IDBM : अंदर की बातें…खुशदीप

आप कह रहे होंगे ये  IBM तो सुनी है, ये मैं कौन सी नई कंपनी ले आया…IDBM… तो ये है जनाब- इंटरनेशनल दिल्ली ब्लॉगर्स मीट…अब तक आप सोच रहे होंगे कोई ऐसी बात नहीं रह गई जो इस मीट में शिरकत करने वाले ब्लॉगर्स ने आप तक न पहुंचा दी हो, वो भी फोटू समेत…फिर मैं कौन सा कद्दू में तीर मारने बैठा हूं…

दो-तीन से तबीयत ढीली है, इसलिए कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था…भाई कुमार जलजला के साथ शब्दों की जुगाली करते वैसे ही मेरा स्टैमिना बोल गया था…ऊपर से भीषण गर्मी…और मीट भी दिल्ली के सुदूर कोने नांगलोई में…मन भी भारी था और सोच-सोच कर हिम्मत भी जवाब दे रही थी…लगता है मीट से पहले जैसे तनाव में मैं था, कुछ वैसे ही तनाव से भाई अजय कुमार झा भी गुज़र रहे थे…ब्लॉगिंग में जो चल रहा है वो मेरे कदमों को नांगलोई की ओर बढ़ने से रोक रहा था…लेकिन अविनाश वाचस्पति जी का बड़े भाई वाला स्नेह युक्त आदेश और राजीव कुमार तनेजा की छोटे भाई सी हठ मेरी हिचक पर भारी पड़ी…ऊपर से गुरुदेव समीर लाल समीर जी और राज भाटिया जी का सात समंदर पार से ही मार्गदर्शन…मैंने तबीयत की चिंता छोड़ी और जाने का पक्का इरादा कर लिया…ऐसे में विदेश घूमने गए सतीश सक्सेना भाई बड़े याद आए…वो होते तो उन्हीं की गाड़ी पर लद लेता…खैर, ऐसे मौके पर काम आए दुनिया को अपने कार्टून्स से गुदगुदाने वाले इरफ़ान भाई… 

इरफ़ान भाई को रविवार को बड़ा ज़रूरी काम था…लेकिन मेरे आग्रह को वो टाल नहीं सके…हां, मज़े की बात एक और है, मैंने एक और स्टार ब्लॉगर को भी फोन किया था…रविवार को उनकी भी छुट्टी रहती है…उन्होंने पूछा, चलना कहां है…मैंने कहां…नांगलोई जाट धर्मशाला…उन्होंने ये नाम सुनते ही जय राम जी कर लेना ही बेहतर समझा…मैं भी सोचने लगा कि अगर सीपी, जीके, साउथ एक्स या डेफकॉल (डिफेंस कॉलोनी), केनाग (कमला नगर) की तरह मैं भी नांगलोई जाट को एनजे बताता तो शायद वो स्टार ब्लॉगर मीट में चलने को तैयार हो जाते….तो जनाब, इरफान भाई से तय टाइम के मुताबिक मेट्रो में भेंट हुई…अब हम पहले नोएडा से राजीव चौक…वहां से मेट्रो बदल कर कश्मीरी गेट…वहां से मेट्रो बदल कर इंद्रलोक और वहां से आखिरी मेट्रो बदलकर नांगलोई रेलवे स्टेशन…हमारी तुलना में शायद संगीता पुरी जी के लिए बोकारो और ललित शर्मा भाई के लिए रायपुर से नांगलोई आना भी आसान रहा होगा…नांगलोई रेलवे स्टेशन पर उतरते ही राजीव तनेजा भाई अपनी फटफटिया पर हमारी अगवानी के लिए खड़े थे…लाल टी शर्ट में सजे…

अब आगे राजीव भाई, बीच में इरफ़ान भाई और सबसे पीछे मैं फटफटिया पर लद-फद कर मीटिंग स्थल पहुंचे…आप खुद ही सोचिए हम तीनों का एक ही फटफटिया पर  सवारी गांठना, क्या ऐतिहासिक नज़ारा रहा होगा…लो जी पहुंच गए ब्लॉगर्स मीट…अब ब्लॉगर्स मीट में कौन-कौन था, क्या क्या फैसले हुए, क्या क्या प्रस्ताव हुए…इन सब के बारे में तो आप अब तक अविनाश भाई, अजय कुमार झा जी समेत मीट में मौजूद सभी ब्लॉगर्स की रिपोर्ट में जान ही चुके होंगे…मैं सिर्फ बिटवीन द लाइंस इस पोस्ट में बताने जा रहा हूं…अंदर पहुंचते ही जूनियर तनेजा जी (माणिक) ने कोल्ड ड्रिंक मेरे हवाले की…एक ही सांस में गटक गया…(बिना शुगर लेवल बढ़ने की परवाह किए)…

मीट जवां हो रही थी…विचारों का प्रवाह पूरी रवानगी पर आ रहा था…तभी एक-एक खाने का विशालकाय पैकेट सभी ब्लॉगर्स की कुर्सियों पर आ चुका था…गुलाब जामुन, कलाकंद, कराची हलवा टाइप एक और मिष्ठान, समोसा, ब्रेड पकोड़ा और चटनी ..टेबल पर बिस्किट की प्लेट, गर्मागर्म चाय, और ठंडा यानि कोकाकोला लगातार सर्व हो रहा था…मैंने नज़रे बचा कर मीठे पर सबसे पहले हाथ साफ किया…घर पर मीठे की शाही मौज पर बैन जो है…लेकिन मुझे नहीं पता था कि फड़कती मूछों वाले शेरसिंह (ललित शर्मा) की नज़रें मेरे पर ही थीं…उन्होंने अपना मीठा तो मेरठ का ही नाम रौशन करने वाले नीरज जाट के हवाले कर दिया था…लेकिन वो लगातार यही देख रहे थे कि मैं अपने मीठे का क्या करता हूं…मैं तो मीठा गप कर ही चुका था….फिर ठंडे से गला तर करने के लिए राजीव तनेजा भाई ने बर्फ का जमा कोकाकोला मेरे हवाले किया तो ललित भाई से रहा नहीं गया…मुझे टोक ही दिया…लिए जाओ, लिए जाओ जितनी मौज ली जा सकती है…मैं सुनकर सकपकाया…लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत…लेकिन मैंने भी ठान लिया शेरसिंह जी से बदला ज़रूर लूंगा…और वो मैंने ले लिया…कैसे ये कल की पोस्ट में बताऊंगा…हां, एक बात बताना भूल गया राजीव तनेजा भाई सिर्फ लाल टीशर्ट ही में नहीं थे, काली कार भी लाए हुए थे…(याद कीजिए किसने कहा था कि लाल टीशर्ट और काली कार में आउंगा)….वो तो बाद में संजू तनेजा भाभी ने साफ किया कि कार में तो मैं और माणिक बेटा आए हैं…राजीव भाई तो फटफटिया पर ही आए हैं…एक बात और, कुछ लोगों का कहना है कि इस मीट के साथ इंटरनेशनल क्यों जोड़ा गया…तो भईया तीन इंटरनेशनल कॉल्स तो मेरे मोबाइल पर ही आईं…गुरुदेव समीर लाल समीर जी, दीपक मशाल और अदा जी की कॉल्स…कॉल तो ताऊ जी और शोभना बहना की भी आई थी…तो क्या देश, क्या विदेश, सब जगह के ब्लॉगर्स ने मीट में शिरकत की…तो हो गई न सही में इंटरनेशनल मीट…

फिलहाल ब्लॉगवुड की हालत को बयां करता मीट में मेरा सुनाया एक स्लॉग ओवर…

स्लॉग ओवर
मक्खन और ढक्कन पार्क की बेंच पर खाली बैठकर वक्त से बदला ले रहे थे…तभी मक्खन ज़ोर ज़ोर से तालियां बजाने लगा…ढक्कन ने पूछा…ये क्या कर रहा है भई…

मक्खन…तालियां बजाने से भूत पास नहीं आते…

ढ़क्कन…लेकिन यहां तो कोई भूत नहीं है…

मक्खन…देखा, मेरी तालियों का असर…