ले आया भईया मैं जान पर खेल कर सबूत…सुबह जो मैंने ब्रेकिंग न्यूज़ दी थी…उसका सबूत आप तक लाने के लिए बस ये समझ लीजिए मुझे शेरसिंह के मुंह में हाथ देना पड़ा…वो तो मेरी किस्मत अच्छी थी कि शेर महाराज को आज उनकी पुरानी गुले-गुलज़ार ‘बिल्लो चमन बहार’ (शेरनी) ने चाय पर बुलाया हुआ था…बस मुझे मौका मिल गया, शेर सिंह की मांद में घुसने का…कसम उड़ानझल्ले की अगर शेर महाराज को मेरी भनक भी मिल गई होती तो अब तक तो वो मुझे चबा-चबा कर गटकने के बाद हाज़मोला के गोलों से अपना हाज़मा दुरुस्त कर रहे होते…
राजे-रजवाड़ों, नवाबों, शिकारचियों के यहां आपने शेर की खालें दीवारों से लटकती देखी होंगी…लेकिन शेरसिंह के डैन में मैंने अपनी आंखों से ब्लॉगरों की खालें लटकती देखीं…नीचे बाकायदा तख्तियां भी लटकती देखीं…फलाने ने फलाने दिन शेरसिंह के ख़िलाफ़ किसी टिप्पणी या पोस्ट में उलजलूल कुछ बका था…सच मानों ये मंज़र देखने के बाद मेरी बाज़ुओं के रोए तो क्या सिर के बाल तक खड़े हो गए थे…ठीक वैसे ही जैसे टीवी पर इलैक्ट्रिक स्विच की एड आती है- शॉक लगा, शॉक लगा…
घिग्घी मेरी बंधी हुई थी फिर भी मैं अपने पेशे के धर्म को निभाता रहा…आखिरकार मैं ढूंढते-ढूंढते उस सबूत तक पहुंच ही गया जिसे देखकर आपको भी यकीन हो जाएगा कि शेरसिंह के बारे में जो मैंने सुबह दावा किया था वो सौ फ़ीसदी सही था…शेरसिंह का दुनिया के जानेमाने शूटर और व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत के इकलौते ओलम्पिक्स गोल्ड मेडल विनर अभिनव बिंद्रा से शूटिंग की ट्रेनिंग लेना जारी है…लीजिए आप भी देखिए वो सबूत…
अब एक टंकी पर चढ़ने वाला ही दूसरे टंकी पर चढ़ने वाले के दिल के दर्द को समझ सकता है…अभिनव ये कह कर टंकी पर चढ़े कि शूटिंग एसोसिएशन और भारतीय खेल अधिकारियों का रवैया सही नहीं है, इसलिए वो शूटिंग ही छोड़ देंगे…लेकिन टंकी पर पहले से ही हनुमान कुमार झा और शेरसिंह शर्मा चढ़े बैठे थे…अभिनव से दुआ-सलाम होने के बाद तीनों ने एक-दूसरे से अपना दर्द बांटा…अभिनव ने कहा…देखो ओलम्पिक्स में सदी तक भारत पसीना बहाता रहा लेकिन व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड की हवा तक नहीं मिली…मैंने गोल्ड दिलाया लेकिन अब मुझसे ही कह रहे हैं ट्रायल देना होगा…अभिनव ने खुद का दुखड़ा सुनाने के बाद हनुमान कुमार झा और शेरसिंह शर्मा से अपनी बीती सुनाने को कहा…
प्यार के दो बोल सुनते ही दोनों फट पड़े…एकसुर में बोले…कितनी जी-जान से अपना कीमती वक्त निकालकर हम ब्लॉगवुड के लिए चर्चा का चारा तैयार किया करते थे…क्या सिला दिया इन एहसानफरामोशों ने…हमारी ईमानदारी पर ही उंगली उठा दी…चारे की पोटलियों में कहीं अपना नाम नहीं दिखा तो आसमान सिर पर खड़ा कर दिया...शेरसिंह ने शिकायत के लहजे में अभिनव से कहा…शेर हैं, महीनों भूखे रह लेंगे…लेकिन कभी घास नहीं खाएंगे…अब आप ही बताओ, अभिनव भाई टंकी पर न चढ़े तो और क्या करें…अभिनव भाई, कसम से जी कर रहा है कि आपकी राइफल लेकर टंकी से उतरें और फिर देखें कि कौन हमसे पंगा लेता है…दोनों का दर्द सुनकर अभिनव की आंखों में भी आंसू आ गए…उसने कहा, फिक्र मत करो, मैं दूंगा तुम्हे ट्रेनिंग…और फिर वही टंकी पर ट्रेनिंग सेशन शुरू हो गया…
अंदर की ख़बर है हनुमान कुमार झा और शेरसिंह शर्मा पूरी तरह ट्रेंड होने के बाद ही टंकी से उतरे हैं…अब मुझे अपनी फिक्र हो रही है…इस पोस्ट का हनुमान कुमार झा और शेरसिंह शर्मा को पता चल गया तो मेरा तो शहीद होना तय है…अब यही गाना मेरे लबों पर है…
कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों…अब तुम्हारे हवाले ब्लॉगिंग-ए-हेवन साथियों…
(निर्मल हास्य)
(और ये हास्य नहीं है- ललित शर्मा सच में बहुत अच्छे शूटर हैं…देश में कई बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर मेडल अपने नाम कर चुके हैं…समझ गए न…)
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