मिलिए निशा राव से, पाकिस्तान में एमफिल में दाखिला लेने वालीं पहली ट्रांसजेंडर

Source: Nisha Rao Instagram

 कमाल का जज़्बा, स्कूली शिक्षा के दौरान सड़कों पर लोगों से पैसे मांग कर तालीम के सपने को किया पूरा

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नई दिल्ली (11 सितंबर)।

ये हैं निशा राव…इन्होंने एक ऐसे समाज में मकाम बना
कर दिखाया है जहां ट्रांसजेंडर्स को कदम कदम पर भेदभाव और उपेक्षा का सामना करना
पड़ता है. पाकिस्तान के कराची शहर में रहने वालीं ट्रांसजेंडर निशा राव ने इसी
भेदभाव को चुनौती देने के लिए उच्च शिक्षा का रास्ता चुना.

पेशे से वकील और एक्टिविस्ट निशा पाकिस्तान की पहली
ट्रांसजेंडर स्टूडेंट हैं जिन्हें लॉ में एमफिल करने के लिए दाखिला मिला है. निशा
कराची यूनिवर्सिटी से एलएलएम डिग्री के लिए पढ़ाई कर रही हैं. निशा को इससे पहले
2020 में सिंध मुस्लिम गवर्मेंट कॉलेज से लॉ की डिग्री लेने वाली पहली पाकिस्तानी ट्रांसजेंडर शख्स होने का गौरव मिल चुका है.

पाकिस्तानी
न्यूज़ चैनल जिओ टीवी को दिए इंटरव्यू में निशा ने एमफिल में दाखिला लेने वाली पहली
ट्रांसजेंडर होने पर खुशी का इज़हार किया. निशा ने कहा कि उनके पिछले दो महीने इसी
चिंता में गुज़रे कि दाखिला होगा या नहीं. निशा ने इसके लिए जून में इम्तिहान दिया
था. निशा को इसी हफ्ते सूचना मिली कि उन्हें एमफिल में एडमिशन मिल गया है.

कराची यूनिर्सिटी के वाइस
चांसलर प्रोफेसर डॉक्टर खालिद इराकी ने बताया कि ये यूनिवर्सिटी पाकिस्तान की पहली
यूनिवर्सिटी होगी जो किसी ट्रांसजेंडर स्टूडेंट को एलएलएम की डिग्री देगी.

निशा राव का यहां तक पहुंचने का
सफ़र आसान नहीं रहा. निशा के मुताबिक उनके समुदाय के लोगों को एजुकेशन
इंस्टीट्यूट्स में दाखिला नहीं मिलता और न ही उनके लिए कोई कोटा सिस्टम होता है.

निशा ने बताया कि उन्होंने
एलएलएम के एक सेमेस्टर के लिए एक लाख चार हज़ार रुपए फीस भरी है. इससे पता चलता है
कि अधिकतर सड़कों पर मांग कर गुज़ारा करने वाले उनके समुदाय के लोगों के उच्च
शिक्षा का सपना कितना मुश्किल होता है. महंगी फीस होने की वजह से वो पढ़ाई से दूर
रहते हैं. निशा ने बताया कि एलएलएम की पूरी पढ़ाई के लिए उन्हें चार लाख रुपए खर्च
करने होंगे. निशा ने यूनिवर्सिटी आने जाने के लिए एक लाख सत्तर हज़ार रुपए में एक
स्कूटी भी खरीदी है.

 

Source: Nisha Rao Instagram


निशा ने ट्रासजेंडर लोगों के
लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था न होने पर नाखुशी जताई. उनका कहना है कि वो अपने लिए
नहीं बल्कि ऐसे ट्रांसजेंडर स्टूडेंट्स के लिए स्कॉलरशिप की मांग कर रही हैं जो
महंगी फीस नहीं भर सकते. ऐसे लोगों की मदद के लिए सरकार को सामने आना चाहिए.

यूनिवर्सिटी में टीचिंग स्टाफ
और दूसरे स्टूडेंट्स के अपने साथ बर्ताव को निशा ने अच्छा बताया.

कराची यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ ख़ालिद इराकी के साथ निशा राव Source: Facebook


कराची यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ खालिद इराकी ने कहा है कि
समाज को ट्रांसजेंडर लोगों को एक्टिव सिटीजन्स बनने के लिए हौसला बढ़ाना चाहिए.
उन्होंने बताया कि निशा राव को दाखिला देने का फैसला बोर्ड ऑफ एंडवान्सड स्टडीज़
एंड रिसर्च की बैठक में लिया गया.

निशा का जन्म लाहौर में एक मिडिल क्लास फैमिली
में हुआ. निशा की शुरुआती पढ़ाई लाहौर के ही एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में हुई. आठ
संतान में से एक निशा को 14 साल की उम्र में औरों से अपने डिफरेंट होने का अहसास
हुआ. 

मैट्रिक करने के बाद निशा ने अपना घर छोड़ दिया और कराची का रुख किया. वहां
निशा ने हिजरात कॉलोनी में ट्रांसजेंडर्स के साथ रहना शुरू कर दिया. कराची में
स्कूली पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए सड़कों पर लोगों से पैसे भी मांगने पड़े.
निशा ने फिर कराची यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस में बीए प्रोग्राम किया. इसी
दौरान निशा की मुलाकात मुद्दसिर इकबाल नाम के वकील से हुई जिन्होंने निशा को लॉ
में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया.

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