1411 बाघ बचाने की मुहिम @ बाघ, ब्लॉगर, पारसी क्या, पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या…खुशदीप

देश में बाघ लगातार घट रहे हैं…


देश में ब्लॉगर लगातार बढ़ रहे हैं…

क्या घोर कलयुग है…

क्या ये बढ़ते हुए ब्लॉगर घटते हुए बाघों के लिए कुछ नहीं कर सकते…


कर सकते हैं जनाब बिल्कुल कर सकते हैं…

डार्विन की नेचुरल सेलेक्शन की थ्योरी कहती है विकास की दौड़ में जो प्रजाति पीछे रह जाती है, वो गधे के सिर के सींग की तरह गायब हो जाती है…डॉयनासोर किसी वक्त इस ज़मीन पर राज करते थे…लेकिन अपने को कुदरत की बदलती ज़रूरतों के अनुसार खुद को ढाल नहीं पाए और अंतत पूरी तरह धरती से गायब हो गए…

लेकिन बाघ के मामले में कहानी दूसरी है…बाघ बेचारा इनसान के लालच के चलते विलुप्त होने के कगार पर आ गया है…जंगल जिस तरह कट रहे हैं, प्राकृतिक संतुलन जिस तरह बिगड़ रहा है, बाघ बेचारे रहें तो रहें कहां ..पिछली सदी के शुरू में देश में चालीस हज़ार बाघ थे…1973 आते-आते देश में सिर्फ 1827 बाघ रह गए…उसी साल बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया…इस वक्त सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सिर्फ 1411 बाघ रह गए हैं…वो दिन दूर नहीं जब बाघ सिर्फ फोटो में देखने की चीज़ ही रह जाएगा और उसका नामोंनिशां भी हमारी ज़मीन से मिट जाएगा…

क्या आपको अब भी नहीं लग रहा कि बाघों को बचाने के लिए जागरूकता बढ़नी चाहिेए…ब्लॉगवुड को कुछ करना चाहिए…वन्यजीव प्रेमियों की आवाज़ के साथ इतनी आवाज़ तो मिलानी चाहिए कि सत्ता के बहरे कानों में भी गूंज सुनाई देने लग जाए…

अब आप कहेंगे कि बाघों के लिए इतनी हायतौबा क्या करनी…ठीक है जनाब बाघ के लिए आपका दिल नहीं धड़कता, इनसान के लिए तो धड़केगा न…अगर इनसान ऐसे ही ज़मीन पर कम होने लग जाएं तो भी आप ऐसे ही मूकदर्शक बने बैठे रहेंगे…मुंबई का पारसी समुदाय तो आपको याद होगा…हिंदी फिल्मों में ढीकरा ढीकरा करते पारसी बुज़ुर्ग तो आप हर्गिज नहीं भूले होंगे…देश में ज़्यादातर पारसी मुंबई में ही रहते आए हैं…

जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार विभाजन से पहले 1940-41 में देश में 114,890 पारसी थे…1951 आते आते देश में पारसियों की आबादी 111,711 रह गई….अब अनुमान लगाया जा रहा है कि 2020 तक देश में सिर्फ 23,000 पारसी रह जाएंगे…पारसियों की आबादी में 31 फीसदी आबादी 60 साल से ऊपर के लोगों की है…जबकि राष्ट्रीय औसत में 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों का 7 फीसदी ही बैठता है…पारसियों में सिर्फ 4.7 प्रतिशत ही छह साल से कम उम्र के बच्चे हैं..अगर यही हाल रहा तो हमारे देश से पारसियों का बिल्कुल सफाया हो जाएगा….

पारसियों के कम होने की वजह पलायन और कम संतान का होना है…बाघ भी बेचारे खाने की खातिर अपने मूल स्थान से पलायन को मजबूर होते हैं और लालची इनसान के हत्थे चढ़ जाते हैं…क्या हम बाघों के लिए ये नारा बुलंद नहीं कर सकते…

Save Tigers, Save Yourself….

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