दोस्तों, करीब
तीन महीने के अंतराल के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूं…क्षमाप्रार्थी हूं, अपनी
व्यस्तताओं की वजह से नियमित ब्लॉगिंग नहीं कर सका…अब प्रयत्न करूंगा कि कुछ ना
कुछ लिखता रहूं….अतीत की तरह प्रति दिन नहीं लिख पाऊं तो दो-तीन के अंतराल पर
सही…मेरा आप सब से भी अनुरोध है कि हिंदी ब्लॉगिंग का सुनहरा दौर
लौटाने के लिए प्रयास करें, जैसा कि आज से 5-6 साल पहले था…
तीन महीने के अंतराल के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूं…क्षमाप्रार्थी हूं, अपनी
व्यस्तताओं की वजह से नियमित ब्लॉगिंग नहीं कर सका…अब प्रयत्न करूंगा कि कुछ ना
कुछ लिखता रहूं….अतीत की तरह प्रति दिन नहीं लिख पाऊं तो दो-तीन के अंतराल पर
सही…मेरा आप सब से भी अनुरोध है कि हिंदी ब्लॉगिंग का सुनहरा दौर
लौटाने के लिए प्रयास करें, जैसा कि आज से 5-6 साल पहले था…
जैसा कि आप जानते
हैं कि पिछले 6-7 महीने में गूगल ने हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम
उठाए हैं…इनमें हिंदी के लिए एडसेंस शुरू करना भी शामिल है…हालांकि इस दिशा
में गूगल से अब भी बहुत कुछ अपेक्षित है…लेकिन गूगल ने पहल की
है इसलिए उसका स्वागत किया जाना चाहिए…मुझे याद है जब मैंने 2009 में ब्लॉगिंग
शुरू की थी तब ब्लॉगर्स में बहुत उत्साह था…इसकी एक वजह चिट्ठा-जगत और ब्लॉगवाणी
जैसे अच्छे एग्रीगेटर्स (संकलक) की उपस्थिति थी…चिट्ठा जगत में ब्लॉगर्स की
रैंकिंग की वजह से ब्लॉगर्स में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रहती थी…
ब्लॉग्स पर
टिप्पणियां भी खूब आती थीं, जो ब्लॉगर्स के लिए ट़ॉनिक की तरह काम करती थी…उस
वक्त हिंदी ब्लॉगर्स को ये उम्मीद भी थी कि हिंदी के लिए गूगल शीघ्र एडसेंस की
सुविधा प्रारंभ करेगा…लेकिन ये प्रतीक्षा बनी ही रही…एक और वजह ये भी रही कि
फेसबुक का प्रादुर्भाव…ब्लॉग्स पर जो टिप्पणियां आती थीं वो फेसबुक की तरफ़
शिफ्ट हो गईं…फेसबुक कंटेंट की वजह से नहीं अधिकतर दोस्त-रिश्तेदारों के बीच हल्के-फुल्के
संवाद, एक-दो पक्तियों की पोस्ट्स, फोटो पर लाइक्स और कमेंट्स की भरमार की वजह से
तेज़ी से लोकप्रिय हुआ…ट्विटर ने भी अपनी अच्छी स्पेस बनाई…इससे ऐसा आभास हुआ
कि हिंदी ब्लॉगिंग आईसीयू में पहुंच गई है…
हैं कि पिछले 6-7 महीने में गूगल ने हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम
उठाए हैं…इनमें हिंदी के लिए एडसेंस शुरू करना भी शामिल है…हालांकि इस दिशा
में गूगल से अब भी बहुत कुछ अपेक्षित है…लेकिन गूगल ने पहल की
है इसलिए उसका स्वागत किया जाना चाहिए…मुझे याद है जब मैंने 2009 में ब्लॉगिंग
शुरू की थी तब ब्लॉगर्स में बहुत उत्साह था…इसकी एक वजह चिट्ठा-जगत और ब्लॉगवाणी
जैसे अच्छे एग्रीगेटर्स (संकलक) की उपस्थिति थी…चिट्ठा जगत में ब्लॉगर्स की
रैंकिंग की वजह से ब्लॉगर्स में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रहती थी…
ब्लॉग्स पर
टिप्पणियां भी खूब आती थीं, जो ब्लॉगर्स के लिए ट़ॉनिक की तरह काम करती थी…उस
वक्त हिंदी ब्लॉगर्स को ये उम्मीद भी थी कि हिंदी के लिए गूगल शीघ्र एडसेंस की
सुविधा प्रारंभ करेगा…लेकिन ये प्रतीक्षा बनी ही रही…एक और वजह ये भी रही कि
फेसबुक का प्रादुर्भाव…ब्लॉग्स पर जो टिप्पणियां आती थीं वो फेसबुक की तरफ़
शिफ्ट हो गईं…फेसबुक कंटेंट की वजह से नहीं अधिकतर दोस्त-रिश्तेदारों के बीच हल्के-फुल्के
संवाद, एक-दो पक्तियों की पोस्ट्स, फोटो पर लाइक्स और कमेंट्स की भरमार की वजह से
तेज़ी से लोकप्रिय हुआ…ट्विटर ने भी अपनी अच्छी स्पेस बनाई…इससे ऐसा आभास हुआ
कि हिंदी ब्लॉगिंग आईसीयू में पहुंच गई है…
अभी कल ही मेरे आदरणीय
ब्लॉगर डॉ टी एस दराल (ब्लॉग अंतर्मंथन) ने फेसबुक पर लिखा- तीन दिन पहले डाली एक पोस्ट पर केवल १७दर्शक ( ज़रूरी नहीं पाठक ) नज़र आ रहे हैं ! और टिप्पणी केवल एक ! यानि ब्लॉगिंगका इंतकाल ! तो क्या क्रियाक्रम भी कर देना चाहिये ! ( ब्लॉगिंग के प्रति इसउदासीनता मे हम भी बराबर के हिस्सेदार हैं)…
ब्लॉगर डॉ टी एस दराल (ब्लॉग अंतर्मंथन) ने फेसबुक पर लिखा- तीन दिन पहले डाली एक पोस्ट पर केवल १७दर्शक ( ज़रूरी नहीं पाठक ) नज़र आ रहे हैं ! और टिप्पणी केवल एक ! यानि ब्लॉगिंगका इंतकाल ! तो क्या क्रियाक्रम भी कर देना चाहिये ! ( ब्लॉगिंग के प्रति इसउदासीनता मे हम भी बराबर के हिस्सेदार हैं)…
डॉक्टर साहब का ऐसा मानना ग़लत नहीं है…निश्चित रूप से इस
उदासीनता के लिए हम उत्तरदायी हैं…लेकिन मैंने ये भी देखा कि कुछ ब्लॉगर्स
टिप्पणियों या पाठकों की घटती संख्या से विचलित हुए बिना भी लगातार ब्लॉग लेखन
करते रहे…उनके लिए अच्छा कंटेंट महत्वपूर्ण था…उन्हें पाठक भी मिलते
रहे…दरअसल ब्लॉगर्स को यही समझना चाहिए…Content
is King…आपका लेखन यूज़र्स फ्रेंडली होना चाहिए….अगर आपकी किसी पोस्ट से पाठकों
को कोई नई बात, नई जानकारी या किसी जिज्ञासा का निवारण होता है, तो उस पोस्ट को
वर्षों बाद भी सर्च इंजन से आने वाले पाठक मिलते रहेंगे…
उदासीनता के लिए हम उत्तरदायी हैं…लेकिन मैंने ये भी देखा कि कुछ ब्लॉगर्स
टिप्पणियों या पाठकों की घटती संख्या से विचलित हुए बिना भी लगातार ब्लॉग लेखन
करते रहे…उनके लिए अच्छा कंटेंट महत्वपूर्ण था…उन्हें पाठक भी मिलते
रहे…दरअसल ब्लॉगर्स को यही समझना चाहिए…Content
is King…आपका लेखन यूज़र्स फ्रेंडली होना चाहिए….अगर आपकी किसी पोस्ट से पाठकों
को कोई नई बात, नई जानकारी या किसी जिज्ञासा का निवारण होता है, तो उस पोस्ट को
वर्षों बाद भी सर्च इंजन से आने वाले पाठक मिलते रहेंगे…
गूगल से पिछले कुछ अर्से से मुझे संवाद
करने का अवसर मिला है…जहां तक मैं समझ पाया हूं कि गूगल यही चाहता है हिंदी में
अच्छा और ओरिज़नल कंटेट अधिक से अधिक सामने आए…अगर आप ऐसा करते हैं तो गूगल को
भी आपके ब्लॉग्स को प्रोत्साहित करने में प्रसन्नता होगी…आर्गेनिक सर्च में
रैंकिंग में आपका पेज़ ऊपर दिखाई दे तो इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण यही है कि आप किस
तरह कंटेंट उपलब्ध कराते हैं…
यहां कुछ ऐसी भ्रांतियां हैं कि आप एसईओ (सर्च
इंज़न ऑप्टिमाइज़ेशन) को हायर कर घटिया कंटेंट के ज़रिए भी सर्च में ऊपर आ सकते
हैं…ऐसा कुछ नहीं हैं…बल्कि गलत तरीके अपनाने वालों को गूगल बहुत ज़ल्दी पकड़
लेता है…हो सकता है कि ऐसा करने वालों के ब्लॉग और साइट गूगल सर्च में बिल्कुल
दिखने ही बंद हो जाएं…ऐसे में सलाह यही है कि आप खुद एसईओ के बारे में जानकारी लें…गूगल
ने इसके लिए दिशानिर्देश तैयार कर रखे हैं…इसे आसानी से समझने के लिए विडियो भी
बना रखे हैं…गूगल अब नियमित तौर पर हैंगआउट्स के ज़रिए भी वेबमास्टर्स (वेबसाइट
संचालक, ब्लॉगर्स) से संवाद कायम कर रहा है…आप में से अधिकतर को ज्ञात होगा कि
गूगल ने हिंदी के लिए एक कम्युनिटी भी बनाई है..जहां आप अपने सवालों के जवाब जान
सकते हैं…
करने का अवसर मिला है…जहां तक मैं समझ पाया हूं कि गूगल यही चाहता है हिंदी में
अच्छा और ओरिज़नल कंटेट अधिक से अधिक सामने आए…अगर आप ऐसा करते हैं तो गूगल को
भी आपके ब्लॉग्स को प्रोत्साहित करने में प्रसन्नता होगी…आर्गेनिक सर्च में
रैंकिंग में आपका पेज़ ऊपर दिखाई दे तो इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण यही है कि आप किस
तरह कंटेंट उपलब्ध कराते हैं…
यहां कुछ ऐसी भ्रांतियां हैं कि आप एसईओ (सर्च
इंज़न ऑप्टिमाइज़ेशन) को हायर कर घटिया कंटेंट के ज़रिए भी सर्च में ऊपर आ सकते
हैं…ऐसा कुछ नहीं हैं…बल्कि गलत तरीके अपनाने वालों को गूगल बहुत ज़ल्दी पकड़
लेता है…हो सकता है कि ऐसा करने वालों के ब्लॉग और साइट गूगल सर्च में बिल्कुल
दिखने ही बंद हो जाएं…ऐसे में सलाह यही है कि आप खुद एसईओ के बारे में जानकारी लें…गूगल
ने इसके लिए दिशानिर्देश तैयार कर रखे हैं…इसे आसानी से समझने के लिए विडियो भी
बना रखे हैं…गूगल अब नियमित तौर पर हैंगआउट्स के ज़रिए भी वेबमास्टर्स (वेबसाइट
संचालक, ब्लॉगर्स) से संवाद कायम कर रहा है…आप में से अधिकतर को ज्ञात होगा कि
गूगल ने हिंदी के लिए एक कम्युनिटी भी बनाई है..जहां आप अपने सवालों के जवाब जान
सकते हैं…
हिंदी ब्लॉगर्स से संवाद की कड़ी में ही गूगल
ने हैंगआउट में हिस्सा लेने के लिए आज गुड़गांव में अपने ऑफिस में आमंत्रित
किया…नवभारत टाइम्स के संपादक (संपादकीय पृष्ठ) चंद्रभूषण जी, भाई सतीश सक्सेनाजी, भाई राजीव तनेजा, प्रतिभा कुशवाहा के साथ तकनीकी ब्लॉग और एसईओ फर्म चलाने
वाले रमेश कुमार और सत्येंद्र के साथ मुझे भी
इसमें हिस्सा लेने का अवसर मिला…हैंगआउट का संचालन हैदराबाद से गूगल सर्च
क्वालिटी टीम के दिग्गज सैयद मलिक ने किया…सैयद मलिक ने हिंदी में पारंगत ना
होने के बावजूद इतनी सरल और धाराप्रवाह हिंदी में सब कुछ समझाया कि हैरान होने की
हमारी बारी थी…मैं हैंगआउट का लिंक देने से पहले गूगल टीम से दो और सदस्यों का
उल्लेख करना चाहूंगा…ये नाम है बेंगलुरु से मिथिलेश मिश्रा और गुड़गांव से मुकुट
चक्रवर्ती…इन्होंने इस हैंगआउट को सफल बनाने के
लिए तो अथक परिश्रम किया ही, साथ ही ये हिंदी कम्युनिटी को भी मज़बूत बनाने
में कोई कसर नहीं छोड़ रहे…
हैंगआउट में एसईओ, एडसेंस, एग्रीगेटर्स
समेत अनेक मुद्दों पर विचार हुआ जो आपके ब्लॉग या वेबसाइट की सार्थकता बढाने में
बहुत सहायक हो सकते हैं…अब मैं और फुटेज नहीं खाता…आप खुद ही लीजिए गूगल हैंगआउट
के संवाद का आनंद इस विडियो में…
ने हैंगआउट में हिस्सा लेने के लिए आज गुड़गांव में अपने ऑफिस में आमंत्रित
किया…नवभारत टाइम्स के संपादक (संपादकीय पृष्ठ) चंद्रभूषण जी, भाई सतीश सक्सेनाजी, भाई राजीव तनेजा, प्रतिभा कुशवाहा के साथ तकनीकी ब्लॉग और एसईओ फर्म चलाने
वाले रमेश कुमार और सत्येंद्र के साथ मुझे भी
इसमें हिस्सा लेने का अवसर मिला…हैंगआउट का संचालन हैदराबाद से गूगल सर्च
क्वालिटी टीम के दिग्गज सैयद मलिक ने किया…सैयद मलिक ने हिंदी में पारंगत ना
होने के बावजूद इतनी सरल और धाराप्रवाह हिंदी में सब कुछ समझाया कि हैरान होने की
हमारी बारी थी…मैं हैंगआउट का लिंक देने से पहले गूगल टीम से दो और सदस्यों का
उल्लेख करना चाहूंगा…ये नाम है बेंगलुरु से मिथिलेश मिश्रा और गुड़गांव से मुकुट
चक्रवर्ती…इन्होंने इस हैंगआउट को सफल बनाने के
लिए तो अथक परिश्रम किया ही, साथ ही ये हिंदी कम्युनिटी को भी मज़बूत बनाने
में कोई कसर नहीं छोड़ रहे…
हैंगआउट में एसईओ, एडसेंस, एग्रीगेटर्स
समेत अनेक मुद्दों पर विचार हुआ जो आपके ब्लॉग या वेबसाइट की सार्थकता बढाने में
बहुत सहायक हो सकते हैं…अब मैं और फुटेज नहीं खाता…आप खुद ही लीजिए गूगल हैंगआउट
के संवाद का आनंद इस विडियो में…
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