एक रुपया कहां से आया…खुशदीप

अनिल पुसदकर भाई जी को उनकी लाडली भतीजी युति वक्त-वक्त पर अपने सवालों से लाजवाब करती रहती है…ऐसा ही कुछ 10 साल की मेरी बिटिया पूजन ने मेरे साथ किया है…स्कूल से पता नहीं कहां से बच्चों से सवालनुमा एक पहेली ले आई…लाख दिमाग लगाने के बावजूद मैं तो इस सवाल को सुलझाने में नाकामयाब रहा…आप ही कोशिश करके देख लीजिए…अगर कुछ जवाब सूझे तो मुझे बताइएगा…

एक बार एक शख्स बच्चों की दो घड़ियां लेने एक दुकान पर पहुंचा…उस वक्त दुकान पर मालिक नहीं नौकर बैठा हुआ था…ग्राहक ने 25-25 रुपये की दो घड़ियां पसंद की…50 रुपये देकर दो घड़ियां खरीद ली…ग्राहक दुकान से निकल गया…तभी मालिक आ गया…मालिक को नौकर ने बताया कि उसने 25-25 रुपये की दो घड़ियां बेची हैं…मालिक ईमानदार था…उसने नौकर से कहा…तूने पांच रुपये ज़्यादा ले लिए हैं….जा वापस करके आ…नौकर दुकान से भाग कर ग्राहक के पीछे गया….लेकिन उसके मन में बेईमानी आ गई…उसने पांच रूपये में से तीन रुपये अपने पास रख लिए…और दो रुपये ग्राहक को जाकर वापस कर दिए…इस तरह ग्राहक को पचास में से दो रुपये वापस मिल गए…और उसे 48 रुपये की दो घड़ियां पड़ गईं….अब उसकी जेब से 48 रुपये गए…लेकिन 3 रुपये नौकर ने अपने पास रख लिए थे….48 और 3 यानि 51 रुपये….अब ये फालतू का एक रुपया कहां से आ गया….मैं तो हार गया…अब आप दिमाग लड़ाइए और इस एक रुपये की गुत्थी को सुलझाइए….

स्लॉग ओवर

गुल्ली की शरारतें दिन भर बढ़ती जा रही थीं…अपनी चंडाल चौकड़ी के साथ हर वक्त धमाल मचाता रहता था…पानी जब सिर से गुज़रने लगा तो प्रिसिंपल ने गुल्ली को स्कूल के काउंसिलर (बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञ) के पास भेज दिया…

काउंसिलर ने एक घंटे तक गुल्ली को लेक्चर पिलाया…साथ ही वादा लिया कि रोज़ कोई न कोई एक अच्छा काम करेगा…बड़ों का सम्मान करेगा…दूसरों की मदद करेगा…गुल्ली ने हर बात में हामी भरी कि जैसा काउंसिलर कहेंगी, वैसा ही करेगा…

अगले दिन गुल्ली अपनी चंडाल चौकड़ी के साथ फिर स्कूल लेट पहुंचा…प्रिंसिपल का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया…फौरन काउंसिलर के पास गई….बोलीं…आप तो कह रही थीं कि गुल्ली सुधर जाएगा…अब शरारत की जगह रोज कोई अच्छा काम करेगा…देखो पहले दिन ही लेट आया…

काउंसिलर भी नाराज हो गई…गुल्ली को बुलाकर पूछा…क्या यही था तुम्हारा वादा...

गुल्ली बोला…मैडम जी, आपने जो कहा, मैं तो उसी का पालन कर रहा था….आपने कहा था रोज़ एक अच्छा काम करना…आज वही अच्छा काम करते हुए स्कूल आने में लेट हो गया…

काउंसिलर ने पूछा…कौन सा अच्छा काम किया….

गुल्ली…मैडम जी स्कूल आते वक्त हम पांच दोस्तों ने एक बुज़ु्र्ग महिला को पकड़कर सड़क पार करा दी…

काउंसिलर…ये तो वाकई अच्छी बात की…लेकिन एक बात बताओ…तुम महिला को अकेले भी तो सड़क पार करा सकते थे…पांचों दोस्तों की ज़रूरत क्यों पड़ी…

गुल्ली…मैडम जी…वो सड़क पार करना ही नहीं चाहती थी….

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