एक नेता, अनेक ब्लॉगर…खुशदीप

इस पोस्ट का पूरा मज़ा लेना है तो पहले ये गीत ज़रूर सुन लीजिए…


ये अनेक क्या है, दीदी…

अनेक यानि बहुत सारे…


बहुत सारे, क्या बहुत सारे…


अच्छा बताती हूं…


जैसे…


सूरज एक…


चंदा एक…


ब्लॉगर अनेक…


अच्छा तो ब्लॉगरों को अनेक भी कहते हैं…


नहीं…नहीं…


देखो फिर से बताती हूं…


सूरज एक…


चंदा एक…


ब्लॉगर अनेक…


देखो, देखो…एक गिलहरी,…


पीछे पीछे एक और गिलहरी…


एक एक करके हो गईं अब अनेक गिलहरियां…


एक तितली, अनेक तितलियां…


एक ब्लॉगर, एक-एक अनेक ब्लॉगर…


अनेक ब्लॉगरों की कहानी सुनोगे…


हां, सुनाओ…

एक ब्लॉगर, अनेक ब्लॉगर…


सम्मान चुगने बैठ गए थे…


कोरस…दीदी हमें भी सुनाओ, हमें भी सुनाओ….


एक ब्लॉगर, अनेक ब्लॉगर


सम्मान चुगने बैठ गए थे…


वहीं एक नेता ने जाल बिछाया था…


नेता, नेता क्या होता है दीदी…


नेता…ब्लॉगर पकड़ने वाला…


तो फिर क्या हुआ…उसने ब्लॉगरों को पकड़ लिया…


उन्हें मार दिया…


ऊं…ओह…


हिम्मत से जो जुटे रहें तो बड़ा काम भी होवे…


भैया…बड़ा काम भी


होवे भैया…
1…2…3…फुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र…..


चतुर ब्लॉगर, सयाने ब्लॉगर…


मिलजुल कर, जाल ले कर…


भागे ब्लॉगर…


फुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र…..


दूर एक गांव में ब्लॉगरों के दोस्त चूहे रहते थे…


उन्होंने उनका जाल काट दिया…


देखा एकता में कितनी शक्ति है…


दीदी अगर हम एक हो जाएं तो क्या कोई भी काम कर सकते हैं…


हां हां क्यों नहीं…


तो क्या गूगल के पेड़ के आम भी तोड़ सकते हैं…


हां, मगर जुगत लगानी होगी….


जुगत ???


*
* *
* * * *

अच्छा ये जुगत…वाह बड़ा मज़ा आएगा…


हो गए एक…


बन गई ताकत…


बन गई हिम्मत…


ब्लॉगजगत के निवासी सभी जन एक हैं…-2


पोस्टों का रंग-रूप, कंटेंट, चाहें अनेक हैं…-2


बेला, गुलाब, जूही, चम्पा, चमेली…


फूल हैं अनेक किंतु माला फिर एक है…-2


एक-अनेक-एक अनेक…


सूरज एक, चंदा एक, ब्लॉगर अनेक…


एक गिलहरी, अनेक गिलहरियां…


एक तितली, अनेक तितलियां…


एक ब्लॉगर, अनेक ब्लॉगर…




प्रेरणा
विनय चंद्रा जी का गीत…हिंद देश के निवासी…(एक चिड़िया, अनेक चिड़िया नाम से मशहूर)


मॉरल ऑफ द सॉन्ग
एक नेता, सिर्फ एक नेता, अच्छे भले प्रोग्राम का फच्चर बना देता है…

Khushdeep Sehgal
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शरद कोकास

हे भगवान !!

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }

अरे ब्लागर भी पुरुस्कार रुपी दाने मे फ़स जाते है

Khushdeep Sehgal
14 years ago

ई-मेल से मिला अविनाश वाचस्पति जी का कमेंट-

प्रिय खुशदीप जी, प्रसन्‍न रहें।
आपकी
http://www.deshnama.com/2011/05/blog-post_8404.html इस पोस्‍ट पर यह कमेंट पोस्‍ट नहीं हो रहा है। इसे आप स्‍वयं प्रकाशित कर लें।
न लगने की स्थिति में मुझे इसे उस पोस्‍ट में जोड़ना होगा। जो मैं इस पूरे प्रकरण पर लिखने वाला हूं।

सादर/सस्‍नेह

पाप अनेक
पुण्‍य सिर्फ एक
प्रसून भी नेक
खुशी भी एक
मूर्ख भी एक
देख भाई देख
मेरी तरफ देख।

मुझे दुख देना भगवान (अविनाश वाचस्‍पति)
>> बृहस्पतिवार, २७ अगस्त २००९
मुझे दुख दो
मेरा दुख पाना
देता है सुख
तो मुझे देना
भीषण दुख
जिससे इस तरह से
मैं सुख बांटने का
श्रेय तो पाऊंगा
जिसे कोई
जान न पाएगा
सुख पाने वाले
के सिवाय।

मैं चिल्‍लाऊंगा
दुख पाने पर
आय हाय
और वो
ठहाका लगायेगा
साधन मैं बनूंगा
मजा उसको आएगा।

उसे तो वैसे भी
बहुत दुख हैं
मुझे सुखी देखने
के अतिरिक्‍त भी
वो सुखों से रिक्‍त है
अपनी निगाह में।

उसके खर्चे अधिक हैं
कमाई बहुत कम
साल रहा है
कई सालों से
उसे यही गम।

मुझे तो कोई
दुख ही नहीं हैं
उसकी सोच से
जब से जाना है
कायल हो गया हूं
उसके गणित का।

मैं जान गया हूं
क्‍यों दो और दो
चार नहीं होते।

आमदनी मेरी बेशुमार
ये उसकी नजर है
दुख भी नहीं हैं मुझे
यह उसका कथन है।

तो मुझे मत बख्‍शना
मुझे छोड़ देने से
होगा उसका सुख कम
जो मैं नहीं चाहता
क्‍या हुआ जो वो
मेरा भला नहीं चाहता
आजकल कौन
चाहता है किस का भला।

मैं भी ऐसा ही बनूं
ऐसा मत करना विधाता
मुझे कुछ तो अलग बनाना
मत संत बनाना
पर एक गुण तो
उनका मुझे थमा जाना।

आपने पहचाना
मैं किसको सुखी
देखने की इच्‍छा
कर रहा हूं
कहीं वो ………(पुण्‍य)
तो नहीं।

दिगम्बर नासवा

आनंद आ गया खुश्दीप जी इसे पढ़ कर … हा हा हा …

nilesh mathur
14 years ago

पढ़कर बहुत मजा आया!

निर्मला कपिला

वाह दाद देनी पडेगी— ब्लागर और एक? उँह लगता तो नही है। अगर उस दिन पता होता तो सम्मान छोड कर आ जाते तब होती एकता। मगर जब नेता ही चुप रहे तो क्या करते ये तो बाद मे पता चला कि नेतागिरी हुयी। आशीर्वाद।

Rahul Singh
14 years ago

लोग आई-गई कर चुके, आप यहीं अटके हैं, चिडि़या फुर्र.

डॉ टी एस दराल

खुशदीप भाई अच्छा प्रयास है ब्लॉग जगत में सद्भावना बढ़ाने की दिशा में ।
ऐसे प्रयासों की हमेशा आवश्यकता रहेगी ।

Kulwant Happy
14 years ago

nice

Manoj K
14 years ago

'हिंद के निवासी सभी..' का यह नया रूप ..

क्या कहने आपकी creativity के..

honesty project democracy

वास्तव में हम ब्लोगर अगर देश व समाजहित में एक होकर इन भ्रष्ट नेताओं के साथ रहकर इनके उस जाल को लेकर उरने का प्लान बना लें जिसमे इन्होने देश,समाज व इंसानियत को फंसा रखा है तो मानवता व इंसानियत के लिए यह एक सार्थक कदम होगा…सभी ब्लोगर इस सम्मलेन के बाद इसी बात पर शोध कर रहें हैं और आपकी इस पोस्ट ने इसे प्रमाणित भी कर दिया है….बहुत बढ़िया खुशदीप जी ऐसे ही लिखते और सोचते रहिये समय बदलेगा और हम होंगे कामयाब…कर्म और फल का अटूट रिश्ता है जिसे भगवान भी नहीं बदल सकते….

DR. ANWER JAMAL
14 years ago

काम को नज़रंदाज़ करना मुमकिन नहीं होता जनाब.आपकी पोस्ट यही बता रही है.हिम्मत से जो जुटे रहें तो बड़ा काम भी हो जाते हैं…
मजा आ गया, खुशदीप भाई

हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनायें।

लखनऊ से अनवर जमाल .
लखनऊ में आज सम्मानित किए गए सलीम ख़ान और अनवर जमाल Best Blogger

अजित गुप्ता का कोना

जिस संस्‍था का यह कार्यक्रम था, उस संस्‍था के मुख्‍यमंत्री मुख्‍यअतिथि थे, तो वे विलेन कैसे हो गए? यदि वे बिना बुलावे आते और जबरदस्‍ती माइक पकड़ लेते और उसे छोड़ते ही नहीं तब तो उन्‍हें दोष दिया जा सकता था। मुझे किसी भी व्‍यक्ति को अपमानित करना अच्‍छा नहीं लग रहा है। हो सकता है हमारी राजनैतिक प्रतिबद्धता उनके साथ नहीं हो, लेकिन फिर भी वे उस संस्‍था के अति‍थि थे, जिस संस्‍था ने सभी ब्‍लागरों को सम्‍मानित किया था। हमें उनका सम्‍मान करना चाहिए। यदि कहीं गलती थी तो आयोजकों की थी जिन्‍होंने समय का पालन नहीं किया। आपकी नाराजी इस बात पर होनी चाहिए थी कि दूसरे मुख्‍यअतिथि का ध्‍यान नहीं रखा गया। ना कि किसी अतिथि से नाराजी। मैं पहलं भी लिख चुकी हूँ कि यह ब्‍लागरों का मंच नहीं था, वे वहाँ केवल आमंत्रित थे।

डा० अमर कुमार

.वाह क्या बात है… बड़े दिमाग से काम लिया है ।
मैं अपना खुरपेंची दिमाग तुम्हें इनाम में समर्पित करता हूँ

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)

क्या बात है………….. कमाल कर दिया…. भैया आपने तो………. आपने साबित कर दिया कि समझदार इंसान भी इमोशन में तूतक….. तूतक ….तूतिया बन सकता है… आप ही के तर्ज पर एक गाना याद आया … कि सब कुछ लुटा कर होश में आये तो क्या किया…. गाना कुछ ऐसा ही है न? ….. हाय रे ……किसी को बता भी नहीं सकता …. लोगों का भरोसा मुझ पर से उठ जायेगा… कि दुनिया को टहलाने वाला आदमी …खुद ही टहल गया…

विवेक रस्तोगी

वाह वाह !!

अनेक ब्लॉगर नहीं अनेक ब्लॉगर्स

हा हा

Satish Saxena
14 years ago

आम जनता को राजनीतिज्ञों से विश्वास उठता जा रहा है ! अधिकतर देखने में आता है कि ये लोग अधिकतर मंचों पर अपना फायदा देख कर ही आते हैं !

मंच का इंतजाम करना, श्रोताओं को जुटाना , प्रेस बुलाना तथा फीता काटने वालों का चयन करना, कहीं न कहीं अपना स्वार्थ निहित रहता ही है !

सब कुछ प्रायोजित होता है बस साधारण आदमी ठगा जाता है !
शुभकामनायें आपको !

Rakesh Kumar
14 years ago

बहुत मजा आया गीत सुनकर और उसपर आपके उद्गार पढकर.ये चूहे कौन हीं खुशदीप भाई ?
आखिर एक नया दौर शुरू हुआ है अब .
हम सब को मिल कर ही साथ चलना है.

Manoj K
14 years ago

nice creativity.. enjoyed

Udan Tashtari
14 years ago

हा हा!! हम तो कल्पनाशीलता के कायल हो गये…वाह!! क्या बेहतरीन साम्य बैठाया है…बहुत खूब!!!!

बेनामी
बेनामी
14 years ago

एक नेता, अच्छे भले प्रोग्राम का फच्चर बना देता है

और एक कार्टूनिस्ट, एक स्पोंसर, एक साहित्यकार, एक पत्रकार, एक भड़ासी?.

शिवम् मिश्रा

सुना है … सब इतना खुशनुमा नहीं है … आगे आप बताएं !
जय हिंद !

shikha varshney
14 years ago

ब्लॉगजगत के निवासी सभी जन एक हैं…-2

पोस्टों का रंग-रूप, कंटेंट, चाहें अनेक हैं…-2

बेला, गुलाब, जूही, चम्पा, चमेली…

फूल हैं अनेक किंतु माला फिर एक है…-2

waah waah maja aa gaya…

अरुण चन्द्र रॉय

""प्रेरणा
विनय चंद्रा जी का गीत…हिंद देश के निवासी…(एक चिड़िया, अनेक चिड़िया नाम से मशहूर)""

प्रेरणा अधूरी है… इसमें एक तारीख, स्थान और घटना जोड़ दीजिये….

vandana gupta
14 years ago

हा हा हा……………मज़ेदार्।

Kailash Sharma
14 years ago

बहुत रोचक..

दिनेशराय द्विवेदी

मजा आ गया, खुशदीप भाई!

राज भाटिय़ा

मस्त कर दिया आप की इस कविता ने , चुस्त बलागर, सायने बलागर… जिस नेता को अपने लेखो मे गालिया देते हे, उसी के आगे…… बहुत कडबा सच हा हा हा हा हा हा हा हा। कमाल कर दित्ता जी

Unknown
14 years ago

इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

Unknown
14 years ago

हिम्मत से जो जुटे रहें तो बड़ा काम भी होवे…

ekta hi shakti hai…….

jai baba banaras……..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

जी हाँ हम सब एक हैं!

प्रवीण पाण्डेय

हा हा हा हा।

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