Kalmadi- चप्पल से अर्श, चप्पल से फ़र्श…खुशदीप

1977- सुरेश कलमाड़ी ने मोरारजी देसाई की कार पर चप्पल चलाई…

2011- सुरेश कलमाड़ी पर पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में कपिल ठाकुर नाम के शख्स ने चप्पल चलाई…

सुरेश कलमाड़ी के लिए वक्त का पहिया कैसे 360 डिग्री पर घूमा, इसे समझने के लिए चप्पल से अच्छा ज़रिया और कोई नहीं हो सकता…पहले कलमाड़ी के शुरूआती दिनों की बात कर ली जाए…डा शामाराव कलमाडी के चार पुत्रों में सबसे बड़े सुरेश कलमाडी को उनके पिता डॉक्टर ही बनाना चाहते थे…लेकिन पढ़ाई में होशियार कलमाड़ी ने अपने सपनों को उड़ान देने के लिए भारतीय वायुसेना से करियर शुरू किया…लेकिन जल्दी ही कलमाड़ी को समझ आ गया कि उनके पंखों को परवाज़ देने के लिए भारतीय वायुसेना का कैनवास छोटा पड़ेगा…1974 में कलमाड़ी स्क्वॉड्रन लीडर रहते हुए स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेकर पुणे लौट आए…यहां उन्होंने पहले से चल रहे एक होटल को खरीदा और उसे पूना कॉफी हाउस का नाम दिया…ये महाराष्ट्र की राजनीति पर बहस के लिए अच्छा अखाड़ा था…यहीं से कलमाड़ी राजनेताओं के संपर्क में आने लगे…फर्राटेदार अंग्रेज़ी और तेज़ दिमाग वाले कलमाड़ी राजनीति के घाघ खिलाड़ी शरद पवार की नज़र पड़ी और पुणे में यूथ फॉर रिकन्स्ट्रक्शन नामक एनजीओ की गतिविधियों की कमान कलमाड़ी को मिल गई…जल्दी ही कलमाड़ी पुणे यूथ कांग्रेस के प्रमुख भी बन गए…लेकिन कलमाड़ी की कोशिश यही थी कि किसी तरह दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान की नज़र उन पर पड़ जाए…उस वक्त कांग्रेस आलाकमान का मतलब संजय गांधी को माना जाता था…जल्दी ही कलमाड़ी को मौका भी मिल गया…मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री रहते हुए 1977 में पुणे के दौरे पर आए…कलमाड़ी ने विरोध जताने के लिए अपने साथी श्याम पवार के साथ मिलकर चप्पल मोरारजी की कार पर उछाल दी…कलमाड़ी का तीर निशाने पर बैठा…संजय गांधी ने अगले दिन अखबार में रिपोर्टिंग देखते ही कलमाड़ी के बारे में सारी जानकारी महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से मंगाई…फिर व्यवहारकुशल कलमाड़ी को संजय गांधी से पटरी बैठाने में देर नहीं लगी…इसी कलमाड़ी को को कल निशाना बनाकर मध्यप्रदेश के शख्स कपिल ठाकुर ने चप्पल उछाली…पुलिस की मुस्तैदी से कलमाड़ी चप्पल खाने से बच गए और कपिल ठाकुर को मौके पर ही धर लिया गया…

लौटता हूं कलमाड़ी के राजनीति के शुरूआती वर्षों में…1980 में संजय गांधी की विमान हादसे में मौत के बाद कलमाड़ी ने राजीव गांधी से तार जोड़ने के लिए हाथ-पैर मारना शुरू किया…अच्छी अंग्रेज़ी और पायलट की पृष्ठभूमि के चलते कलमाड़ी को पायलट से नेता बने राजीव गांधी से भी तार जोड़ने में देर नहीं लगी…

कलमाड़ी का ये हुनर नरसिंह राव के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी काम आया…नरसिंह राव ने अपने मंत्रिमंडल में रेल राज्यमंत्री बनाकर लालबत्ती की गाड़ी से नवाज़ा…यानि शरद पवार के दबदबे के बावजूद कलमाड़ी ने राजनीति और खेल प्रशासन में पुणे के मराठा के तौर पर पहचान बनाए रखी…पिछले तीन दशकों में पुणे मैराथन हो या पुणे फेस्टिवल, या फिर कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स, पुणे में ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ, जिससे कलमाड़ी का नाम न जुड़ा रहा हो..लेकिन उसी कलमाड़ी पर आज दिल्ली में चप्पल चली तो सोमवार रात को पुणे में उनके दफ्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ही हमला किया…यानि दिल्ली हो या पुणे, कलमाड़ी की पहचान ने चप्पल के जिस अंदाज़ से उड़ान भरी, उसी चप्पल के निशाने से गोता भी लगाया….

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