दो सूरतें जो आपकी शख्सीयत को तय करती हैं-
पहली सूरत…
आप अपने बारे में क्या सोचते हैं, जब आपके पास कुछ भी नहीं होता…
दूसरी सूरत…
आप दूसरों के बारे में क्या सोचते हैं, जब आपके पास सब कुछ होता है…
स्वामी विवेकानंद ने कहा था-
आदमी परिंदे की तरह उड़ना चाहता है…
आदमी कोयल की तरह गाना चाहता है…
आदमी मोर की तरह नाचना चाहता है…
आदमी मछली की तरह तैरना चाहता है…
लेकिन आदमी बस आदमी बन कर ही नहीं जीना चाहता…
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