सास डूब रही थी, मक्खन खड़ा सोच रहा था…खुशदीप

श्रृंगार, हास्य, वीभत्स, रौद्र, शांत, वीर, भय, करुण, अद्भुत…यही नौ रस नाट्यशास्त्र का सत्व है…जीवन भी रंगमंच ही तो है…हम हर वक्त इनमें से किसी न किसी मुद्रा में होते हैं…मेरे लिए इन रसों में हास्य का बड़ा महत्व है…ब्लॉगिंग शुरू की थी तो लिखता चाहे किसी भी मुद्दे पर, लेकिन अंत स्लॉग ओवर से ही करता था…अब भी मुझे ई-मेल और फोन पर मेरे कुछ अज़ीज़ कहते रहते हैं कि स्लॉग ओवर मिस मत करा करो…लेकिन मैंने यही देखा कि स्लॉग ओवर पोस्ट के मुद्दे पर भारी पड़ जाता था…प्रतिक्रियाओं का भी वही केंद्रबिंदु बन जाता था…इसलिए हर पोस्ट के साथ मैंने स्लॉग ओवर देना छोड़ दिया…

हां, कभी-कभी ज़रूर मक्खन, गुल्ली. मक्खनी और ढक्कन धरने पर बैठ जाते हैं…आज भी ऐसा ही हुआ, मक्खन ने भूख-हड़ताल की धमकी दे दी कि आज तो पूरी पोस्ट हमारे नाम होनी चाहिए…मरता क्या न करता, मक्खन जी की बात माननी पड़ी…

लीजिए आज मक्खन की सास की गाथा सुनिए…

मक्खन के सास-ससुर की तीन लड़कियां ही थीं…पैसा खूब था, लेकिन लड़का न होने की वजह से सास को यही फिक्र लगी रहती थी कि उनके तीनों दामादों में से कौन सबसे ज़्यादा उनका ध्यान रखता है…मक्खन सबसे छोटा दामाद था…सास ने ये जानने के लिए एक-एक कर तीनों दामादों को नदी के पुल पर बुलाया…सबसे पहले बड़ा दामाद आया…सास ने उसके सामने नदी में छलांग लगा दी…ये देखकर बड़े दामाद ने आव देखा न ताव…झट से नदी में कूद गया…और सास को बचा लाया…सास ने खुश होकर उसे मारूति 800 इनाम में दे दी….


सास ने अगले दिन मझले दामाद को बुलाया…फिर वही छलांग…मझला दामाद भी नदी में कूद कर सास को बचा लाया…सास ने उसे भी खुश होकर हीरो होंडा बाइक ईनाम में दे दी…

आखिरी दिन मक्खन की बारी थी…सास ने मक्खन के सामने भी नदी में छलांग लगाई…मक्खन ने पहले कूदना चाहा, फिर कुछ सोच कर रुक गया…सास डूब कर परलोक सिधार गई…

दरअसल मक्खन के जीनियस माइंड ने सोचा था कि अब मैं सास को बचा भी लाया तो ये मुझे ज़्यादा से ज़्यादा साइकिल ही ईनाम में देगी…मारूति 800 से बाइक पर तो आ ही गई है, अब इसके आगे तो साइकिल ही बचती है…कौन साइकिल के लिए इतना बड़ा पंगा मोल ले…

मक्खन घर आ गया…अगले दिन मक्खन के घर की कॉलबेल बजी…बाहर मर्सिडीज़ कार का सेल्समैन मक्खन को चाबियां देने के लिए खड़ा था…मक्खन हैरान-परेशान…आखिर माज़रा क्या है…तभी सेल्समैन ने मक्खन की तरफ एक ग्रीटिंग कार्ड बढ़ाया…कार्ड पर लिखा था…मेरे प्यारे और सबसे ज़्यादा समझदार दामाद को मेरी तरफ़ से ये छोटी सी भेंट….और नीचे लिखा था…

मक्खन के ससुर का नाम…

Khushdeep Sehgal
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एक बेहद साधारण पाठक

घोर कलियुग है भाई

स्वप्न मञ्जूषा

makkhan ji agli baar aaungi india to aapki mercedise mein baithna hai maine…
bahut bahut badhaii hove aapko..
:):)

शरद कोकास

इतनी रिस्क अब कौन लेता है ?

अजय कुमार झा

हा हा हा मक्खन कुछ भी करे ..पट्ठे की लॉटरी निकल ही आती है …इसे फ़ौरन दिल्ली लाईये ..common wealth games में बहुत जरूरत पडने वाली है उसकी

Unknown
14 years ago

kiya vyang hai ati sunder

ब्लॉ.ललित शर्मा

ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha haha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha haha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha

Jay ho makkhan ki
kya khopdi payi hai.
Isi liye jinda
saas dubai hai……….

नीरज गोस्वामी

हा हा हा हा हा हा हा हा हा गज़ब….

नीरज

दीपक बाबा

उपर वाला देता है तो छप्पड़ फाड कर देता है. कहाँ तो मक्खन साईकिल के बारे में सोच रहा था …… और कहाँ मर्सिडीज बेंज……

जय हो ससुर महाराज की.
तुम्हरी लीला अपरम्पार.
जिस दामाद पर तुम खुश हो जाओ
– कोई नहीं पाए उसका कुछ बिगाड़.

निर्मला कपिला

हा हा हा वाह । मैने सोचा शायद मक्खन के बहाने मेरी कहानी लिख रहे हो। मेरे भी तीन दामाद हैं लेकिन मै छलाँग लगाने वाली नहीं। बहुत बहुत आशीर्वाद। मेरी आज की पोस्ट वीर्बहुटी पर है देख लेना।

वाणी गीत
14 years ago

भगवान् आपकी सास की रक्षा करें …!

Shah Nawaz
14 years ago

🙂

वाकई मक्खन की तो बल्ले-बल्ले हो गई!

Manish aka Manu Majaal
14 years ago

कहीं सास जी ने ऊपर से ये देख लिया , तो ससुर जी का तो जन्नत भी बिगड़ जायगा …

अजित गुप्ता का कोना

हास्‍य रस का कोई सानी नहीं। ये नेपथ्‍य से ससुरजी कहाँ निकल आए? अभी तक बिल में छिपे बैठे थे क्‍या?

Satish Saxena
14 years ago

क्यों बिगड़ रहे हो लोगों को ….??

डॉ टी एस दराल

हा हा हा ! बुढ़ापे में भी आज़ादी की तमन्ना मरती नहीं ।

डॉ टी एस दराल

हा हा हा ! बुढ़ापे में भी आज़ादी तमन्ना मरती नहीं ।

संगीता पुरी

समीरलाल जी की ही बात को दुहराती हूं ..ससुर साहब का तो एक ही सगा दामाद निकला… 🙂

Udan Tashtari
14 years ago

जे बात….ससुर साहब का तो एक ही सगा दामाद निकला… 🙂

Rohit Singh
14 years ago

आपके पास क्या ऑफर था?????????

रानीविशाल

😀
Bhadiya rahi …

डा० अमर कुमार


किबला इसका मतलब कि..
मर्सिडीज़ देकर बीमे की बाकी रकम खुद ससुर डकार गये ।
लाहौल बिला कूव्वत !

शिवम् मिश्रा

बल्ले बल्ले …….मक्खन की तो निकल पड़ी !

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