कलाम, सचिन, रहमान में क्या कॉमन…खुशदीप

एपीजे अब्दुल कलाम, सचिन तेंदुलकर, ए आर रहमान…इन तीनों में क्या समानता है…तीनों अपने-अपने फील्ड में बेजोड़…फिर भी तीनों डाउन टू अर्थ…हमेशा अच्छा परफॉर्म करने की ललक…विवादों से कोसों दूर…

डॉ कलाम का हमेशा युवा पीढ़ी से कहना रहा है, कुछ बनना है तो बड़े सपने देखो…और फिर दिन-रात उन्हें पूरा करने में जुट जाओ…सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के हिमालय हैं…अपने रिकार्ड खुद ही तोड़ने में लगे हैं…उन्हें पकड़ने वाला कोई दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता…क्रिकेट के भगवान का दर्ज़ा किसी को भी आसमान में उड़ने का दंभ दे सकता है…लेकिन सचिन ने पैर हमेशा ज़मीन पर रखना सीखा है…यूथ आइकन के नाते सचिन अपनी ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह समझते हैं…इसलिए शराब का एड ठुकराने में उन्होंने एक सेंकंड की भी देर नहीं लगाई…भले ही इसके एंडोर्समेंट के लिए बहुत मोटी रकम ऑफर की जा रही थी…लेकिन सचिन के लिए युवाओं पर पड़ने वाला नेगेटिव इफेक्ट ज़्यादा अहम था…मुझे लगता है, इस तरह की हस्तियां किसी भी काम से पहले अपने से ही सवाल करती हैं…उनके अपने नैतिकता के मानदंडों के हिसाब से वो काम करना सही है या नहीं…फिर दिल से उन्हें जो आवाज़ मिलती है, उसी को अमल में लाते हैं…सचिन के बारे में ऐसा कुछ ही बचा हो जिसके बारे में आप नहीं जानते हों…

वैसे मैंने आज ये पोस्ट ए आर रहमान पर केंद्रित रखनी थी…लेकिन मैंने डॉ कलाम और सचिन के साथ ए आर रहमान को जोड़कर देखा तो तीनों की महानता में विनम्रता और सादगी सबसे बड़ा कॉमन फैक्टर नज़र आया…

हां, मैं रहमान के बारे में जो आपको बताना चाह रहा था, उसमें पहली बात तो ये कि मैं उनके फ़न का बहुत बड़ा मुरीद हूं…स्लमडॉग मिलियनेयर्स के लिए दो-दो ऑस्कर जीतने के बाद ऐसा कोई बड़ा इंटरनेशनल अवार्ड समारोह नहीं बच रहा जहां रहमान या तो अवार्ड विजेता या फिर खास मेहमान की हैसियत से हिस्सा न ले रहे हों…15 जनवरी को लास एंजिल्स में रहमान को 16वें क्रिटिक्स च्वायस मूवी अवार्ड में बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग के लिए ट्राफी से सम्मानित किया गया…रहमान को फिल्म 127 Hours के  IF I RISE गीत के लिए ये सम्मान मिला… 127 Hours  का निर्देशन भी स्लमडॉग फेम डेनी बॉयल ने किया है…

लेकिन इस अवार्ड समारोह से पहले रहमान के साथ लास एंजिल्स में जो हुआ उसे वो ताउम्र नहीं भूलेंगे…रहमान ने अवार्ड समारोह में सूट के साथ जो कमीज़ पहननी थी, वो उनके होटल से गायब हो गई…अब रहमान को कोट के नीचे टी-शर्ट पहनकर ही जाना पड़ा…रेड कारपेट पर चलते या ट्राफी लेते रहमान को जिसने भी कोर्ट के साथ टी-शर्ट में देखा, ताज्जुब ज़रूर किया…रहमान चाहते तो होटल वालों को जमकर हड़का सकते थे…लेकिन रहमान ने ऐसा कुछ नहीं किया…बस किसी तरह अपना काम निकाला…बताता चलूं कि दुनिया के कई नामी-गिरामी फैशन डिज़ाइनर रहमान के इंटरनेशनल सेलेब्रिटी स्टेटस को देखते हुए फ्री में ही ड़्रेसेज़ और दूसरी एसेसरीज़ देने के लिए तैयार रहते हैं…लेकिन आज तक रहमान ने किसी फैशन हाउस या डिज़ाइनर से मुफ्त में कुछ भी लेना कबूल नहीं किया है…वो जो ड्रेस भी अपने लिए चुनते हैं, उसकी पाई-पाई चुकाना पसंद करते हैं…रहमान ने लास एंजिल्स मे भी शालीनता से काम लेकर अमेरिका को आईना दिखाया…अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश भारत की हर बात पर महंगाई, भ्रष्टाचार, बेइमानी, गंदगी का ढोल पीटते हुए निशाना साधते रहते हैं…लेकिन रहमान के साथ जो हुआ, उस पर हायतौबा क्यों नहीं मची…अब यही कांड हॉलीवुड के किसी स्टार के साथ भारत के किसी होटल में हुआ होता तो क्या वो भी वैसा ही करता जैसा रहमान ने किया…वो चोरी की घटना पर पूरे भारत को गलत बताते हुए आसमान सिर पर नहीं उठा लेते…यही तो फर्क है हमारा और उनका…इसी वजह से हम हम हैं, और वो वो…

सुनिए रहमान का कम्पोज़ किया मेरी पसंद का एक गीत…

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रवीन्द्र प्रभात

बेहतरीन अभिव्यक्ति,

शिवम् मिश्रा


बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है – पधारें – नयी दुनिया – गरीब सांसदों को सस्ता भोजन – ब्लॉग 4 वार्ता – शिवम् मिश्रा

प्रवीण पाण्डेय

सुन्दर कृत्य।

मुकेश कुमार सिन्हा

kash aise gun ham apne andar la paate:)

Sushil Bakliwal
14 years ago

फलों से लबालब वे पेड जो देना ही जानते हैं ।

anshumala
14 years ago

क्या करे घर आया मेहमान भगवान के सामान होता है ये हमारी परम्परा में है उनकी नहीं | सफलता के नशे को पचा पाना सभी के बस की बात नई होती है जो इसे ठीक से संभाल ले वही असली हीरो बन कर उभरता है और सभी का अनुकरणीय बनता है |

vandana gupta
14 years ago

यही हमारे देश की संस्कृति है।

हरकीरत ' हीर'

खुशदीप जी आपकी इस तरह की पोस्टें जीना सिखा जाती हैं ….

डॉ अब्दुल कलाम, सचिन तेंदुलकर, ए आर रहमान. प्रेरणा के स्रोत हैं ….
सतीश जी ने सही कहा अनुकरणीय वे ही होते हैं जो बड़ा होने के साथ झुकना सीख लें…..!!

Unknown
14 years ago

A very good post.

शिवम् मिश्रा

बेहद सटीक विश्लेषण किया आपने … खुशदीप भाई … देखने वाली बात यह होगी कि वहाँ की मिडिया ने इस खबर को कैसे लिया है ?

एस एम् मासूम

एक अच्छी पोस्ट सही विश्लेषण

अजित गुप्ता का कोना

रहमान की जगह हॉलीवुड के किसी स्‍टार के साथ भारत में ऐसा हुआ होता तो विदेशी मीडिया क्‍या हमारी देशी मीडिया और देशीजन ऐसा तूफान मचाते कि भारत जैसा गन्‍दा देश दूसरा नहीं है। लेकिन रहमान भारत के नागरिक हैं तो संस्‍कारी और सभ्‍य हैं।

Satish Saxena
14 years ago


खुशदीप भाई ,
बेहतरीन पोस्ट लगी मुझे यह ! अनुकरणीय वे ही होते हैं जो बड़ा होने के साथ झुकना सीख लें ! अंततः समाज में यही लोग इज्ज़त पाते हैं !
शुभकामनायें आपको !

संजय कुमार चौरसिया

अनुकरणीय

दिनेशराय द्विवेदी

सफलता के बाद भी वे इंसान बने रहे, यह उन की सामान्य बात है और यही उन का विशेष भी।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

वाह, अनुकरणीय

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