बकौल जस्टिस काटजू 90 % भारतीय ‘मक्खन’…खुशदीप​


भारत में हर 10 में  से  9 भारतीय  ‘मूर्ख’  हैं…यानि ‘मक्खन’ हैं…जैसे ठंडा मतलब  कोका-कोका...ऐसे ही ‘मूर्ख’  मतलब  ‘मक्खन’...नब्बे फीसदी ​भारतीयों  को ‘मूर्ख’ और कोई नहीं सुप्रीम  कोर्ट के रिटायर्ड जज और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष  जस्टिस एम एल काटजू बता रहे हैं…​​जस्टिस काटजू का कहना  है  कि नब्बे फीसदी ​भारतीयों के पास ‘अनसाइंटिफिक टेंपर’ है  यानि अवैज्ञानिक  मिज़ाज  है…जस्टिस  काटजू ने नब्बे फीसदी भारतीयों को ‘मूर्ख’  बताने  के पीछे 10 कारण गिनाए हैं, जिनके आधार पर वह इस नतीजे पर पहुंचे हैं… ये रहे वो कारण…

 1. तमिल लोग भारत के सर्वश्रेष्‍ठ और सबसे तेज दिमाग वाले, प्रतिभावान लोगों में शुमार हैं…इसके बावजूद वे भारत में सबसे ज्‍यादा अंधविश्‍वास करने वाले लोग हैं…  


2. दूसरी बात, ज्‍यादातर मंत्री और यहां तक कि हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश अपने ज्‍योतिषियों से राय-मशविरा करके उनके द्वारा बताए गए मुहूर्त में ही शपथ ग्रहण करते हैं…  


3. सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए कुछ फ्लैट तय हैं, उन्‍हीं फ्लैटों में से एक हर जज को आवंटित होता है… ऐसे ही एक फ्लैट में कभी किसी जज के साथ कोई हादसा हुआ था…इसके बाद से उस फ्लैट को मनहूस बताते हुए किसी जज ने उसमें रहना मंजूर ही नहीं किया… अंतत: तत्‍कालीन मुख्‍य न्‍यायाधीश ने चिट्ठी लिखी कि उस फ्लैट को जजों को आवंटित किए जाने वाले फ्लैट की सूची से ही हटा दिया जाए///इसके बाद ऐसा ही किया गया और उसके बदले दूसरा फ्लैट सूची में शुमार किया गया…  


4. कुछ साल पहले मीडिया में खबर चली कि भगवान गणेश दूध पी रहे हैं…इसके बाद दूध पिलाने वाले भक्‍तों की भीड़ लग गई… इसी तरह एक चमत्‍कारिक चपाती की चर्चा भी खूब चली इस तरह के ‘चमत्‍कार’ होते ही रहते हैं… 


5. हमारा समाज बाबाओं से प्रभावित है…इस कड़ी में ताजा वह हैं जो तीसरी आंख होने का दावा करते हैं…भगवान शिव की तरह…  


6. जब मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज था, उस दौरान ऐसी खबर आई थी कि तमिलनाडु में किसी शख्‍स ने पानी से पेट्रोल बनाने की तकनीक ईजाद कर ली है…कई लोगों ने इस पर यकीन किया… मेरे एक सहयोगी ने भी कहा कि अब पेट्रोल सस्‍ता हो जाएगा, लेकिन मैंने कहा कि यह धोखा है और बाद में यह धोखा साबित हुआ…  


7. शादी पक्‍की करने से पहले ज्‍यादातर माता-पिता ज्‍योतिषि से मिलते हैं…कुंडली मेल खाने पर ही शादी पक्‍की होती है…बेचारी मांगलिक लड़कियों को अक्‍सर नकार दिया जाता है,  जबकि उसकी कोई गलती नहीं होती…  


8. हर रोज टीवी चैनलों पर अंधविश्‍वास को बढ़ावा देने वाले तमाम कार्यक्रम दिखाए जाते हैं…ब्रॉडकास्‍ट एडिटर्स एसोसिएशन इन्‍हें रोकने की बात करता है, लेकिन बाजार के दबाव में उन्‍हें रोका नहीं जा रहा है… अफसोस की बात है कि भारत में मध्‍य वर्ग का बौद्धिक स्‍तर काफी नीचा है…वे फिल्‍मी सितारों की जिंदगी, फैशन परेड, क्रिकेट और ज्‍योतिष से जुड़े कार्यक्रम ही पसंद करते हैं… 


9. ज्‍यादातर हिंदू और ज्‍यादातर मुसलमान सांप्रदायिक हैं…1857 के पहले ऐसा नहीं था…यह एक सच है कि हर समुदाय के 99 फीसदी लोग बेहतर हैं, लेकिन उनके अंदर से संप्रदायवाद का वायरस मिटाने में काफी समय लग जाएगा…  


10. इज्‍जत के नाम पर जान लेना, दहेज के लिए हत्‍याएं, कन्‍या भ्रूण हत्‍या जैसी सामाजिक कुरीतियां आज भी भारत में मौजूद हैं….


(दैनिक  भास्कर  के इनपुट  पर साभार आधारित)


स्लॉग ओवर 
जस्टिस  काटजू की राय  वाली  इस  रिपोर्ट  के बारे में जब  से मक्खन  ने सुना है, उसके पैर  ज़मीन  पर  नहीं पड़  रहे…हंस  रहा है कि वो खुद ​ ​को इस  देश  में अपने जैसा एक  ही नमूना समझता था…लेकिन  यहां तो…

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