कितने पावन हैं लोग यहां,
मैं नित नित सीस झुकाता हूं,
भारत का रहने वाला हूं,
भारत की बात बताता हूं…
वाकई मेरे देश के लोग बहुत भोले हैं…पहले अन्ना की धारा में बह रहे थे…अब आमिर की आंधी से धन्य हो रहे हैं…खुश हैं कि जनहित से जुड़े मुद्दों को टीवी पर गंभीरता से उठाए जाने की सार्थक पहल हुई है…पहली कड़ी में कन्या भ्रूण हत्या, दूसरी कड़ी में बच्चों के यौन शोषण का मुद्दा…दोनों ही संजीदा विषय…
ऐसा नहीं कि पहले इन मुद्दों पर कभी कुछ हुआ ही नहीं…कई अनसंग हीरोज़ समाज की नासूर इन बुराइयों के ख़िलाफ़ न जाने कब से जंग छेड़े हुए हैं..बेशक उनकी आवाज़ नक्कारखाने में तूती ही साबित हुई…लेकिन छोटे ही सही अपने सीमित क्षेत्रों में वो बदलाव लाने में सफल हुए…लेकिन आमिर का हाउसहोल्ड चेहरा अब दर्द की मास-मार्केटिंग कर रहा है…
एक तरफ़ प्रोग्राम चलता है, साथ ही देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी भी एड के ज़रिए रिलायंस का मानवतावादी चेहरा गढ़ने की कोशिश करती नज़र आती हैं..रिलायंस इस प्रोग्राम का पार्टनर भी है…ये ऐलान किया जाता है कि जितना पैसा एसएमएस के ज़रिए कल्याणकारी संस्थाओं के लिए आएगा, उतना ही पैसा रिलायंस अपनी ओर से देगा…
आज रिलायंस का न देश के एक बड़े इलैक्ट्रोनिक मीडिया समूह पर कब्जा है बल्कि दूसरे मीडिया संस्थानों में भी अपने हिसाब से वो ख़बरे प्रचारित -प्रसारित करने की हैसियत रखता है..अभी ऐसी ही एक मिसाल देखने को मिली, जिसमें ख़बरों में रिलायंस को कर्ज मुक्त कंपनी बता दिया गया…
देश का कारपोरेट बड़ा समझदार है…गरीब-मजदूरों का हक मारकर ज्यादा से ज्यादा मुनाफ़ा कमाने में पूरी दुनिया में इनका कोई सानी नहीं…सरकार को साधे रखकर अपने मन-मुआफिक नीतियां बनवाने में ये सिद्धहस्त हैं…और कुछ हो न हों इनके पीआर, मीडिया रिलेशंस डिपार्टमेंट बहुत मजबूत हैं…इनकी कमान रिटायर्ड नौकरशाहों या इसी फील्ड के पूर्व दिग्गजों के हाथ में रहती है…अब सामाजिक सरोकारों में अपनी भागीदारी दिखाना इनका नया शगल है…ठीक वैसे ही जैसे अपना दिल बहलाने के लिए आईपीएल तमाशे में अपने लिए एक क्रिकेट टीम खऱीद कर रखते हैं…
पिछले साल दुनिया के अस्सी देशों के 150 शहरों में कारपोरेट की साम्राज्यवादी और पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ सशक्त विरोध की आवाज़ उठी…आक्यूपाई वाल स्ट्रीट…मैनहट्टन से उठी इस आवाज से जब विकसित देशों के कारपोरेट आक्रांत थे, उस वक्त भारत में जनविरोध अन्ना की लहर पर सवार था..
देश का कारपोरेट वर्ग बहुत समझदार है…प्रैशर कुकर के वाल्व की तरह जनता के आक्रोश को निकालने के लिए ये कई तरह के प्रयोगों को फंडिंग करता रहता है…जिससे जनता दूसरे मुद्दों में ही उलझी रहे और उसके गुस्से की धार कभी कारपोरेट की तरफ न मुड़ सके…सामाजिक मुद्दों में जनता को भरमाने या उलझाए रखने के लिए अब बहुत सोच समझ कर सत्यमेव जयते की रूपरेखा तैयार की गई…भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के लिए अन्ना जैसे ईमानदार साख वाले शख्स को ब्रैंड बनाया गया…तो अब कारपोरेट के जनसरोकारी चेहरे को घर-घर में चमकाने के लिए आमिर खान जैसे हाउसहोल्ड चेहरे को चुना गया…
आमिर की व्यावसायिक सोच बेजोड है..अपनी हर फिल्म की रिलीज से पहले वो नई से नई मार्केटिंग गिमिक चल कर बाक्स आफिस पर जबरदस्त ओपनिंग लेते रहे हैं…इस मामले में उनकी तारीफ करनी होगी कि टीवी पर अपने पहले शो के लिए भी उन्होनें जबरदस्त होमवर्क किया…लेकिन यहां आमिर सिर्फ मोहरा मात्र हैं…इस पूरे खेल की डोर उन्हीं हाथों में है जो दिखाने को गरीब के बच्चे को गोद में उठाते हैं…लेकिन सिर्फ इसीलिए कि गरीब का गुस्सा कहीं एंटीलिया जैसे महज़ एक खरब रुपएकी लागत से बने उनके आशियाने की तरफ़ न मुड़ जाए…
एंटीलिया का एक बाथरूम |
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