नशों ने मारे गबरू कैसे कैसे…खुशदीप

एक भालू सिगरेट का सुट्टा लगाने की तैयारी कर रहा था कि एक चूहा उसके पास आया…चूहे ने कहा…इतने शक्तिशाली, इतने हैंडसम जवान हो, क्यों खुद को इस नामुराद सिगरेट से जलाने में लगे हो…तुम इसे नहीं पी रहे , बल्कि ये तुम्हे पी रही है…छोड़ दो इसकी लत, आओ मेरे साथ दौड़ो, देखो ये जंगल, ये दुनिया कितनी खूबसूरत है…

भालू को ये सुनकर अपने पर शर्म आई और कुछ लम्हे सोचने के बाद पश्चाताप के लिए चूहे के साथ दौड़ने लगा…

अभी कुछ ही दूर गए थे कि एक हाथी अफ़ीम का अंटा चढ़ा रहा था…ये देखकर चूहा रुक गया…दोनों हाथ कमर पर रखकर हाथी को हड़काते हुए बोला…कहने को तुम गजराज हो लेकिन अक्ल तुम्हे धेले की नहीं है…बस शरीर ही शरीर है तुम्हारे पास…ये अफ़ीम के चक्कर में अपना क्या हाल बना लिया…छोड़ दो ये नशा…मेरे साथ दौड़ो, इस जंगल, इस दुनिया के रंग-बिरंगे नज़ारे देखो…

हाथी भी चूहे से ये सब सुनकर बड़ा शर्मसार हुआ और चुपचाप पीछे-पीछे दौड़ने लगा…

आगे चले तो एक शेर टेबल पर नमकीन के साथ व्हिस्की पीने की तैयारी कर रहा था…चूहे ने वैसे ही धमक कर शेर से भी कहा…जंगल कितना….ये सुनना ही था कि शेर ने व्हिस्की का गिलास एक और रखा…और चूहे के सात-आठ झन्नाटेदार जड़ दिए…ये देखकर हाथी और भालू से रहा नहीं गया…दोनों शेर से बोले…क्यों मार रहे हो इस नेक आत्मा को…एक तो बेचारा तुम्हे नशे की गर्त से निकाल कर ज़िंदगी की तरफ़ ले जाना चाहता है और तुम इसे पीट रहे हो…

ये सुनकर शेर बोला…नेक आत्मा और ये…तुम इसके चक्कर में कहां पड़ गए…पिछली
बार भी मुझे ये जंगल में सात-आठ घंटे दौड़ाता रहा था…वो तो मुझे बाद में पता चला कि ये कमीना तो….

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पक्का भंगेड़ी है…

स्लॉग ओवर

मक्खन के छाते में एक छेद था…

ढक्कन…मक्खन भाई तुम्हारा छाता तो नया लगता है, फिर इसमें ये छेद क्यों हैं…

मक्खन…खोती दे पुतर, बारिश रुक जाएगी ते तेरा प्यो आके मैनू दसेगा…

( गधी के बेटे, बारिश रुक जाएगी तो तेरा बाप आकर मुझे बताएगा)

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