अपने तो अपने होते हैं…खुशदीप

ब्लॉगिंग का फीलगुड पोस्ट पाइपलाइन में पड़ी हैं…एक दिन पहले ब्रॉडबैंड महाराज की वजह से उस पोस्ट का बैंड बज गया था…सोच रहा हूं शनिवार को छुट्टी है…इसलिेए कल देर रात तक आराम से लिखूंगा…फिर आज क्या…तो वहीं अपना थ्री इन वन फॉर्मूला…यानि स्लॉग चिंतन भी है, स्लॉग गीत भी और स्लॉग ओवर भी…स्लॉग ओवर में आज अपने ललित शर्मा भाई भी आपसे मुलाकात करेंगे…

स्लॉग चिंतन

अपनी ज़िंदगी में जो अपने हैं उनके लिए किसी भी तरह कुछ वक्त निकालिए…


क्योंकि एक दिन ऐसा भी आएगा जब आपके पास वक्त होगा लेकिन शायद अपने साथ नहीं होंगे….

स्लॉग गीत

ब्लॉगर बिरादरी में सब अपने हैं…यहां ज़रा  कोई परेशानी ज़ाहिर करता है…हर तरफ़ से मदद के हाथ आगे आ जाते हैं…ठीक ही कहा है…अपने तो अपने होते हैं…सुनिए और देखिए अपने फिल्म का ही गीत…

बाकी सब सपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं

मुझसे तेरा मोह ना छूटे, दिल ने बनाये कितने बहाने
दूजा कोई क्या पहचाने, जो तन लागे सो तन जाने
बीते गुज़रे लम्हों की सारी बातें तड़पाती हैं
दिल की सुर्ख दीवारों पे बस यादें ही रह जाती हैं
बाकी सब सपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
चना वे जा के जल्दी चले आना
जानेवाले तैनू बिनतिया, गलियां पुकारेंगी
जानेवाले तैनू बागां विच कलियां पुकारेंगी
तेरे संग लाड लडावां वे, तेरे संग लाड लडावां
तेरे संग प्यार निभावा वे, तेरे संग प्यार निभावा
तेरे संग लाड लडावां वे. तेरे संग लाड लडावां
तेरे संग प्यार निभावा वे. तेरे संग प्यार निभावा

तुझसे बयां चाहे मैने न किया है
पर एक लम्हा न तेरे बिन जिया है
जाना मैंने जाना ये दिल आजमाने से
कभी न छुपे रबा प्यार छिपाने से
तेरे संग लाड लडावां वे, तेरे संग लाड लडावां
तेरे संग प्यार निभावा वे, तेरे संग प्यार निभावा
तेरे संग लाड लडावां वे. तेरे संग लाड लडावां
तेरे संग प्यार निभावा वे. तेरे संग प्यार निभावा
बीते गुज़रे लम्हों की सारी बातें तड़पाती हैं
दिल की सुर्ख दीवारों पे बस यादें ही रह जाती हैं
बाकी सब सपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं


तेरी मेरी राहों में चाहे दूरिया हैं
इन फ़ासलों में भी नज़दीकियां हैं
सारी रंजिशों को तू पल में मिटा ले
आजा आ भी जा मुझको गले से लगा ले
तेरे संग लाड लडावां वे, तेरे संग लाड लडावां
तेरे संग प्यार निभावा वे, तेरे संग प्यार निभावा
तेरे संग लाड लडावां वे, तेरे संग लाड लडावां
तेरे संग प्यार निभावा वे, तेरे संग प्यार निभावा
बीते गुज़रे लम्हों की सारी बातें तड़पाती हैं
दिल की सुर्ख दीवारों पे बस यादें ही रह जाती हैं
बाकी सब सपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं

फिल्म- अपने (2007), गीतकार- समीर, गायक- सोनू निगम, जयेश गांधी, जसपिंदर नरूला, संगीतकार-हिमेश रेशमिया

स्लॉग ओवर

एक बार ललित शर्मा भाई मॉर्निंग वॉक पर निकले…किसी सिरफिरे ने सड़क पर केले का छिलका फेंक रखा था…ललित भाई को छिलका दिखा नहीं और जा फिसले…पार्क के पास ही एक गधे महाराज घास पर हाथ साफ कर रहे थे…ललित भाई का बैलेंस बना नहीं और वो गधे के पैरों के पास जा गिरे…वहीं एक सुंदर सी मैडम खड़ी थी…मैडम से हंसी रोकी नहीं गई और चुटकी लेते हुए ललित भाई से बोली…क्यों सुबह-सुबह बड़े भाई के पैर छू रहे हो क्या…ललित भाई भी ठहरे ललित भाई…कपड़े झाड़ते हुए उठ कर मैडम से बड़े अदब से बोले…जी भाभी जी…

Khushdeep Sehgal
Follow Me
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Priya
3 years ago

Thanks for sharing this post with us. I highly appreciate it. keep sharing such quality contents.
PID Treatment in Ayurveda

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x