आप भारतीय हैं या इंडियन…


सवाल अजीब है न…ये कोई बात हुई भारतीय हैं या इंडियन…अरे भई, चाहे भारत कहो या इंडिया…है तो एक ही देश न..फिर इस सवाल के मायने…आज मैं सिर्फ दस लाइनों में ही आपको ये मायने बताता हूं…एक देश…या एक देश में दो देश…
1. भारत में रहने वाले लोगों की औसतन प्रति व्यक्ति आय 32 हज़ार रुपये सालाना है…वहीं इंडिया में रहने वाले और राजनीति से जुड़े नेताओं की औसत आय है…9 लाख रुपये सालाना.
2. भारत के 70 करोड़ लोग रोज़ 20 रुपये से नीचे गुज़ारा करते हैं यानी उनकी सालाना आय है 7200 रुपये…दूसरी ओर इंडिया में 30 करोड़ लोगों की औसतन आय पौने दो लाख रुपये सालाना है.
3. भारत में 39 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं… इंडिया में 24 लोग बिलियनयेर (धन-कुबेर) हैं.
4. भारत में 59 करोड़ लोगों को दो जून की रोटी नसीब नहीं होती…इंडिया में एक लाख, 75 हज़ार करोड़पति हैं.
5. भारत में 30 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं है…इंडिया में 8 करोड़ लोग हर महीने हेल्थ-केयर पर औसतन 12 लाख रुपये महीना खर्च करते हैं.
6. भारत में 60 करोड़ लोगों को पीने का साफ़ पानी मयस्सर नहीं है…इंडिया में 15 करोड़ लोग बोतलबंद पानी पर 50 करोड़ रुपये खर्च करते हैं.
7. भारत में 35 करोड़ प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं…इंडिया में 12 करोड़ लोग शिक्षा पर सालाना 5 लाख औसतन खर्च करते हैं.
8. भारत में 62 करोड़ लोगों के पास खुद का घर नहीं है. इंडिया में 7 करोड़ ऐसे हैं, जिनके पास एक से ज़्यादा आशियाने हैं.
9. भारत में 20 करोड़ लोगों का रोज़ शहरों के फुटपाथ पर बसेरा होता है, इंडिया में सवा करोड़ लोग ऐसे हैं जिनका ज़्यादातर होटल में डेरा रहता है…(अपने विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और विदेश राज्य मंत्री शशी थरूर याद आए न…)
10. भारत की विकास नीति- 15 करोड़ लोग कर्ज माफी या दूसरे मुआवजे पर टिके… इंडिया की विकास नीति- 15 लाख करोड़पति हो गए…

अब आप बताए, आप कहां रहते हैं…कंप्यूटर पर इंटरनटिया रहे हैं, इसलिए पहले वाली कैटेगरी में तो हैं नहीं..रही इंडिया वाली कैटेगरी तो वो भी हम में से ज़्यादातर के लिेए दूर की कौड़ी लगती है..तो फिर भईया, हम कहां आते हैं…न भारत में…न इंडिया में…तो क्या फिर बीच हवा में लटके हैं…जी हां…कहा नहीं जाता, हमें मिडिल क्लास…सांस हैं नहीं फिर भी बनी हुई है आस…खैर ये सब सोचना छोड़ो…बेचारे मक्खन की सोचो…

स्लॉग ओवर
मक्खन जी को शेरो-शायरी की एबीसी नहीं पता लेकिन एक बार जिद पकड़ ली कि शहर में हो रहा मुशायरा हर हाल में सुनेंगे…बड़ा समझाया कि तुम्हारी सोच का दायरा बड़ा है…ये मुशायरे-वुशायरे उस सोच में फिट नहीं बैठते…लेकिन मक्खन ने सोच लिया तो सोच लिया…नो इफ़, नो बट…ओनली जट..पहुंच गए जी मुशायरा सुनने…मुशायरे में जैसा होता है नामी-गिरामी शायरों के कलाम से पहले लोकल स्वयंभू शायरों को माइक पर मुंह साफ करने का मौका दिया जा रहा था…ऐसे ही एक फन्ने मेरठी ने मोर्चा संभाला और बोलना शुरू किया…कुर्सी पे बैठा एक कुत्ता….पूरे हॉल में खामोशी लेकिन अपने मक्खन जी ने दाद दी…वाह, सुभानअल्ला…आस-प़ड़ोस वालों ने ऐसे देखा जैसे कोई एलियन आसमां से उनके बीच टपक पड़ा हो…उधर फन्ने मेरठी ने अगली लाइन पढ़ी …कुर्सी पे बैठा कुत्ता, उसके ऊपर एक और कुत्ता…हाल में अब भी खामोशी थी लेकिन मक्खन जी अपनी सीट से खड़े हो चुके थे और कहने लगे…भई वाह, वाह, वाह क्या बात है, बहुत खूब..अब तक आस-पास वालों ने मक्खन जी को हिराकत की नज़रों से देखना शुरू कर दिया था…फन्ने मेरठी आगे शुरू…कुर्सी पे कुत्ता, उसके ऊपर कुत्ता, उसके ऊपर एक और कुत्ता…ये सुनते ही मक्खनजी तो अपनी सीट पर ही खड़े हो गए और उछलते हुए तब तक वाह-वाह करते रहे जब तक साथ वालों ने हाथ खींचकर नीचे नहीं गिरा दिया…फन्ने मेरठी का कलाम जारी था…कुर्सी पे कुत्ता, उस पर कुत्ता, कुत्ते पर कुत्ता, उसके ऊपर एक और कुत्ता…अब तक तो मक्खन जी ने फर्श पर लोट लगाना शुरू कर दिया था…इतनी मस्ती कि मुंह से वाह के शब्द बाहर आने भी मुश्किल हो रहे थे……एक जनाब से आखिर रहा नहीं गया…उन्होंने मक्खन से कड़क अंदाज में कहा… ये किस बात की वाह-वाह लगा रखी है… हैं..मियां ज़रा भी शऊर नहीं है क्या…इतने वाहिआत शेर पर खुद को हलकान कर रखा है…मक्खन ने उसी अंदाज में जवाब दिया…ओए…तू शेर को मार गोली…बस कुत्तों का बैलेंस देख, बैलेंस ,…
 

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