बलात्कार, विरोध और नगरवधू…
नगरवधू !
मेरे मन में बढ़ गया तेरा सम्मान…
नहीं उठते तेरे लिए कभी झंडे-बैनर,
नहीं सहता कोई पानी की तेज़ बौछार,
नहीं मोमबत्तियों के साथ निकलता मोर्चा,
नहीं जोड़ता तुझसे कोई अपना अभिमान,
नगरवधू !
मेरे मन में बढ़ गया तेरा सम्मान…
कितने वहशी रोज़ रौंदते तेरी रूह,
देह तेरी सहती सब कुछ,
बिना कोई शिकायत, बिना आवाज़,
नहीं आता कभी आक्रोश का उफ़ान,
नगरवधू !
मेरे मन में बढ़ गया तेरा सम्मान,
सोचता हूं अगर तू ना होती तो क्या होता,
कितने दरिन्दे और घूमते सड़कों पर,
आंखों से टपकाते हवस, ढूंढते शिकार,
नगरों को बनाते वासना के श्मशान,
नगरवधू !
मेरे मन में बढ़ गया तेरा सम्मान…
शिव विष पीकर हुए थे नीलकंठ,
क्योंकि देवताओं को मिले अमृत,
तू जिस्म पर झेलती कितने नील,
क्योकि सभ्य समाज का बना रहे मान,
नगरवधू !
मेरे मन में बढ़ गया तेरा सम्मान…
– खुशदीप
(वीडियो…रवीश की रिपोर्ट से साभार)
- दुबई में 20,000 करोड़ के मालिक से सानिया मिर्ज़ा के कनेक्शन का सच! - February 4, 2025
- कौन हैं पूनम गुप्ता, जिनकी राष्ट्रपति भवन में होगी शादी - February 3, 2025
- U’DID’IT: किस कंट्रोवर्सी में क्या सारा दोष उदित नारायण का? - February 1, 2025