हरियाणवी दंगल में अपना अपना मीडिया

मूलत: प्रकाशित नवभारत टाइम्स, 10 सितंबर 2014
लोकतंत्र की बुनियादी जरूरत है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव। इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भारत में जिस चुनाव आयोग की है, उसकी ईमानदारी की साख दुनिया भर में है। लेकिन, जैसे-जैसे देश में सूचना और प्रचार के तौर-तरीके बदल रहे हैं, वैसे-वैसे चुनाव आयोग को पेश आने वाली चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। सोशल मीडिया के विस्फोट पर नजर रखना मुश्किल है। पारंपरिक मीडिया में पर्दे के पीछे से चलने वाले ‘पेड न्यूज’ के खेल पर अंकुश लगाना भी टेढ़ी खीर है। एक नई चुनौती यह है कि राजनीतिक दल अपने ही अखबार या न्यूज चैनल चलाने लगे हैं और मीडिया-घरानों के मालिक खुद ही चुनावी समर में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। 
घर के टीवी-अखबार
हरियाणा में अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में संभावित विधानसभा चुनाव पर भी ‘पेड न्यूज’ को लेकर चुनाव आयोग की पैनी नजर होगी। इस चुनाव को कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल, बीजेपी, हरियाणा जनहित कांग्रेस जैसे स्थापित दलों ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है, तो सियासत के कुछ नए खिलाड़ी भी लाव-लश्कर के साथ मैदान में हैं। 
हरियाणा चुनाव पर कुछ ऐसे लोगों ने भी दांव लगा रखा है, जिनके अपने अखबार या न्यूज चैनल हैं। अब, अगर ये लोग खुद चुनाव लड़ते हैं या अपने प्यादों को चुनाव लड़ाते हैं तो पूरे आसार हैं कि इनके अपने मीडिया हाउस उनकी शान में कसीदे पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। घर के मीडिया प्लेटफॉर्म हैं तो जाहिर है, उपलब्धियों का स्तुति-गान भी दिन-रात गाया जाएगा।
हरियाणा चुनाव को लेकर मीडिया-मुगल्स की बात की जाए तो पहला नाम आता है, जी ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा का। इन्होंने हाल में अपने गृह-नगर हिसार से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। इस सीट से कांग्रेस नेता और उद्योगपति नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल 2005 से ही विधायक चुनी जाती रही हैं। नवीन जिंदल ने भी हाल में मीडिया कारोबार के क्षेत्र में पांव रखे हैं। ‘फोकस न्यूज’ का संचालन जिंदल ही कर रहे हैं। 
कोल ब्लॉक आवंटन विवाद में जी ग्रुप और नवीन जिंदल की तनातनी किसी से नहीं छुपी है। नवीन जिंदल ने 2012 में आरोप लगाया था कि ‘जी न्यूज’ की ओर से कोल ब्लॉक आवंटन में जिंदल की कंपनी के खिलाफ खबरें ना दिखाने की एवज में 100 करोड़ रुपए की मांग की गई थी। इस प्रकरण के बाद से ही दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज कराए गए। अब हिसार में सावित्री जिंदल के खिलाफ सुभाष चंद्रा चुनाव मैदान में उतरते हैं तो यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘जी ग्रुप’ और ‘फोकस’ के न्यूज चैनल किस तरह की कवरेज करते हैं। 
हाल तक कांग्रेस का दामन थामे रखने वाले हरियाणा के बड़े कारोबारी विनोद शर्मा का भी इस संदर्भ में उल्लेख किया जा सकता है। विनोद शर्मा ने अब ‘जनचेतना’ नाम से अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई है। ये वही विनोद शर्मा हैं जिनका बेटा मनु शर्मा जेसिका लाल मर्डर केस में दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है। फिलहाल ये अंबाला से विधायक हैं और इनका परिवार ‘इंडिया न्यूज’ चैनल के साथ ‘आज समाज’ नाम के अखबार का भी प्रकाशन करता है। विनोद शर्मा की पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हरियाणा जनहित कांग्रेस के नेता कुलदीप विश्नोई से हाथ मिलाया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप विश्नोई हाल में बीजेपी से अपना गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर चुके हैं। 
एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की मौत के मामले में महीनों जेल में रहने के बाद रिहा हुए गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी भी इस बार चुनावी मैदान में है। 2009 में सिरसा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले कांडा का भी खुद का ‘हरियाणा न्यूज चैनल’ है। एक वक्त कांडा की हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से गहरी छनती थी। लेकिन बाद में हुड्डा से कांडा के मतभेद हो गए। समस्त भारत पार्टी के नेता सुदेश अग्रवाल का ‘खबरें अभी तक’ नाम से न्यूज चैनल है। एक और मौजूदा विधायक रघुवीर कादियान की ‘आई विटनेस’ न्यूज चैनल में भागीदारी है। बीजेपी से जुड़े दो और नेता हैं, जिनके अपने अखबार हैं। दिल्ली से संचालित ‘पंजाब केसरी’ अखबार के मालिक अश्विनी कुमार करनाल से बीजेपी सांसद हैं, जबकि बीजेपी के ही एक और नेता कैप्टन अभिमन्यु के पास दैनिक अखबार ‘हरिभूमि’ का स्वामित्व है। 
कैसे मिले समान प्रचार
चुनावी घपलों को लेकर सक्रिय एक जिम्मेदार एनजीओ ने चुनाव आयोग को चिट्ठी भेज कर हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान इन सभी मीडियापतियों पर कड़ी नजर रखने की मांग की है। यहां सवाल केवल चुनाव की निष्पक्षता और शुचिता का ही नहीं, सभी उम्मीदवारों को प्रचार के लिए समान अवसर देने का भी है। धनबल और बाहुबल के साथ अब मीडिया बल को भी चुनाव में अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किए जाने का खतरा है। देखना होगा कि ऐसे हालात में चुनाव आयोग कैसे सभी प्रत्याशियों को प्रचार का समान अवसर मुहैया करा पाता है। बेशक, आयोग के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव एक नए तरह की अग्निपरीक्षा साबित होने वाला है।
इसी लेख पर मीडिया न्यूज़ वेबसाइट समाचार 4 मीडिया ने इस लिंक पर अपना विश्लेषण प्रस्तुत किया है-

चुनावी राजनीति में उतर रहे मीडिया हाउसों के मालिक…

Khushdeep Sehgal
Follow Me
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Satish Saxena
11 years ago

बढ़िया जानकारी दी है खुशदीप भाई , आभार आपका !

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x