KBL…कौन बने लोकपाल, आप भी सुझाइए नाम…खुशदीप

KBC की तर्ज पर KBL…

KBC नॉलेज के सूरमाओं को करोड़पति बनाता था…

KBL का विचार ऐसे देश को बनाने का है जो आज़ादी के 63 साल बाद भी दुर्भाग्य से नहीं बन पाया…ऐसा देश जहां सच में ही जनता की चुनी सरकार, जनता की सरकार, जनता के लिए देश को चलाए…अन्ना हजारे इस सपने को जन लोकपाल के ज़रिए पूरा कराना चाहते हैं….रास्ता कितना मुश्किल है इसका अंदाज़ तभी लग गया जब अन्ना को बिल का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी में सिविल सोसायटी के नुमाइंदों को शामिल कराने के लिए ही आमरण अनशन का सहारा लेना पड़ा…अन्ना के पीछे भारी जनसमर्थन आ जुटा तो सरकार को भी झुकना पड़ा…या यूं कहिए सोनिया गांधी ने सरकार से झुकने के लिए कहा…अन्ना के अनशन के ज़रिए देश ने पहली बार न्यू मीडिया की ताकत को भी देखा…बिना किसी राजनीतिक शक्ति के दखल के पूरे देश में अन्ना के समर्थन में माहौल बना…ब्लॉग, फेसबुक, ट्विटर, एसएमएस, ई-मेल, नुक्कड़ नाटक के ज़रिए अन्ना का संदेश सिर्फ भारत के कोने-कोने में ही नहीं पूरी दुनिया में वहां-वहां भी पहुंचा, जहां-जहां भारतवंशी रहते हैं…

खैर राम-राम करते किसी तरह सरकार के पांच नुमाइंदे सिविल सोसायटी के पांच नुमाइंदों के साथ एक टेबल पर बैठने के लिए तैयार हुए…लेकिन बैकडोर से कीचड़ उछलवाने का खेल भी चलता रहा…अच्छा रहा कि दोनों तरफ़ से समझदारी दिखाई गई और लोकपाल बिल का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी की पहली बैठक शनिवार 16 अप्रैल को सौहार्दपूर्ण माहौल में निपट गई…अब 2 मई को कमेटी के दस सदस्य फिर मिलेंगे…फिर हर हफ्ते बैठक होगी जिससे 30 जून तक लोकपाल बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया जाए और हर हाल में इसे मानसूत्र सत्र में संसद में पेश कर दिया जाए…

बैठक में मोटे तौर पर लोकपाल बिल को लेकर कुछ संशोधनों पर भी सहमति बनी…जैसे कि…

लोकपाल और इसके 10 सदस्यों को चुनने के लिए तीन चरणों वाली प्रक्रिया अपनाई जाए…


सिविल सोसायटी की ओर से तैयार जन लोकपाल बिल के पुराने मसौदे में था कि जो पैनल लोकपाल और दस सदस्यों को चुनने के लिए बनाया जाएगा, उसके मुखिया उपराष्ट्रपति यानि राज्यसभा के सभापति रहेंगे और लोकसभा स्पीकर सदस्य के तौर पर शामिल होंगे…लेकिन कल की बैठक में सहमति बनी कि इस पैनल के मुखिया प्रधानमंत्री रहेंगे और लोकसभा में अपोज़िशन लीडर को भी सदस्य के तौर पर शामिल किया जाएगा…यानि राज्यसभा के सभापति और लोकसभा स्पीकर दोनों ही लोकपाल को चुनने वाले पैनल में शामिल नहीं हो सकेंगे…


पुराने मसौदे में सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम जज, हाईकोर्ट के दो वरिष्ठतम चीफ जस्टिस और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन को भी लोकपाल को चुनने वाले पैनल में शामिल करने की बात थी…लेकिन नए मसौदे में सुप्रीम कोर्ट के दो सबसे युवा जज, हाईकोर्ट के दो सबसे युवा चीफ जस्टिस शामिल करने की बात है…राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन अब पैनल में शामिल नहीं किए जाएंगे…


पुराने मसौदे में था कि लोकपाल को सरकारी सेवक और जनसेवक दोनों के ख़िलाफ़ जांच करने का अधिकार होगा…इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज भी शामिल होंगे…लेकिन नए मसौदे में जज के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत आती है तो वो पहले लोकपाल के एक सदस्य वाली स्क्रीनिंग कमेटी के पास भेजी जाएगी…स्क्रीनिंग के बाद लोकपाल के सात सदस्यों वाली बेंच आगे की कार्रवाई करने या न करने पर फैसला करेगी…

लोकपाल को फोन इंटरसेप्ट करने और इंटरनेट को मॉनीटर करने का भी अधिकार होगा…


लोकपाल बिल का अंतिम ड्राफ्ट तैयार करने का काम तो 30 जून तक (कोई अड़ंगा न लगा तो) पूरा हो ही जाएगा…लेकिन अब यहां ये सवाल नहीं उठता कि लोकपाल या उसकी मदद करने वाले सदस्यों के लिए देश में से बेदाग़ छवि, बेजोड़ साख वाले लोग लाए कहां से जाएंगे…जिस लोकपाल पर पूरे देश की उम्मीद टिकी हो, ज़रूरी है उस शख्स को पूरे देश का भरोसा भी हासिल होना चाहिए…लोकपाल के दूसरे सदस्य भी ईमानदारी के साफ़ ट्रैक की मिसाल होने चाहिए…ऐसे लोग देश में है ही कितने…

चलिए ब्लॉगजगत की ओर से हम ही पहल करते हैं, मैग्नीफाइंग ग्लास लेकर हर फील्ड से ढूंढते हैं…नैतिकता, शुचिता और ईमानदारी के पैमाने पर खरा उतरने वाले लोगों को…मैंने इस लिहाज़ से अपनी पसंद के लोगों की लिस्ट बनाई है…आपको भी जो जो हस्तियां खरी लगती हों, उनके नाम सुझाइए…फिर सिविल सोसायटी तक ये नाम पहुंचाएं जाएंगे…कोशिश यही है कि देश में जितने भी नेक और ईमानदार लोग अपनी मेहनत से किसी मकाम तक पहुंचे हैं वो ज़रूर किसी न किसी रूप में लोकपाल की उस प्रक्रिया से जुड़ें जो देश की तकदीर बदल सकती है…

मेरी पसंद के नाम…

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम
डॉ कलाम पूर्व राष्ट्रपति ही नहीं पीपुल्स प्रेज़ीडेंट के तौर पर लोगों के दिलों में राज करते हैं,पूरा देश इनके बारे में हर बात अच्छी तरह जानता है…

ई श्रीधरन
मेट्रोमैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन ने देश में आज़ादी के बाद विकास के सबसे बड़े काम दिल्ली मेट्रो को सफलता की वो मिसाल बना दिया, जिसका अनुसरण हर फील्ड में किया जाए तो देश का नक्शा ही पलट जाए, ये वहीं श्रीधरन हैं जिन्होंने दिल्ली में मेट्रो का एक पिल्लर गिरने पर इस्तीफ़ा देने में एक मिनट की भी देर नहीं लगाई थी…लेकिन सरकार के पास उनका विकल्प कहां से आता, बड़ी मुश्किल से श्रीधरन इस्तीफ़ा वापस लेने को तैयार हुए…इन्हीं श्रीधरन को हैदराबाद मेट्रो में सलाहकार बनने के लिए न्यौता दिया गया था, लेकिन श्रीधरन ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट देखते ही उसमें भ्रष्टाचार को सूंघ लिया और साफ तौर पर उससे जुड़ने से इनकार कर दिया था, जहां तक मेरी पसंद की बात है तो ई श्रीधरन देश के लिए बढ़िया लोकपाल साबित हो सकते हैं…

सोमनाथ चटर्जी
लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए…सोमनाथ चटर्जी ही वो शख्स हैं जिन्होंने स्पीकर के पद की मर्यादा को नई ऊंचाई दी…न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर सोमनाथ दा पर उनकी पार्टी सीपीएम का ही दबाव था कि वो इस्तीफा देकर पार्टी लाइन को मानें…लेकिन सोमनाथ दा ने जो फैसला किया, वो इस बात की मिसाल था कि स्पीकर का पद दलगत राजनीति से नहीं जुड़ा होता…

 
 
 
 

 
एन राम
हिंदू के एडीटर इन चीफ एन राम को पत्रकारिता के पुरोधा के तौर पर पूरा देश जानता है…लेकिन एन राम वो शख्स हैं जिन्होंने सबसे पहले ज़ोर देकर कहा कि अगर मीडिया को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी है तो पहले उसे खुद भी पूरी तरह भ्रष्टाचार से मुक्त और शुचिता के पैमाने पर खरा उतरना चाहिए….एन राम ने ही राडियागेट कांड में बरखा दत्त और वीर सांघ्वी जैसे दिग्गजों का नाम आने पर साफ तौर पर कहा था कि उन्होंने अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया, इसलिए उनकी माफ़ी को स्वीकार नहीं किया जा सकता…एन राम के मुताबिक बीबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स और फाइनेंशियल टाइम्स जैसे संस्थान होते तो अपने वरिष्ठ पत्रकारों का इस तरह का व्यवहार कतई बर्दाश्त नहीं करते…

जे एम लिंग्दोह
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और सरकारी सेवा के लिए 2003 में मैग्सेसे अवार्ड विजेता जे एम लिंग्दोह का बेदाग रिकार्ड रहा है…पी जे थॉमस की सीवीसी पद के लिए नियुक्ति के मनमोहन सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने वाली हस्तियों में लिंग्दोह प्रमुख थे…ये लिंग्दोह ही हैं जिन्होंने 2002-03 में मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर रहते गुजरात में बीजेपी सरकार की विधानसभा भंग करने की सिफारिश के बाद शीघ्र चुनाव कराने के सुझाव को नहीं माना था…लिंग्दोह को लगा था कि बीजेपी उस वक्त गुजरात के माहौल को राजनीतिक तौर पर भुनाने के लिए शीघ्र चुनाव कराना चाहती थी…लिंग्दोह ने पूरे इंतज़ाम के लिए पूरा वक्त लेने के बाद ही गुजरात में चुनाव कराने का फैसला किया था…

अभयानंद
अभयानंद 1977 बैच के आईपीएस हैं और इस वक्त बिहार के एडिशनल डायरेक्टर जनरल है…लेकिन अभयानंद की इससे बड़ी पहचान सुपर 30 प्रोग्राम से जुड़े रहने से बनी…फिजिक्स में कॉलेज टॉपर रहे अभयानंद ने आनंद कुमार के साथ मिलकर सुपर 30 को ऐसा प्रोग्राम बना दिया जिसकी गूंज भारत के साथ पूरे विश्व में सुनाई देती है…इसमें 30 गरीब बच्चों को आईआईटी में दाखिले के एग्जाम की तैयारी के लिए कोचिंग के लिए चुना जाता…फिर उन्हें किताबें, खाने, रहने की सभी सुविधा देकर तैयारी कराई जाती थी…अभयानंद सर्विस करते हुए भी बच्चों को फिजिक्स पढ़ाने के लिए वक्त निकालते रहे…ये प्रोग्राम कितना कामयाब रहा इसका अंदाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि इसके सारे ही बच्चे 2008 में आईआईटी के लिए चुने गए…2008 में ही अभयानंद ने खुद को सुपर 30 चलाने वाले रामानुजन स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स से अलग किया…अभयानंद ने खुद को इसी तर्ज पर अलग रहमनी सुपर 30 योजना से जोड़ा जिससे मुस्लिम समाज के गरीब बच्चों को भी आईआईटी में दाखिले के लिए तैयार किया जा सके…2009 में ऐसे ही एक बच्चे को आईआईटी में दाखिला लेने में कामयाबी भी मिली…

लोकपाल और इसके सदस्यों को चुनने वाले पैनल को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हेड करने और लोकसभा में अपोजिशन की नेता सुषमा स्वराज के सदस्य के तौर पर भी किसी को ऐतराज़ नहीं होना चाहिए…दोनों देश की दो मुख्य राजनीतिक धाराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं…जिसको नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता…

इसके अलावा सिविल सोसायटी से अरविंद केजरीवाल, जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण भी ऐसे नाम हैं जिन्हें अन्ना हजारे की सरपरस्ती में लोकपाल और उसके सदस्य चुनने की प्रक्रिया से जुड़े रहना चाहिए…हां, शांति भूषण जी का नाम जैसे सवा अरब रुपये की संपत्ति और सीडी को लेकर विवादों के घेरे में घसीटा जा रहा है, उसमें खुद ही उन्हें ड्राफ्ट कमेटी से अलग हो जाना चाहिए…अब ये आरोप बेशक झूठे भी हों लेकिन शांतिभूषण जी को इस्तीफा देकर नैतिकता की मिसाल कायम करनी चाहिए…भ्रष्टाचार के खिलाफ यही तो सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ पूरे देश की जनता की भी आवाज़ है, जिनकी छवि पर दाग आए उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए…और इंतज़ार करना चाहिए,जब तक उनका नाम जांच में पूरी तरह बेदाग़ साबित नहीं हो जाता…

error

Enjoy this blog? Please spread the word :)