नाओ ओवर टू सांपला…
तारीख…24 दिसंबर 2011
स्थान…रेलवे रोड धर्मशाला, सांपला, हरियाणा
वक्त…दोपहर 12 से शाम 5 बजे
मेज़बान…राज भाटिया जी, अंतर सोहेल, सांपला सांस्कृतिक मंच के सदस्य
उपस्थिति…
राज भाटिया (पराया देश, छोटी छोटी बातें)
इंदु पुरी (उद्धवजी)
अंजु चौधरी (अपनों का साथ)
वंदना गुप्ता (जख्म…जो फूलों ने दिये, एक प्रयास)
खुशदीप सहगल (देशनामा, स्लॉग ओवर)
महफूज अली (लेखनी…, Glimpse of Soul)
यौगेन्द्र मौदगिल (हरियाणा एक्सप्रैस)
अलबेला खत्री (हास्य व्यंग्य, भजन वन्दन, मुक्तक दोहे)
संजय अनेजा (मो सम कौन कुटिल खल…?)
राजीव तनेजा (हँसते रहो, जरा हट के-लाफ्टर के फटके)
संजू तनेजा
जाट देवता (संदीप पवाँर) (जाट देवता का सफर)
संजय भास्कर (आदत…मुस्कुराने की)
कौशल मिश्रा (जय बाबा बनारस)
दीपक डुडेजा (दीपक बाबा की बक बक, मेरी नजर से…)
आशुतोष तिवारी (आशुतोष की कलम से)
मुकेश कुमार सिन्हा (मेरी कविताओं का संग्रह, जिन्दगी की राहें)
पद्मसिंह (पद्मावली)
सुशील गुप्ता (मेरे विचार मेरे ख्याल)
राकेश कुमार (मनसा वाचा कर्मणा)
सर्जना शर्मा (रसबतिया)
शाहनवाज़ (प्रेम रस)
अजय कुमार झा (झा जी कहिन)
कनिष्क कश्यप (ब्लॉग प्रहरी)
केवल राम (चलते-चलते, धर्म और दर्शन)
अंतर सोहेल (मुझे शिकायत है, सांपला सांस्कृतिक मंच)
(कुछ सज्जनों के नाम मुझसे छूट रहे हैं, मेरी यादाश्त का कसूर है, क्यां करूं भाई उम्र का तकाज़ा है)
विशेष उपस्थिति-
कंचन भाटिया (श्रीमति राज भाटिया)
शशि (श्रीमति राकेश कुमार)
जो कहते थे आएंगे, मगर आ न सके (अंतर सोहेल की पूर्व प्रकाशित लिस्ट के अनुसार)…
डॉ टी एस दराल (अंतर्मंथन)
दिनेश राय द्विवेदी (अनवरत, तीसरा खंभा)
ललित शर्मा (ललित डॉट कॉम)
नीरज जाट (मुसाफिर हूं यारों, घुमक्कड़ी ज़िंदाबाद)
अविनाश वाचस्पति (तेताला, नुक्कड, बगीची, एडी-चोटी)
रतनसिंह शेखावत (ज्ञान दर्पण, आदित्य)
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (नन्हे सुमन, उच्चारण)
गिरीश “मुकुल” (मिसफिट, बावरे फकीरा, हिन्दुस्तान का दर्द)
वीरू भाई (कबीरा खडा बाजार में)
डॉ प्रवीण चोपडा (हैल्थ टिप्स, मीडिया डॉक्टर)
खान-पान की व्यवस्था…चकाचक
सबने अपना इंट्रोडक्शन देते हुए क्या कहा…अगर सारे उपस्थित ब्लॉगरजन खुद ही अपने शब्दों में इसे बयान करते हुए पोस्ट लिखें तो ज़्यादा मज़ेदार रहेगा…
मैंने क्या कहा…
नाम…खुशदीप सहगल, ब्लॉग…देशनामा, स्लॉग ओवर
ढाई साल पहले 16 अगस्त 2009 को ब्लॉगिंग शुरू की थी…और अब तो ऐसा लगता है कि डॉयनासोर जितना पुराना हो गया हूं और विलुप्त होने की ओर बढ़ चला हूं…
ये किस्सा भी सुनाया कि बैल की उम्र जितनी बड़ी होती जाती है वो चारा ज़्यादा मांगने लगता है…और काम करने की बारी आए तो ना में नाड़ (गर्दन) हिलाने लगता है…
खैर ये तो रही मज़ाक की बात, एक निवेदन सभी उपस्थित ब्लॉगरजन से भी किया…
और लोगों को भी ब्लॉगिंग से जोड़ने की कोशिश ज़रूर की जाए…मुझे बड़ी खुशी है कि मेरे कहने पर राकेश कुमार जी (मनसा वाचा कर्मणा) और सर्जना शर्मा (रसबतिया) ने ब्लॉगिंग शुरू की…कम ही वक्त में दोनों ने कैसे अपना मकाम बनाया, ये सबके सामने हैं…
(ये कुछ फोटोग्राफ्स राजीव तनेजा के फेसबुक एकाउंट से साभार, राजीव भाई ने अभी इतने ही फोटो डाले हैं, शाम को वो हास्य कवि सम्मेलन के लिए सांपला ही रुक गए थे…अब रविवार को दिल्ली लौट कर ही वो बाकी सारी फोटो अपने एकाउंट पर डालेंगे… )