सृजन का संतुलन…खुशदीप

ऊपर वाला ब्रह्मांड को बनाने की प्रक्रिया में था…साथ ही अपने मातहतों को सृष्टि का सार बताता भी जा रहा था…देखो, सृजन के लिए सबसे ज़रूरी है, संतुलन…

मसलन हर दस हिरण के पीछे एक शेर होना चाहिए…

इसी तरह मेरे देवदूतों, दुनिया में  अमेरिका नाम का देश है…मैंने उसे समृद्धि और धनधान्य दिया है तो साथ ही इनसिक्योरिटी और तनाव भी दिया है…

यहां अफ्रीका है…ये कुदरत के नज़ारों से मालामाल है लेकिन मौसम की सबसे बुरी मार भी यहीं देखने को मिलती है…

इसी तरह साउथ अमेरिका है, मैंने उन्हें बहुत सारे जंगल दिए हैं, लेकिन साथ ही बहुत कम ज़मीन दी है…जिससे उन्हें जंगल काटने का मौका मिलता रहे…

तो तुमने देखा हर चीज़ संतुलन में है…

तभी एक देवदूत ने पूछा कि पृथ्वी पर ये सुंदर सा कौन देश नज़र आता है…

ऊपर वाला…आहा…ये तो दुनिया का ताज है…भारत…मेरी सबसे अनमोल रचना..

यहां समझदारी से काम लेने वाले और मित्रवत व्यवहार करने वाले लोग हैं…


यहां कल-कल बहते झरने, नदियां और मनोरम पहाड़ हैं..


संस्कृति है जो महान परंपराओं की पहचान है…



तकनीकी तौर पर कुशाग्र और सोने के दिल वाला है ये देश

ये सब कहने के बाद ऊपर वाला ख़ामोश हो गया…

तब तक सवाल पूछने वाला देवदूत हैरान-परेशान हो गया…आखिर पूछ ही बैठा…आपने तो कहा था कि हर चीज़ संतुलन में है…फिर भारत…

ऊपर वाले ने शांत भाव से जवाब दिया…

प़ड़ोसियों को देखो, जो मैंने भारत को दिए हैं…