टॉयलेट गुमा रे बुराड़ी के बाज़ार में…खुशदीप

दिल्ली के एक टॉयलेट की प्रतीकात्मक फोटो
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झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में तो आपने सुना होगा लेकिन टॉयलेट गुम हो जाए दिल्ली के बुराड़ी के बाज़ार में...पढ़ने में कुछ अज़ीब लग रहा होगा आपको…लेकिन इस टॉयलेट के चोरी होने की बाकायदा रिपोर्ट दिल्ली के तिमारपुर थाने में दर्ज़ कराई गई है…ये कुछ कुछ वैसा ही माज़रा है जैसे श्याम बेनेगल की फिल्म वेलडन अब्बा में बमन ईरानी कुआं चोरी हो जाने की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज़ कराने के लिए पंहुचते हैं…

अब आपको ज़्यादा घुमाता नहीं, बता ही देता हूं क्या हुआ…दिल्ली के बुराड़ी विधानसभा इलाके के लोगों ने अपना एक टॉयलेट चोरी हो जाने की पुलिस में शिकायत दर्ज करा कर उसकी पावती भी ली है…बुराड़ी के वार्ड नंबर आठ इदौदा में दिल्ली नगर निगम की ओर से एक टॉयलेट बनाना स्वीकृत हुआ…आरटीआई के माध्यम से जुटाई जानकारी से पता चला कि नगर निगम ने 2008 में टॉयलेट बनाने का ठेका महेश चंद्र एंड कंपनी को एक लाख नौ हज़ार रुपए में दिया…नगर निगम के कागज़ों के हिसाब से 14 जनवरी 2008 को ठेकेदार ने वो टॉयलेट बनाकर निगम को सौंप भी दिया…निगम ने जांच के बाद टॉयलेट को ओके कर ठेकेदार को उसका भुगतान भी कर दिया…

कागज़ों में तो ये सब हो गया लेकिन हक़ीक़त में कभी टॉयलेट बना ही नहीं…इलाके में बीस साल से रह रहे लोगों का कहना है कि उन्होंने कभी उस जगह पर टॉयलेट का नामोनिशान तक नहीं देखा…हैरानी की बात है कि इलाके के बीजेपी  पार्षद गौरव खारी को भी इस गोरखधंधे की भनक तक नहीं है…वो भी अब जांच की बात कह रहे हैं…

लेकिन सरकारी कागज़ झूठ थोड़े ही बोलते हैं…टॉयलेट बना तो बना…तो क्या फिर कोई टॉयलेट को कोई पूरा का पूरा चुरा कर ले गया…बुराड़ी के लोगों ने शिकायत दर्ज़ करा दी है…अब टॉयलेट और चोर को ढूंढ कर लाना पुलिस का काम है…क्या मिलेगा ये टॉयलेट कभी वापस…टॉयलेट तो क्या ही मिलेगा लेकिन भ्रष्टाचार के ज़रिए लोगों के हक़ पर डालने वाले बेनकाब होंगे या नहीं, बड़ा सवाल यही है…

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