Watch: ‘आनंद’ के 51 साल



12 मार्च 1971 को रिलीज हुई थी ऋषिकेश मुखर्जी की डायरेक्ट फिल्म आनंद, पहली बार राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन साथ आए थे नज़र, आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं…ज़िंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए बाबू मोशाय




नई दिल्ली (17 मार्च)।

आनंद मरा नहीं, आनंद कभी मरते नहीं…

“बाबू मोशाय, ज़िंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए…

“ज़िंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है जहाँपनाह, जिसे न आप बदल सकते हैं, न मैं…हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं, जिनकी डोर उस ऊपर वाले के हाथों में है…कब, कौन, कैसे उठेगा, यह कोई नहीं जानता…” 

ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘आनंद’ की रिलीज को 12 मार्च 2022 को 51 साल पूरे हो गए. इस फिल्म के डॉयलॉग गुलजार ने लिखे थे.

ये फिल्म नहीं एक कल्ट मूवी है. ऋषिकेश दा ने पहले इस फिल्म में धर्मेंद्र को लीड रोल में लेकर बनाने की प्लानिंग की थी. लेकिन बाद में राजेश खन्ना को इस रोल के लिए कास्ट किया. धर्मेंद्र को आज तक ये फिल्म न करने का मलाल है. इसका उन्होंने हाल में कपिल शर्मा के शो में जिक्र भी किया.

 ‘आनंद’ फिल्म में आनंद सहगल (राजेश खन्ना) कैंसर के मरीज थे, जिन्हें पता था कि 6 महीने में ही उनकी मौत होने वाली है. खुद के अंदर इतना दर्द समेटे होने के बावजूद आनंद जो भी उनके संपर्क में आता है उसे आनंद ही बांटते है. फिल्म में आनंद दिल्ली से मुंबई इलाज कराने के लिए आता है…अमिताभ बच्चन (डॉ भास्कर बनर्जी) फिल्म में कैंसर स्पेशलिस्ट बने हैं…वे आनंद के बचने की उम्मीद बिल्कुल नहीं होने के बावजूद उसका इलाज करते हैं.

‘आनंद’ में जो भी किरदार था वो आनंद से मिलने के बाद उसे अपना ही मानने लगता है. वो चाहे डॉ प्रकाश कुलकर्णी (रमेश देव) हों या उनकी पत्नी सुमन कुलकर्णी (रीयल लाइफ में भी पत्नी सीमा देव) या डॉ भास्कर बनर्जी (अमिताभ) के साथ रोमांटिक लीड में रेनू (सुमिता सान्याल) या स्टेज डायरेक्टर ईसा भाई सूरतवाला (जॉनी वॉकर) या नर्स सिस्टर डी’जा (ललिता पवार). फिल्म में डॉ प्रकाश कुलकर्णी बने रमेश देव का 2 फरवरी 2022 को 93 साल की उम्र में मुंबई में निधन हुआ. 

आनंद के साथ रोमांटिक लीड में फिल्म में कोई एक्ट्रेस नहीं थी. फिल्म में डॉ भास्कर बनर्जी को हमेशा बाबू मोशाय कह कर आनंद बुलाते हैं. 

इस फिल्म का एक यादगार सीन है आनंद पहली बार ईसा भाई (जॉनी वॉकर) से मिलते हैं. आनंद इस फिल्म में किसी भी अनजान शख्स को रोक कर पीठ पर हाथ मार कर कहते हैं ‘ए मुरारीलाल, पहचाना नहीं, कुतुब मीनार पर बीयर पिला कर आउट कर दिया था. ‘ सामने वाला सुनकर हैरान रह जाता है और कहता है कि वो मुरारी लाल नहीं है. फिल्म में सेर को सवा सेर के तौर पर आनंद को जॉनी वॉकर मिलते हैं. जॉनी वॉकर के साथ पहले सीन में आनंद उन्हें भी मुरारी लाल कह कर बुलाते हैं. फिर कहते हैं पहचाना नहीं बच्चू. इस पर जॉनी वॉकर पलट कर कहते हैं…’अरे जयचंद दो पैग में ही दिल्ली छोड़ गए थे’. इस पर आनंद कहते हैं ‘दो नहीं चार पैग’. अमिताभ दोनों की बात सुन कर आनंद की तरफ इशारा कर जॉनी वॉकर से कहते हैं ‘इनका नाम जयचंद नहीं आनंद है’. इस पर जॉनी वॉकर कहते हैं, ‘मेरा नाम भी मुरारी लाल नहीं ईसा भाई है, ईसा भाई सूरतवाला.’

इसके बाद आनंद पूरी फिल्म में जॉनी वॉकर को गुरुदेव कह कर ही बुलाते हैं.

2003 में निर्माता करन जौहर और निर्देशक निखिल आडवाणी ने शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘कल हो न हो बनाई’ थी. इसमें शाहरुख के निभाए लीड रोल के लिए इंस्पिरेशन तब से 32 साल पहले रिलीज हुई फिल्म आनंद में राजेश खन्ना के किरदार से ही ली गई थी. 

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