ब्लागरों के लड़ने झगड़ने की आदत यहां भी नहीं गयी
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इलाहाबाद से लौट कर :कुछ खरी कुछ खोटी और कुछ खटकती बातें !
इलाहाबाद ही क्यों , अहमदाबाद या हैदराबाद क्यों नहीं ?
ब्लागरों की ब्ला-ब्ला
ये चारो लिंक इलाहाबाद मे ब्लॉगर जमावड़े से लौट कर लिखी गई कुछ रिपोर्ट के हैं…आज का ब्लॉग ओवर भी इसी से प्रेरित है…स्लॉग ओवर नहीं…इसे ब्लॉग ओवर कहना ज़्यादा बेहतर रहेगा…
ब्लॉग ओवर
जहां एक ब्लॉगर मौजूद… आवाज़ देकर हमें तुम बुलाओ
जहां दो बलॉगर मौजूद… ब्लॉगर मीट
जहां तीन ब्लॉगर मौजूद… रौला-रप्पा
जहां चार ब्लॉगर मौजूद… तेरी ये…तेरी वो…तेरा फलाना…तेरा ढिमकाना…
जहां चार से ज़्यादा ब्लॉगर मौजूद… शांति…बीच-बीच में कराहने की आवाज़ें…एंबुलेस में सारे ढोए जा रहे हैं…
(रौला रप्पा पंजाबी में शोर-शराबे या हो-हुल्लड़ को कहते हैं)
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