कर अपनी हालत और भी ख़राब कर रहे है और आन्दोलन को इससे ना जोड़े क्योकि वो पहले ही अपने बयानों के लिए काफी कुख्यात रहे है आन्दोलन तो बहुत बाद में आया | जब आप अपनी जबान नियंत्रित नहीं रख सकते है तो दूसरो से कैसे ये उम्मीद करे की वो अपनी जबान नियंत्रित करे | वैसे मै इस बात का समर्थन करती हूं की ब्लॉग पर कुछ भी लिखते समय भाषा का ध्यान जरुर रखे नेताओ को छोड़ यदि आप किसी और के बार में लिखा रहे है तो |

प्रवीण पाण्डेय

अभिव्यक्ति मौन धरे….

Unknown
13 years ago

किसी पर आरोप लगाने और दावा ठोंक देने का अधिकार सिर्फ दिग्विजय सिंह के पास ही नहीं, भारत की समस्त जनता के पास है और दिग्विजय सिंह के इस कार्य के प्रत्युत्तर में तेइस तो क्या तेइस हजार बल्कि तेइस लाख लोग दिग्विजय सिंह पर भी आरोप लगा सकते हैं तथा अलग-अलग न्यायालयों से दावा भी कर सकते हैं। पर जनता को न तो अपनी आजीविका चलाने से फुरसत ही मिलता है और न ही उसके पास इस काम में फिजूल खर्च करने के लिए धन है। जनता की इसी विवशता का फायदा उठाते हैं। जनता को इस मामले में एक होकर कुछ न कुछ करना ही होगा।

रचना
13 years ago

achcha haen hindi blog jagat waale bhi jaet hi jaaye

aur samjh sakae maansik shoshan kyaa hotaa haen

yahaan to log mahila kae khilaaf behuda likhtae haen aur phir kehtae post ko majaak me lae

kisi kae bhi naam ko laekar bina link diyaa likyae cyber crime me hi aataa haen

अजित गुप्ता का कोना

इस कार्यवाही से यह सिद्ध होता है कि कांग्रेस का चरित्र तानाशाही राजा का हैं दिग्‍िविजय सिंह को खुला छोड रखा है और जनता कुछ बोलती है तो उस पर कानून का शिकंजा। लेकिन लेखक होने के नाते हमें समाज में सकारात्‍मकता उत्‍पन्‍न करनी चाहिए।

अजय कुमार झा

देर सवेर तो ये होना ही था खुशदीप भाई । मैं पहले भी इस बात को कह चुका हूं कि किसी भी सार्वजनिक स्थान , मंच आदि से कुछ भी कहते लिखते हुए ये ध्यान तो रखना आवश्यक होता ही है कि कहीं अमर्यादित भाषा का प्रयोग तो नहीं किया जा रहा है । हालांकि असलियत तो यही है कि ये स्थिति खुद दिग्विजय सिंह ने अपने अनर्गल बयानों के कारण पैदा की है । काबिल वकील उन बाईस लोगों को बचा तो लेगा लेकिन अदालत का खर्च तो अब वे भुगतेंगे ही

Taarkeshwar Giri
13 years ago

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. और जो आपत्तिजनक शब्द उन्होंने खुद इस्तेमाल किया हैं उसका क्या. जनता को तो खुद दिग्विजय सिंह ने ही भड़काया था.

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