ये हमसे नहीं होगा…खुशदीप

ये हमसे नहीं होगा…बिल्कुल नहीं होगा…हमने किया और ग़लत हो गया तो क्या
होगा…लोग क्या कहेंगे…ये सवाल हम कभी न कभी अपने आप से करते ही रहते हैं
किसी बड़ी चुनौती को मानने से पहले ही हम हाथ पीछे खींच
लेते हैं…सिर्फ इस आशंका में कहीं उलटा-सीधा हो गया तो…


तो फिर हम क्या करते हैं…यही सोचते हैं कि ऐसे किसी फट्टे में हाथ डाला ही ना
जाए…यानि कुछ नया करने के लिए खुद को आज़माने से पहले ही हार मान ली जाए…ये सोच ही
हमें साधारण से ऊपर उठने नहीं देती…हाथ-पैर सब सलामत होते हुए भी साहस ना दिखाना,
असफल होने के डर से ग्रस्त रहना…यानि हम वो मैटीरियल ही नहीं है जो हमें असाधारण
बना सके…

ये पढ़ लिया….अब नीचे वाले लिंक पर ये वीडियो देखिए…शायद नज़रिया बदल जाए…
अब बताइए अपाहिज़ कौन है….ये बंदा या अपने ही दायरे में सीमित रहने वाले हट्टे-कट्टे हम….

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