स्वामी निगमानंद काश आपको आमरण अनशन के साथ मार्केटिंग करना भी आता…बाबा रामदेव की तरह आपका ऑरा होता.. अरबों रुपये का एम्पायर होता…अन्ना हज़ारे की तरह आपकी टीम में पूर्व नौकरशाह, पूर्व आईपीएस, दिग्गज वकील, रिटायर्ड जस्टिस होते…फिर देखते…आप की मौत के बाद जो आपके लिए आसमान सिर पर उठा रहे हैं, वही आपके जीते-जी भी आपकी गणेश-परिक्रमा कर रहे होते…
आखिर आपने गंगा के मैली होने का मुद्दा उठाया ही क्यों…गंगा मैया का सीना अगर किनारे लगे स्टोन क्रशर से छलनी हो रहा था, तो आपने दर्द क्यों महसूस किया…सवा अरब की आबादी में गंगापुत्र बनने का बीड़ा आपने ही क्यों उठाया…अन्ना हजारे या उनकी टीम के सदस्य या बाबा रामदेव, छींक भी मारते हैं तो कलम-कंप्यूटर के धनी माइक्रोस्कोप से ये भी देखने को तैयार रहते हैं कि कि नाक-मुंह से नज़ले की कितनी बूंदें बाहर आई…लेकिन इन शूरवीरों को भीष्म पितामह की तरह मृत्युशैया पर पड़े स्वामी निगमानंद ज़िंदा रहते कभी नहीं दिखे…मौत के बाद ज़रूर छाती पीट-पीट कर विलाप होने लगा…
अगर बाबा रामदेव के पल-पल के स्वास्थ्य के लिए दुनिया भर का मीडिया देहरादून के हिमालयन इंस्टीट्यूट अस्पताल में डेरा न डाले होता तो स्वामी निगमानंद की मौत का किसी को पता भी नहीं चलता…बाबा रामदेव और स्वामी निगमानंद में एक बात कॉमन थी…आमरण अनशन…इसी ने पैरलल स्टोरी का आधार तैयार किया…लेकिन ये सब भूल गए कि इस साल 19 फरवरी को जब स्वामी निगमानंद ने हरिद्वार के मातृ सदन पर आमरण अनशन शुरू किया था तो उस वक्त न तो अन्ना हजारे और न ही बाबा रामदेव का अनशन कहीं पिक्चर मे था…स्वामी निगमानंद जिस मातृ सदन आश्रम से जु़ड़े थे उसने न जाने कब से गंगा से हिमालय के पत्थरों के खनन और किनारे पर ही क्रशऱ से उन्हें कूटे जाने के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा था…इसी संघर्ष का परिणाम था कि इक्कीस में से बीस क्रशर बंद हो गए…एक क्रशर जो बचा है उसका मामला अदालत में है…यथास्थिति बनाए रखने की वजह से ये इकलौता क्रशर ही बंद नहीं हुआ है…मातृ सदन के संतों समेत स्वामी निगमानंद ने यही प्रण कर रखा था कि जब तक स्टोन क्रशऱ पूरी तरह बंद नहीं हो जाते, उनका आंदोलन जारी रहेगा….
स्वामी निगमानंद ने भी ठान लिया था कि जब तक प्रण पूरा नहीं होता अनशन पर रहेंगे…19 फरवरी से 27अप्रैल तक 68 दिन तक स्वामी निगमानंद अनशन पर बैठे रहे लेकिन किसी ने सुध नहीं ली…27 अप्रैल को उनकी तबीयत बिगड़नी शुरू हुई तो उन्हें ज़बरन अस्पताल पहुंचा दिया गया…हालत ज़्यादा खराब होने पर उन्हें जॉलीग्रांट देहरादून स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट ले जाया गया…दो मई को स्वामी निगमानंद कोमा में गए और 13 जून की दोपहर को इस युग का ये भागीरथ 36 साल की उम्र में ही परलोक सिधार गया…
स्वामी निगमानंद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत कोमा, सेप्टिसेमिया और डिजेनेरेटिव ब्रेन डिसऑर्डर की वजह से हुई…लेकिन मातृ सदन आश्रम के संस्थापक सदस्य स्वामी शिवानंद ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि प्रशासन उत्तराखंड सरकार के दबाव में काम कर रहा है…स्वामी शिवानंद का आरोप है कि स्वामी निगमानंद की मौत ज़हर देने की वजह से हुई है…उनके मुताबिक अस्पताल में स्वामी निगमानंद को नियमित तौर पर एट्रोपिन दी जा रही थी, जिसका इस्तेमाल ज़हर वाले केसों में ही किया जाता है…
स्वामी निगमानंद चले गए…लेकिन उनकी चिता पर राजनीतिक रोटियां ज़रूर सिकनी शुरू हो गई है…कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने उत्तराखंड की रमेश पोखरियाल निशंक सरकार पर दोहरे मापदंड के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए कठघरे में खड़ा किया है…दिग्विजय सिंह के मुताबिक बाबा रामदेव के अनशन पर तो निशंक सरकार पूरी तरह बिछ गई थी और स्वामी निगमानंद के अनशन की सुध तक नहीं ली थी…निशंक सरकार के बचाव में बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने तर्क दिया है कि स्वामी निगमानंद का सबसे अच्छे अस्पताल में इलाज कराया जा रहा था…
इसे राजनीति का विद्रूप ही कहा जाएगा कि जिस बीजेपी ने बाबा रामदेव के समर्थन के लिए नौ दिन में ही दिन-रात एक कर दिया था…राजघाट पर ठुमके भी लग गए थे…उसी बीजेपी को स्वामी निगमानंद की व्यथा 115 दिन तक नज़र नहीं आ सकी…उत्तराखंड सरकार के मुखिया रमेश पोखरियाल निशंक बाबा रामदेव के 4 जून की कार्रवाई के बाद पतंजलि योग पीठ पहुंचते ही चरणवंदना करने पहुंच गए थे…लेकिन स्वामी निगमानंद के लिए उनसे पर्याप्त वक्त नहीं निकल सका…आरोप तो ये भी हैं कि गंगा किनारे स्टोन क्रशर के धंधे पर राज्य के ही किसी मंत्री का वरदहस्त था…उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव दूर नहीं है…इसलिए कांग्रेस भी स्वामी निगमानंद के मुद्दे को चुनाव तक जिलाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी…बीजेपी ने स्वामी निगमानंद की सुध नहीं ली तो कांग्रेस ने भी उनके जीते-जी क्या किया…क्यों नहीं उनके समर्थन में बड़ा आंदोलन खड़ा किया…खैर राजनीति तो है ही उस चिड़िया का नाम जिसकी कोई नीति न हो….
स्वामी निगमानंद जी आपके जाने के बाद बाबा रामदेव समेत हर कोई कह रहा है कि गंगा के लिए दिए आपके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा…लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा…गंगा से भी अपनी तिजोरियां भरने का रास्ता ढूंढने वाले क्या गंगा को मैली होते रहने से बचा पाएंगे…
स्वामी निगमानंद को समर्पित ये गीत…
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