Watch: शाख से टूटी सुरों की लता: 10 अनजाने तथ्य

 


28 सितंबर 1929 को इंदौर में जन्म के बाद पहले हेमा नाम
रखा गया था, 
पहली भारतीय कलाकार जिन्हें 1974 में लंदन के रॉयल
अलबर्ट हॉल में परफॉर्म का मौका मिला; 
क्रिकेट पसंदीदा खेल, लंदन के लॉर्डस स्टेडियम में मैच
देखने के लिए लता के नाम से स्थाई तौर पर गैलरी रिज़र्व



नई दिल्ली (6 फरवरी)।

लता मंगेशकर के बारे में 10 अनजाने तथ्य- 

1

शेवंती
और दीनानाथ मंगेशकर की चार संतान में सबसे बड़ीं, तीन बहनें- आशा भोसले, उषा
मंगेशकर, मीना मंगेशकर, एक भाई- हृदयनाथ मंगेशकर, लता की मां उनके पिता की दूसरी
पत्नी थीं, पहली पत्नी लता की मासी ही थीं जिनका शादी के बाद बहुत जल्दी निधन हो
गया था.

2

जन्म के
वक्त लता का नाम हेमा रखा गया था, लेकिन उनके पिता ने अपने एक नाटक में लतिका नाम
से प्रभावित होकर उनका नाम लता रख दिया.

3

लता के
पिता थिएटर आर्टिस्ट और शास्त्रीय गायक थे. ऐसे में बहुत छोटी उम्र में ही लता की
संगीत से पहचान हुई, सिर्फ़ पांच साल की उम्र में ही उन्होंने पिता के एक नाटक में
काम किया.

4

पिता के
निधन के बाद पूरे घर की ज़िम्मेदारी लता पर आ गई. उन्होंने अपना पहला गाना मराठी
फिल्म कीति हसाल के लिए गाया. ये गाना कभी रिलीज़ नहीं हुआ क्योंकि इसे फिल्म के
फाइनल कट में नहीं रखा गया था.

5

लता
मंगेशकर का जन्म इंदौर में हुआ और 16 साल की उम्र तक वे इसी शहर में रहीं. लता का
जन्म जिस घर में हुआ अब वहां कपड़ो का शोरूम हैं.

6

लता
मंगेशकर ने आठ फिल्मों में अभिनय किया. आनंदघन के नाम से उन्होंने इक्का-दुक्का
मराठी फिल्मों में संगीत भी दिया.

7

लता
मंगेशकर के सिंगिंग करियर के लिए सबसे बड़ा क्रेडिट संगीतकार गुलाम हैदर को दिया
जाता है, उन्हें लता की प्रतिभा पर आंख मूंद कर भरोसा था.

8

 लता पहली भारतीय कलाकार थीं जिन्हें 1974
में लंदन के प्रसिद्ध रॉयल अलबर्ट हॉल में परफॉर्म करने का मौका मिला था.

9

क्रिकेट
लता का पसंदीदा गेम था. क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स स्टेडियम में उनके लिए स्थाई तौर
पर एक गैलरी रिज़र्व थी.

10

फिल्मों
से इतर लता के गीत ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा आंख में भर लो पानी ने उन्हें सबसे
ज़्यादा प्रसिद्धि दिलाई. कवि प्रदीप ने इसे लिखा था. चीन से युद्ध के बाद लता ने
27 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में इस गीत को गाया तो देश के पहले
प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखों से भी आंसुओं की धारा बह उठी थी.

 

 

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Ravindra Singh Yadav
3 years ago

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (07-02-2022 ) को 'मेरी आवाज़ ही पहचान है गर याद रहे' (चर्चा अंक 4334) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

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