आज के प्रोफेशनल माहौल में काम करना, वो भी परफार्मेंस के साथ कोई आसान काम नहीं है…ऐसी ही एक लड़की काम के प्रैशर से तनाव में थी…छुट्टी में मां के पास घर गई तो उसे अपनी हार्ड लाइफ के बारे में बताया…साथ ही कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि हालात से कैसे काबू पाना है…बेहतर होगा नौकरी ही छोड़ दूं…रोज़ रोज़ चुनौतियों से जूझना-भिड़ना…एक समस्या से पार पाओ, दूसरी लगे हाथ तैयार…
ये सुनकर लड़की की मां उसे किचन में ले गई…वहां बर्नर पर पानी से भरे तीन पतीले चढ़ा दिए…साथ ही आंच तेज़ कर दी…तीनों पतीलों में पानी उबलने लगा…पहले पतीले में मां ने गाजरें डाली, दूसरे में अंडे और तीसरे में कॉफी की बींस…
बीस मिनट बाद मां ने बर्नर बंद कर दिए…पहले पतीले से गाजर निकाल कर एक कटोरे में डालीं…दूसरे कटोरे में अंडे और तीसरे में कॉफ़ी…फिर मां ने बेटी से पूछा, तुमने क्या देखा…लड़की ने जवाब दिया-गाजर, अंडे और कॉफ़ी…मां ने उसे पास बुलाकर गाजर को छूने के लिए कहा…लड़की ने गाजर को छू कर देखा, बहुत मुलायम लगी… .
फिर मां ने एक अंडा लेकर उसका खोल तोड़ने को कहा…अंदर से सख्त उबला हुआ अंडा निकला…फिर मां ने कॉफी का एक सिप लेने को कहा…कॉफी की खुशबू ही तरोताजा कर देने वाली थी…लड़की के चेहरे पर मुस्कान आ गई और फिर मां से बोली…इस सब का क्या मतलब है…आखिर मुझे क्या बताना चाहती हैं…
मां ने बेटी के सिर को दुलारा और फिर बताना शुरू किया…इन तीनों चीज़ों के सामने समान कठिन चुनौती थी…और वो था खौलता पानी…तीनों ने अलग अलग ढंग से इसका सामना किया…गाजर उबलते पानी में जाने से पहले सख्त और झुकने वाली नहीं थी….लेकिन उबलते पानी में जाने के बाद न सिर्फ ये मुलायम हुई बल्कि कमज़ोर भी हो गई…अंडा उबलते पानी में जाने से पहले बड़ा नाज़ुक था…इसका बाहरी खोल ही इसके अंदर के द्रव को बचाता था…लेकिन उबलते पानी में रहने के बाद ये अंदर से सख्त हो गया…लेकिन इन सब में कॉफी की बीन्स सबसे अलग थीं, ये उबलते पानी में रहीं तो इन्होंने पानी का ही स्वरूप बदल दिया…
मां ने फिर बेटी से कहा, अब तुम खुद से ही सवाल कर के देखो… तुम इनमें से क्या हो…गाजर, अंडा या कॉफी बींस…अगर मुश्किल सामने आती है तो तुम कैसे उसका सामना करती हो…अब खुद ही सोचो…क्या गाजर की तरह हो…जो मजबूत लगती है, लेकिन दर्द और मुश्किल हालात में अपनी शक्ति खोकर टूटने को तैयार हो जाती है……या फिर वो अंडा जो पहले किसी के लिए भी धड़कने वाला नाजुक दिल रखता है लेकिन हालात की गर्मी उसे बदल देती है…ऊपरी खोल उबलने के बाद भी वैसा ही रहता है जैसा कि पहले था…लेकिन अंदर से अब सख्तजान और कठोर दिल वाला जो किसी दूसरे का दर्द देखकर नहीं पिघलता…
या तुम फिर कॉफी बींस हो…जो गर्म पानी को ही बदल देती है…पीड़ा देने वाले माहौल को ही सुखद बना देती है…जैसे जैसे पानी उबलता जाता है कॉफी बींस उसमें खुशबू और स्वाद घोलती जाती हैं…जब हालात विपरीत होते हैं, आप और निखरते हैं…फिर अपने आसपास सब बदल देते हैं…
रात जितनी ज़्यादा अंधियारी होती है, उसके बाद का सूरज उतना ही ज़्यादा चमकीला होता है…अब ये तुम्हे तय करना है कि चुनौतियों से गाजर, अंडा या कॉफी बींस में से क्या बनकर निपटना है…
सबसे ज्यादा खुश वो लोग नहीं होते जिनके पास दुनिया की हर बेहतरीन चीज़ होती है…दिल से खुश इनसान वही होते हैं जो ऊपर वाले से जैसा मिला है, उसी से बेहतर से बेहतर निकालते हैं और आसपास के माहौल को भी खुशनुमा बना देते हैं…
जब आप पैदा हुए, सिर्फ आप रो रहे थे, बाकी आपके सभी अपने मुस्कुरा रहे थे…
अपनी ज़िंदगी को इस तरह जिओ कि जब अंत आए तो केवल आप मुस्कुराओ, बाकी सब आपके लिए रोएं..
चलिए आज से हम सभी कॉफी बींस होने की कोशिश करें…
(ई-मेल से अनुवाद)
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sach mein padhkar achha laga
वाह खुशदीप जी खुश कित्ता है तुस्सी सब नूं । पानी का रंग बदलने की कूवत रखने वाले स्वयं भी सुखी रहते हैं और आसपास के लोगों को भी खुश रखते हैं । बहुत से लोगों ने सवाल उठाया है पोस्ट आयी कहां से ,इससे क्या जो पोस्ट सबके जीवन को सार्थक दिशा दे उत्साह लाए वही श्रेष्ठ है –बधाई
बहुत अच्छा लगा पढ़कर..
बहुत खूब । बहुत ही सशक्त संदेश दिया आपने खुशदीप भाई । बहुत ही बढिया
सिर्फ एक सवाल. आपके पास इतनी बढ़िया मेल कहाँ से आती हैं ?
बढ़िया प्रवचन है भाई ।
बहुत खुब जी बहुत अच्छी बात धन्यवाद
सार्थक…
Gazar ghabara gayi to pilpila gayi, anda akad gaya to sakht ho gaya parantu kaafi been sahaj ho ghulmila gayi to mehaka gayi,ye to gazab ho gaya.Praveen Pandeyji ke saath ab to coffee ki hume bhi darkar hai. Kya kehete ho Khusdeep bhai?
बहुत अच्छी सीख दी है आपने…बधाई
नीरज
बहुत प्यारी पोस्ट, चलिये इसी बात पर कॉफी हो जाये।
वाह वाह बहुत बढ़िया बात कही है खुशदीप जी…बनना तो सब काफी बीन्स ही चाहते हैं..बन कितने पाते है वह अलग बात है.
शानदार पोस्ट.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (3/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
1.तुम फिर कॉफी बींस हो…जो गर्म पानी को ही बदल देती है…पीड़ा देने वाले माहौल को ही सुखद बना देती है…जैसे जैसे पानी उबलता जाता है कॉफी बींस उसमें खुशबू और स्वाद घोलती जाती हैं…जब हालात विपरीत होते हैं, आप और निखरते हैं…फिर अपने आसपास सब बदल देते हैं…
2. सबसे ज्यादा खुश वो लोग नहीं होते जिनके पास दुनिया की हर बेहतरीन चीज़ होती है…दिल से खुश इनसान वही होते हैं जो ऊपर वाले से जैसा मिला है, उसी से बेहतर से बेहतर निकालते हैं और आसपास के माहौल को भी खुशनुमा बना देते हैं…
Aap ka lekhan yeh batata hai ki aaj aap ka mood aacchha hai ———–pasand aacchhi hai—–
सबसे ज्यादा खुश वो लोग नहीं होते जिनके पास दुनिया की हर बेहतरीन चीज़ होती है…दिल से खुश इनसान वही होते हैं जो ऊपर वाले से जैसा मिला है, उसी से बेहतर से बेहतर निकालते हैं और आसपास के माहौल को भी खुशनुमा बना देते हैं…
वाह क्या बात है …
dil jeet liya khushdeep bhaiya apne…jai ho..:)
हम तो केवल मुस्कुरा रहे हैं बहुत सार्थक सन्देश दिया है। आशीर्वाद।
बहुत अच्छी बात कही |
इस तरह के ई मेल हम सभी के पास आते है मुझे ये जानना है की आखिर इन अच्छी अच्छी बातो को ई मेल से लगभग पूरी दुनिया में फ़ैलाने वाले कौन लोग है उन बेचारो का नाम कहा गुम हो जाता है | वो इन पर अपना नाम लिखते ही नहीं या दूसरे उसे मिटा देते है |
बहुत प्यारा सन्देश ! शुभकामनायें खुशदीप भाई !
मुर्दे में जान फूँक देने वाला सन्देश देता सार्थक पोस्ट!
पुरानी कहावत है, When the going gets tough, the tough get going.
खुशदीप भाई, आपकी पोस्ट निराशा से भरे लोगों के लिए ताजगी जैसी है।
बेहद शानदार पोस्ट … और उतना ही शानदार सन्देश
उम्दा पोस्ट…प्रेरक!
बेहद शानदार पोस्ट … और उतना ही शानदार सन्देश … जय हो … खुशदीप भाई
जय हिंद !