अन्ना इज़ इंडिया, इंडिया इज़ अन्ना…खुशदीप

अन्ना भारत हो गए, भारत अन्ना हो गया…इंदिरा गांधी से पहले और बाद में अब तक किसी और शख्स के लिए ये नारा नहीं लगा था…अन्ना के लिए लगा है…सत्तर के दशक में देवकांत बरूआ ने इंदिरा के लिए कहा था इंदिरा इज़ इंडिया, इंडिया इज़ इंदिरा…अब टीम अन्ना की अहम सदस्य और देश की पहली महिला आईपीएस अफसर किरण बेदी ने अन्ना के लिए ये नारा लगाया…किसी शख्स को इंडिया बताने का नारा न साठ के दशक में समाजवाद के प्रतीक राम मनोहर लोहिया के लिए लगा और न ही सत्तर के दशक में संपूर्ण क्रांति के नायक जयप्रकाश नारायण के लिए…
इंदिरा सत्ता की प्रतीक थी…अन्ना सत्ता के अहंकार को तोड़ कर जनसंसद की लड़ाई लड़ रहे हैं…इंदिरा गांधी की राजनीतिक समझ का लोहा उनके विरोधी भी मानते थे…जेपी ने इंदिरा की राजनीतिक समझ की काट बदलाव के नारे के साथ अपने पीछे जनसैलाब खड़ा करके ढूंढी थी…ठीक वैसे ही जैसे आज अन्ना के पीछे हुजूम उमड़ रहा है…

अन्ना की सियासी समझ को उनकी टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल देश की राजनीतिक लीडरशिप में शून्यता का जवाब बता रहे हैं…बकौल केजरीवाल- “मैंने अन्ना से बहुत कुछ सीखा है…उनके जैसी राजनीतिक बुद्धिमत्ता किसी के पास नहीं है…वे आध्यात्मिकता और राजनीति के तालमेल की बेजोड़ मिसाल हैं…हमारे देश की जनता को राजनीतिक लीडरशिप में जो खालीपन दिखता है, उसे अन्ना भर रहे हैं”…


केजरीवाल ने साथ ही साफ किया कि राजनीति या 2014 के चुनावों में उतरने का टीम अन्ना का कोई इरादा नहीं है…एक तरफ टीम अन्ना खुद को राजनीति से दूर रखना चाहती है, वहीं साथ ही अन्ना के रास्ते को मौजूदा हालात में भारत की समस्याओं का समाधान बताकर सियासी सिस्टम पर चोट करना चाहती है…जताना चाहती है कि देश की वर्तमान राजनीतिक धारा लोगों का भरोसा खो चुकी है और देश की सारी आस अन्ना पर ही आ टिकी है..इसलिए केजरीवाल ये जताना भी नहीं भूले कि अन्ना जैसा चाहते हैं आंदोलन की दिशा को वैसे ही बढ़ाया जा रहा है और अन्ना को कोई बरगला नहीं सकता…

ये पहला मौका है जब टीम अन्ना ने देश में राजनीतिक शून्यता और अन्ना इज़ इंडिया, इंडिया इज़ अन्ना की बात एकसाथ की है…वही टीम अन्ना जिसने अब तक ये सावधानी बरती है कि कोई भी राजनेता मंच पर अन्ना के आसपास भी न फटके…टीम अन्ना खुद को चुनावी राजनीति से हमेशा दूर रखने की बात कर रही है…लेकिन वो देश को ईमानदार राजनीतिक विकल्प देने की बात क्यों नहीं सोचती…
मैं तो कहता हूं कि टीम अन्ना के सारे सदस्य चुनाव लड़ें…उन्हें पक्का जिताने की ज़िम्मेदारी सारी देश की जनता की है…इस तरह कुछ ईमानदार सांसदों की गारंटी तो देश को मिलेगी…और अगर टीम अन्ना और अच्छे लोगों को भी साथ जोड़कर चुनाव में उतारती है तो उससे देश में बहुत कुछ सुधरेगा…मेरा मानना है कि अगर जनता जिसे जिताने पर आ जाए तो उसे कोई नहीं रोक सकता…न धनबल और न ही बाहुबल…अगर ऐसा ही हो कि अच्छे लोगों को चुनाव लड़ाने की व्यवस्था भी उस क्षेत्र की जनता ही करे…वोट के साथ चुनावी इंतज़ाम के नोट लेकर भी साथ आए…इस तरह चुना गया जनप्रतिनिधि ही जनता का सच्चा नुमाइंदा होगा…सही तरह से जनता के हक की आवाज संसद, विधानसभा या पंचायतों में उठा सकेगा…


टीम अन्ना को राजनीति से इतना परहेज़ क्यों हैं…क्या राजनीति में शतप्रतिशत लोग बुरे हैं…या टीम अन्ना जानती है कि राजनेताओं को लेकर ही लोगों में सबसे ज़्यादा गुस्सा है…और एक रणनीति के तहत राजनीति से दूरी रखी जा रही है…ये सच है कि देश में त्याग की भावना दिखाने वालों को इंस्टेंट हीरो का दर्जा मिल जाता है…लेकिन ये वक्त त्याग का नहीं आगे बढ़ कर कमान संभालने का है…सभी वर्गों को साथ जोड़ने का है…
अभी कहा जा रहा है कि ये मीडिया का अन्ना उत्सव है और शहरों तक ही सीमित है…इंटरनेट जेनेरेशन या खाए-पिए-अघाए लोग ही अन्ना के पीछे हैं…ऐसे आरोपों को टीम अन्ना को खारिज करना है…गांवों में ये मुहिम अन्ना के गांव रालेगण सिद्धि तक ही न सिमटी रहे…देश के सभी गांवों में भी इसका असर दिखे…गांधी की स्वीकार्यता बिना कोई भेद हर तबके में थी…उस वक्त बिना किसी मीडिया के संजाल गांधी ने पूरे देश को अपने पीछे जोड़ा…शहरों में भी गांव मे भी…जेपी के वक्त भी सरकारी दूरदर्शन का ही बोलबाला था…उन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितिओं के बावजूद संपूर्ण क्रांति को सफल बना कर दिखाया…ये बात अलग है कि उन्हीं के आंदोलन से निकले कुछ चेले राजनीति में बड़ा नाम बनकर महाभ्रष्ट साबित हुए…

अन्ना के इस आंदोलन का क्या नतीजा सामने आएगा…मैं नहीं जानता…लेकिन इस अन्ना इफैक्ट का ये फायदा ज़रूर होगा कि नेता या अफसर भ्रष्टाचार करते हुए अब सोचेंगे ज़रूर…मेरी शुभकामनाएं हैं कि अन्ना की इस मुहिम से देश से भ्रष्टाचार खत्म हो जाए…जनलोकपाल या लोकपाल जैसी संस्था या व्यक्ति में सारे अधिकार सीमित कर देने को लेकर मेरी कुछ शंकाएं हैं जो हमेशा रहेंगी…भगवान करे मैं गलत साबित हूं और जनलोकपाल भ्रष्टाचार को देश से जड़ से मिटाने में कामयाब हो…

इस पूरे आंदोलन में शुक्रवार रात को रामलीला मैदान एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिला…एक युवती बड़े जोश में अन्ना के लिए नारे लगा रही थी…ठीक वैसे ही जैसे वैष्णोदेवी तीर्थ पर भक्त लगाते हैं…ज़ोर से बोलो जय माता की तर्ज पर…आगे वाले भी बोलो…पीछे वाले भी बोलो…सारे बोलो…मिल कर बोलो…जय अन्ना की…

अन्ना को एक ही दिन में इंडिया और भगवान बनते देखना वाकई सुखद था….